गुरुवार, 13 नवंबर 2025

13 नवंबर -जयंती


13 नवंबर जयंती 
१३ नवंबर को कई महापुरुषों की जयंती है, जिनमें प्रमुख हैं महाराजा रणजीत सिंह (पंजाब के शासक) और गजानन माधव मुक्तिबोध (प्रगतिशील कवि)। इसके अतिरिक्त, इस दिन भूलाभाई देसाई, कोट्टारी कंकैया नायडू और अशोक कुमार की भी जयंती मनाई जाती है। 
महाराजा रणजीत सिंह: पंजाब के शासक, जिनका जन्म १३ नवंबर १७८० को हुआ था।
गजानन माधव मुक्तिबोध: एक प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि जिनका जन्म १३ नवंबर १९१७ को हुआ था।
भूलाभाई देसाई: एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी जिनकी जयंती १३ नवंबर को मनाई जाती है।
कोट्टारी कंकैया नायडू: भारत के प्रथम क्रिकेट कप्तान जिनकी जयंती १३ नवंबर को है।
अशोक कुमार: एक प्रसिद्ध अभिनेता जिनकी जयंती भी १३ नवंबर को है। 

मंगलवार, 11 नवंबर 2025

चुनाव - एक प्रेम कथा

रामपुर गांव की सुबहें कोयल की कुहू से शुरू होती थीं, पर उस साल नवंबर की हवा में कुछ और भी घुला था—चुनाव का बुखार, वादों की धूल और अनकही आशंकाओं की नमी। सोन नदी का किनारा सुबह की धूप में मिट्टी की सोंधी खुशबू उड़ाता, पर उस खुशबू में अब बारूद की हल्की सी गंध भी मिलने लगी थी। आर्यन कुमार हर सुबह खेतों की मेड पर चलता, किसानों के साथ बैठता, उनकी हथेलियों की दरारें पढ़ता—वह इंजीनियर था, पर उसकी उंगलियाँ अब सिर्फ ब्लूप्रिंट नहीं, दिलों की नक्शे बनाती थीं। आम के पुराने पेड़ तले बनी बेंच उसका दफ्तर थी, जहाँ वह रात-रात भर सोलर पैनल के डिजाइन बनाता, स्कूल के लिए कंप्यूटर का बजट जोड़ता और नदी पर पुल की नींव की कल्पना करता। उसका नारा था—गांव की मिट्टी, शहर की रोशनी—पर उसकी आँखों में एक पुराना दर्द भी चमकता था, जो कोई नहीं पढ़ पाता।उस दिन प्रिया शर्मा की जीप धूल का गुबार उड़ाती गांव में घुसी। पटना के चमचमाते स्टूडियो से निकली थी, पर उसकी नीली साड़ी में अब गांव की मिट्टी लिपटने लगी थी। कैमरा थामे वह आर्यन की सभा में पहुंची। सभा छोटी थी—सौ-पचास लोग, पर हर चेहरा उम्मीद से भरा। बच्चे आगे, बुजुर्ग पीछे। आर्यन बोल रहा था, उसकी आवाज में नदी की गहराई थी, “भाइयो-बहनो, दस साल से एक ही वादा—सड़क, बिजली, पानी। पर हर बार बारिश में सड़कें धुल जाती हैं, बिजली की लाइनें टूट जाती हैं, और पानी नदी बनकर बह जाता है। मैं कहता हूं—हम खुद बनाएंगे। वोट दो या साथ दो, जीत हमारी।”प्रिया ने कैमरा बंद किया, माइक थामा। उसकी आवाज में शहर की तेजी थी, “आर्यन जी, आप इंजीनियर हैं। दिल्ली की नौकरी, मोटी तनख्वाह, एसी ऑफिस—सब छोड़कर यहां? राजनीति या नाटक?”सन्नाटा खिंच गया। हवा रुक सी गई। आर्यन नीचे उतरा, धूल भरी चप्पलों से प्रिया के करीब आया। उसकी आँखें सोन नदी जितनी गहरी थीं, पर उस गहराई में एक तूफान छिपा था। “नाटक झूठा होता है, प्रिया जी। मैं सच का अभिनेता हूं। और आप? शहर की चमक में सच्चाई ढूंढती हैं, या सिर्फ टीआरपी?”