शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025
1 मार्च
29 फरवरी
29 फरवरी
लीप ईयर दिवस
लीप ईयर वह होता है जब साल में 365 दिनों की जगह 366 दिन होते हैं। हर चार सालों में कैलेंडर में एक दिन अतिरिक्त जुड़ जाता है, जिसे हम 29 फरवरी कहते हैं।हमारी पृथ्वी को सूरज का एक चक्कर पूरा करने में 365 दिनों से थोड़ा ज्यादा समय लगता है। इसी वजह से हम हर चार साल में एक एक्स्ट्रा दिन अपने कैलेंडर में शामिल कर लेते हैं, जिसे 'लीप डे' (Leap Day) कहा जाता है, ताकि बदलते मौसम से हमारा कैलेंडर मेल खा सके।जब भी फरवरी का महीना 29 दिन का होता है, उस साल को Leap Year कहा जाता है। सामान्य तौर पर एक साल में 365 दिन होते हैं। लेकिन लीप ईयर में साल में 366 दिन होते हैं। क्योंकि 29 फरवरी की दिन एक्स्ट्रा होता है।अपनी धुरी पर घूमते घूमते पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा करती है। धरती को सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 365.25 दिन का समय लगता है। इस तरह से हर साल 0.25 जुड़ते जुड़ते चार साल में एक पूरा दिन बन जाता है। इसी एक्स्ट्रा दिन को 29 फरवरी के रूप में कैलेंडर में जोड़ा गया है। लीप वर्ष में अतिरिक्त दिन जोड़ने के लिए सबसे छोटे महीने फरवरी को चुना गया। प्राचीन रोमन कैलेंडर में फरवरी ही वर्ष का अंतिम महीना था, इसलिए यह अतिरिक्त दिन जोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प था। सोलर सिस्टम में सिर्फ पृथ्वी ही ऐसा ग्रह नहीं है जहां लीप ईयर आता है। उदाहरण के लिए मंगल ग्रह को ही लें, यहां नियमित सालों की तुलना में लीप साल ज्यादा होते हैं। मंगल ग्रह पर एक साल में 668 सोल्स होते हैं, यानी मंगल को सूरज का एक चक्कर पूरा करने में 668.6 दिन लगते हैं।समय के साथ 29 फरवरी सिर्फ गणित का जोड़-तोड़ नहीं रह गया है. दुनियाभर में इस दिन को लेकर कई रीति-रिवाज भी बने.बताया जाता है कि आयरलैंड में 5वीं सदी में सेंट ब्रिजेट ने सेंट पैट्रिक से कहा था कि महिलाओं को पुरुषों के सामने शादी का प्रस्ताव रखने की अनुमति नहीं है. तब सेंट पैट्रिक ने 29 फरवरी को एक ऐसे दिन के रूप में नामित किया, जिस दिन महिलाओं को पुरुषों को प्रपोज करने की अनुमति होगी. कुछ जगह लीप डे को बैचलर डे के रूप में जाना जाता है. स्कॉटलैंड की रानी ने इस रिवाज में महिलाओं के फायदे के लिए एक नया ट्विस्ट जोड़ा. इसमें कहा गया था कि महिलाएं हर 29 फरवरी को प्रपोज कर सकती हैं. और अगर कोई पुरुष इनकार करता है, तो उसे महिला को जुर्माने के रूप में नया गाउन, दस्ताने या चुंबन देना होगा.लीप ईयर जोड़ने की शुरूआत हजारों सालों पहले रोमन जनरल जुलियस सीज़र ने की थी. तब रोमन कैलेंडर 355 दिनों का ही हुआ करता था. उस समय दिसंबर की जगह फरवरी साल का आखिरी महीना था. 45 BC में सीज़र ने आदेश दिया कि हर चार साल बाद साल के आखिरी दिन में 24 घंटे जोड़े जाएं. 16वीं शताब्दी में कैथोलिक चर्च ने कैलेंडर में आखिरी बड़ा बदलाव किया. चर्च ने यह जिम्मा इसलिए भी उठाया क्योंकि कैलेंडर की त्रुटि की वजह से ईस्टर (ईसाईयों का महत्वपूर्ण वार्षिक धार्मिक पर्व) की तारीख अपने पारंपरिक स्थान से लगभग दस दिन दूर हो गई थी.
पोप ग्रेगरी XIII ने एक संशोधित कैलेंडर शुरू किया, जिसे हम आज इस्तेमाल करते हैं. इसमें 400 से विभाजन होने वाले सालों को लीप ईयर माना जाता है. इस वजह से सन् 1800, 1900 लीप ईयर नहीं थे. लेकिन सन् 2000 लीप ईयर था. (विविध स्रोत)
गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025
28 फरवरी
28 फरवरी
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने इस दिन 1928 में, फोटॉन के बिखराव की एक घटना की खोज की, जिसे बाद में उनके नाम पर 'रमन प्रभाव' के रूप में जाना गया। दो साल बाद 1930 में, उन्हें इस उल्लेखनीय खोज के लिए नोबेल पुरस्कार मिला, और यह विज्ञान के क्षेत्र में भारत के लिए पहला नोबेल पुरस्कार था। उनकी प्रसिद्ध घटना की खोज को चिह्नित करने के लिए, प्रत्येक वर्ष इस दिन भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 1986 में, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) ने भारत सरकार से 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने के लिए कहा, जिसे तत्कालीन भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया और 1986 में इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में घोषित किया। पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी, 1987 को मनाया गया था। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का मूल उद्देश्य लोगों के बीच विज्ञान के महत्व और इसके अनुप्रयोग का संदेश फैलाना है।
बुधवार, 26 फ़रवरी 2025
27 फरवरी
मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025
26 फरवरी
सोमवार, 24 फ़रवरी 2025
25 फरवरी
25 फरवरी
राष्ट्रीय पर्यटन दिवस
भारत सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 25 जनवरी को ‘राष्ट्रीय पर्यटन दिवस’ मनाने का निर्णय लिया। पर्यटन मंत्रालय देश में पर्यटन के विकास के लिए राष्ट्रीय नीतियों को बढ़ावा देता है। यह केंद्रीय, राज्य और सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों का समन्वय करता है। पहली बार, 1948 में, केंद्र सरकार ने भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक पर्यटन समिति का गठन किया।देश में पर्यटन दिवस मनाने की शुरुआत भारत की आजादी के अगले वर्ष यानी 1948 से हो गई थी. पर्यटन के महत्व को समझते हुए आजाद भारत में इसे बढ़ावा देने की पहल स्वरूप पर्यटन यातायात समिति का गठन किया गया. समिति के गठन के तीन साल बाद 1951 में कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन के क्षेत्रीय कार्यालयों की शुरुआत हुई. बाद में दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में भी पर्यटन कार्यालय बनें. 25 जनवरी को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय पर्यटन दिवस भारत के आर्थिक परिदृश्य और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए पर्यटन के महत्व को रेखांकित करता है। इसके अलावा, यह रोजगार के अवसर पैदा करने और सतत विकास को बढ़ावा देने में उद्योग की क्षमता पर प्रकाश डालता है। राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 25 जनवरी 1948 को पर्यटक यातायात समिति की स्थापना की याद में मनाया जाता है, जो भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक तदर्थ सरकारी संस्था थी। समिति के काम ने 1966 में भारत पर्यटन विकास निगम की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। इसके बाद, 1967 में भारत सरकार ने पर्यटन मंत्रालय का गठन किया और डॉ. करण सिंह को भारत का पहला पर्यटन मंत्री नियुक्त किया। पर्यटन मंत्रालय को भारतीय पर्यटन उद्योग के मामलों और विकास की देखरेख का काम सौंपा गया। पर्यटन को बढ़ावा देने की अपनी पहल के तहत, पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटक यातायात समिति के गठन के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाना शुरू किया।
कुवैत राष्ट्रीय दिवस
यह दिन यूनाइटेड किंगडम से कुवैत की स्वतंत्रता का जश्न मनाता है, जो 25 फरवरी 1961 को हासिल हुई थी। यह विभिन्न उत्सवों द्वारा चिह्नित एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक अवकाश है। कुवैत राष्ट्रीय दिवस कुवैतियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवकाश है क्योंकि यह देश की ब्रिटेन से स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय पहचान पर गर्व का जश्न मनाने का दिन है। इसके अलावा, यह दिन कुवैतियों के लिए बहुत ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्व रखता है क्योंकि यह एक संप्रभु राष्ट्र बनने के उनके संघर्ष और दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है। कुवैती लोगों में राष्ट्रीय गौरव की गहरी भावना है, और राष्ट्रीय दिवस उनके लिए एक समुदाय के रूप में एकजुट होने और अपने इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियों का सम्मान करने का अवसर है।कुवैत राष्ट्रीय दिवस, जो हर साल 25 फरवरी को मनाया जाता है, उस दिन की याद में मनाया जाता है जब 1950 में शेख अब्दुल्ला अल-सलीम अल-सबा कुवैत की गद्दी पर बैठे थे। यह दिन 1961 में कुवैत की ब्रिटिश संरक्षित राज्य की स्थिति के अंत का भी प्रतीक है। कुवैत में राष्ट्रीय दिवस का पहला आधिकारिक उत्सव 1963 में मनाया गया था। (विविध स्रोत)
24 फरवरी
24 फरवरी
केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस
Central Excise Day
केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस 24 फरवरी को मनाया जाता है, जो भारतीय कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण दिन है.24 फरवरी 1944 को केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक कानून को बनाया गया था। बता दें कि केंद्रीय सीमा शुल्क और उत्पाद बोर्ड केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत आता है और यह एक तरह का अप्रत्यक्ष कर है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग की कार्यप्रणाली, उसकी भूमिका और इस विभाग द्वारा किए गए योगदान को मान्यता देना है. उत्पाद शुल्क एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है जो मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र पर लागू होता है, और यह सरकार के राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान करता है. केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस का आयोजन इस क्षेत्र में जागरूकता फैलाने, सुधार की दिशा में कदम उठाने और कर प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। केंद्रीय उत्पाद शुल्क की शुरुआत 1944 में भारतीय उत्पाद शुल्क अधिनियम के तहत हुई थी. इसे भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था और इसे लागू करने के लिए केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1944 को जिम्मेदार ठहराया जाता है. इसके माध्यम से सरकार राजस्व एकत्र करती है।
सामाजिक न्याय और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) स्थापना दिवस
देश में सबसे व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में से एक का संचालन करने वाली ईएसआईसी, श्रमिकों और उनके परिवारों को चिकित्सा देखभाल, मातृत्व लाभ और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा रही है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) की स्थापना 24 फ़रवरी, 1952 को हुई थी. इसकी स्थापना कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के तहत हुई थी. यह अधिनियम भारत की संसद ने पास किया था. कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के तहत कर्मचारियों और उनके परिवारों को सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य बीमा लाभ दिए जाते हैं. इस अधिनियम के तहत, कर्मचारियों को बीमारी, मातृत्व, विकलांगता, या रोज़गार से जुड़ी चोटों के कारण मृत्यु से होने वाले वित्तीय बोझ से बचाया जाता है. (विविध स्रोत)