प्रिया की सांस अटकी। पहली बार कोई उससे सवाल पूछ रहा था, जो कैमरे के पीछे छिपी उसकी आंखों को पढ़ रहा था। सभा खत्म हुई। शाम को नदी किनारे दोनों बैठे। सूरज डूब रहा था, लालिमा नदी में घुल रही थी। आर्यन ने मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पिलाई, उसमें अदरक की तेजी थी, गांव की मिट्टी की गर्मी। प्रिया बोली, “मैंने सैकड़ों नेताओं को देखा। सबके पास स्क्रिप्ट। तुम्हारे पास?”आर्यन ने नदी में पत्थर फेंका। लहरें उठीं, फिर शांत हुईं। “स्क्रिप्ट जीवन लिखता है, प्रिया। मैं बस पढ़ता हूं। और कभी-कभी... लिखने की कोशिश करता हूं।”प्रिया हंसी, पर उस हंसी में एक पुराना दर्द था। उस रात उसने बॉस को फोन किया, आवाज कांपी, “यह स्टोरी बड़ी है। एक लड़का, जो क्रांति नहीं—अपने अंदर का तूफान लड़ रहा है।”पर गांव में तूफान बाहर भी मंडरा रहा था। विक्रम सिंह, मंत्री का बेटा, पटना से आया। उसकी काली जीपें, काले चश्मे, काले इरादे। उसने आर्यन को चेतावनी दी, “निर्दलीय मत बन, छोटे। मेरे पिताजी का टिकट है।”आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा, “टिकट वोट से मिलता है, विक्रम भाई। पिताजी से नहीं।”चुनाव प्रचार के लिए आर्यन पटना आया। प्रिया उसके साथ थी, अब कैमरा नहीं—दिल थामे। बस की खिड़की से खेत पीछे छूटते, ऊंची इमारतें सामने आतीं। प्रिया बोली, “पटना तुम्हें निगल लेगा, आर्यन।”आर्यन ने उसका हाथ थामा, “शहर निगलता नहीं, सिखाता है। और मैं सीखने आया हूं—तुम्हारे साथ।”होटल के कमरे में रात गहरी हुई। छत पर पटना की लाइटें नीचे चमकती थीं, जैसे तारे जमीन पर उतर आए हों। प्रिया ने सिगरेट जलाई, उसकी उंगलियां कांप रही थीं। आर्यन ने छीनी, “यह धुआं नहीं, जहर है। तुम्हारी सांसें मेरे लिए कीमती हैं।”प्रिया की आंखें भर आईं, “तुम सब कुछ बदलना चाहते हो?”“नहीं। सिर्फ जो गलत है। और जो टूटा है।”बारिश शुरू हुई। बूंदें तेज, दिल की धड़कन से भी तेज। दोनों सड़क पर भीगते हुए। पहला चुंबन—नम, गर्म, डर और हिम्मत का मिश्रण। प्रिया फुसफुसाई, “मैं प्रेम में डरती हूं, आर्यन। हर बार टूटती हूं।”आर्यन ने उसके गीले बालों को पीछे किया, “डर प्रेम की पहली सीढ़ी है। और मैं तुम्हें गिरने नहीं दूंगा।”अगली रात रैली पर हमला हुआ। विक्रम के गुंडे। लाठियां, पत्थर, चाकू की चमक। भीड़ चीखी। आर्यन ने प्रिया को अपनी बाहों में छिपाया, एक गुंडे का हाथ तोड़ा, दूसरे के पेट में मुक्का मारा। खून बहा—उसका, प्रिया का। अस्पताल में प्रिया रोई, उसकी हथेली आर्यन के खून से सनी थी, “तुम मर सकते थे... मेरे लिए?”आर्यन ने उसकी आंसू पोंछी, “मरना सबको है, प्रिया। जीना चुनना पड़ता है। और मैंने तुम्हें चुना है।”उसी रात प्रिया को लिफाफा मिला। पुरानी तस्वीरें—आर्यन दिल्ली में, एक लड़की के साथ। मुस्कुराती लड़की। प्रिया की सांस रुक गई। “यह कौन है?”आर्यन की आंखें भर आईं। पहली बार उसका चेहरा टूटा। “मेरी बहन, रिया। सोलर प्लांट उसका सपना था। मंत्री ने रोका, पैसे मांगे। उसने मना किया। फिर... एक रात उसने फांसी लगा ली। मैं गांव लौटा—बदला लेने नहीं, इंसाफ करने।”प्रिया ने उसे गले लगाया, उसकी सिसकियां उसके कंधे पर गीली हुईं, “मुझसे क्यों नहीं बताया?”“क्योंकि प्रेम विश्वास मांगता है, सबूत नहीं।”चुनाव नजदीक आया। दोनों गांव लौटे। सोन नदी उफान पर थी, जैसे कोई क्रोधित मां। बाढ़ का खतरा। आर्यन ने प्रचार छोड़ा, गांव बचाया। बच्चे, बूढ़े, गाय-भैंस—सब बोट में। प्रिया ने कैमरा उठाया, लाइव रिपोर्टिंग की, उसकी आवाज कांपी, “यह कोई उम्मीदवार नहीं—यह गांव का बेटा है, जो जिंदगियां बचा रहा है।” देश ने देखा। आंसू आए।रात में जंगल। विक्रम के गुंडे पीछे। अंधेरा, कीचड़, बारिश। आर्यन ने पेड़ से रस्सी बनाई, प्रिया को ऊपर खींचा। गोली चली, उसका कंधा छिला। खून बहा। प्रिया ने अपनी साड़ी फाड़कर पट्टी बांधी, उसकी उंगलियां कांप रही थीं। आग जलाई।आर्यन बोला, उसकी आवाज में दर्द और प्रेम, “प्रिया, जीवन एक नदी है। कभी शांत, कभी उफान। प्रेम उसका किनारा। अगर किनारा मजबूत हो, तो नदी नहीं डूबती।”प्रिया की आंखें लाल, “और अगर किनारा टूटे?”“तो नया बनाओ। मिट्टी से। अपने आंसुओं से।”अगली सुबह प्रिया गायब। विक्रम ने अगवा कर लिया। पुराना किला, पटना के पास। दीवारें नम, हवा में सड़ांध। विक्रम बोला, उसकी हंसी क्रूर, “आर्यन आएगा, तो दोनों मरेंगे।”आर्यन अकेला गया। रात में घुसा। गार्ड्स से लड़ा—एक को लाठी से, दूसरे को मुक्का। उसका कंधा फिर बहा, पर दर्द नहीं लगा। विक्रम से सामना। “तू हार गया।”आर्यन की आंखें जल रही थीं, “नहीं। मैंने प्रिया को चुना। तूने पावर। प्रेम हमेशा जीतता है।”प्रिया ने जेब से रिकॉर्डर निकाला—विक्रम की सारी बातें कैद। पुलिस आई। विक्रम गिरफ्तार। प्रिया आर्यन के गले लगी, उसकी सिसकियां किले की दीवारों से टकराईं।चुनाव का दिन। लाउडस्पीकर गूंजा, “आर्यन कुमार—68 प्रतिशत वोट।”जश्न। ढोल, नाच, आंसू। प्रिया और आर्यन की शादी सोन नदी किनारे हुई। सूरज डूब रहा था, लालिमा नदी में घुल रही थी। प्रिया साड़ी में, आर्यन कुर्ते में। पंडित ने मंत्र पढ़े। आर्यन ने सिंदूर लगाया, उसकी उंगलियां कांपीं। प्रिया की आंखें बंद, आंसुओं से भीगी।विधायक बनने के बाद पहला भाषण। आर्यन की आवाज कांपी, “यह जीत मेरी नहीं—रामपुर की, प्रिया की, रिया की, प्रेम की। हम पुल बनाएंगे, स्कूल बनाएंगे, सपने बनाएंगे। बिहार की मिट्टी में सपने उगते हैं, बस पानी चाहिए—एकता का। प्रेम का।”प्रिया ने चैनल जॉइन किया, लेकिन अब गांव से। उसका शो था—गांव की आवाज। हर रात वह आर्यन के कंधे पर सिर रखती, “तुमने मुझे जीना सिखाया।”पांच साल बाद रामपुर में सोलर लाइटें जलती थीं। स्कूल में कंप्यूटर। नदी पर पुल। आर्यन और प्रिया का बेटा सोनू नदी किनारे खेलता। प्रिया बोली, उसकी आंखें चमक रही थीं, “देखो, हमारा चुनाव।”आर्यन ने उसे गले लगाया, “और हमारी प्रेमकथा। जो कभी खत्म नहीं होगी।”जीवन चुनाव है, प्रेम वोट। डर को हराओ, हिम्मत को चुनो। गांव और शहर की दूरी मन से मिटती है। एक आर्यन और एक प्रिया मिलें, तो बिहार नहीं—पूरा हिंदुस्तान बदल सकता है। प्रेम बदलाव की शुरुआत है, बदलाव प्रेम की गारंटी।
(एआई-ग्रोक से रचित कहानी)

11 नवंबर


11 नवंबर 

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 

केंद्र सरकार ने 11 सितंबर, 2008 के अपने संकल्प के तहत, महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रख्यात शिक्षाविद् और प्रथम केंद्रीय शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद की जयंती, 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस घोषित किया। 2008 से हम 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाते हैं । यह दिन हमारे महान पथप्रदर्शक मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती है और भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को याद करने के लिए इससे बेहतर दिन और कोई नहीं हो सकता। पूरे भारत के शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर इस महान नेता और शिक्षक को उनके प्रति सम्मान के प्रतीक के रूप में याद करते हैं क्योंकि हम सभी जानते हैं कि उनके जैसे महान लोग सदैव स्मरण और सम्मान के पात्र हैं!! शिक्षा मंत्री के रूप में देश की सेवा करते हुए , मौलाना आज़ाद ने एक राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली बनाई , और शुल्क-मुक्त प्राथमिक शिक्षा उनका सर्वोच्च लक्ष्य रहा। 1922 में , उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान , भारत रत्न से सम्मानित किया गया । इस सम्मान ने शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को मान्यता दी। वे स्कूलों को ऐसी प्रयोगशाला मानते थे जो राष्ट्र के भावी नागरिकों का निर्माण करती है । उनका हमेशा से मानना था कि किसी भी देश की प्रगति के लिए उच्च शिक्षा मानकों की आकांक्षा रखना आवश्यक है और इसमें कभी भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए। मौलाना आज़ाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) की स्थापना में अग्रणी थे । उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो देश भर में उच्च शिक्षा की देखरेख और उसे आगे बढ़ाने के लिए एक महान संस्था है। उन्हें बैंगलोर में IIS (भारतीय विज्ञान शिक्षण संस्थान) के विकास और 1953 में संगीत नाटक अकादमी, 1954 में साहित्य अकादमी और 1954 में ललित कला अकादमी की स्थापना का श्रेय भी दिया जाना चाहिए। वे 5 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक भारत के शिक्षा मंत्री रहे। मौलाना आजाद ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया और साथ ही उनके कार्यकाल में विभिन्न साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी का गठन हुआ। इसके साथ ही उनके ही कार्यकाल में सांस्कृतिक संबंध परिषद भी स्थापित हुआ। उनके द्वारा किये गए कार्यों को सराहने के लिए ही इस दिन की शुरुआत की गई।

स्मरण दिवस 

स्मरण दिवस (जिसे स्मरण पोपी पहनने की परंपरा के कारण पोपी दिवस के रूप में भी जाना जाता है ) प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से राष्ट्रमंडल सदस्य देशों में सशस्त्र बलों के सदस्यों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाने वाला एक स्मृति दिवस है, जो कर्तव्य की पंक्ति में मारे गए थे। यह दिन कई अन्य गैर-राष्ट्रमंडल देशों में युद्ध स्मरणोत्सव के रूप में भी चिह्नित है। अधिकांश देशों में, प्रथम विश्व युद्ध की शत्रुता के अंत को याद करने के लिए 11 नवंबर को स्मरण दिवस मनाया जाता है। 1918 के "11वें महीने के 11वें दिन के 11वें घंटे" पर, जर्मनी और एंटेंटे के प्रतिनिधियों द्वारा उस सुबह 5:12 और 5:20 के बीच हस्ताक्षरित युद्धविराम के अनुसार, शत्रुता समाप्त हो गई। ("11वें घंटे पर" का तात्पर्य 11वें घंटे या सुबह 11:00 बजे के बीतने से है।) प्रथम विश्व युद्ध औपचारिक रूप से 28 जून 1919 को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हो गया। स्मरण दिवस की परंपरा युद्धविराम दिवस से विकसित हुई । प्रारंभिक युद्धविराम दिवस बकिंघम पैलेस में मनाया गया था , जिसकी शुरुआत 10 नवंबर 1919 की शाम को किंग जॉर्ज पंचम द्वारा "फ्रांसीसी गणराज्य के राष्ट्रपति के सम्मान में भोज" के आयोजन से हुई थी। इसके बाद, पहला आधिकारिक युद्धविराम दिवस अगली सुबह बकिंघम पैलेस के प्रांगण में मनाया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, कई देशों ने इस अवकाश का नाम बदल दिया। राष्ट्रमंडल देशों ने स्मरण दिवस को अपनाया, जबकि अमेरिका ने वेटरन्स डे को चुना । 

सोमवार, 10 नवंबर 2025

10 नवंबर


10 नवंबर 

परिवहन दिवस



10 नवंबर को भारत में परिवहन दिवस मनाया जाता है. जहां एक ओर सड़क, रेल, हवा और जल परिवहन के विस्तार को विकास से जोड़कर देखा जाता है तो वहीं दूसरी ओर पर्यावरण पर इसका दुष्प्रभाव भी देखने को मिलता है. एक अन्य वजह से भी 10 नवंबर के दिन का इतिहास में विशेष महत्व है. इसी दिन विश्व की पहली मोटर साइकिल पेश की गयी थी. 

विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस

विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस 10 नवंबर को स्थायी सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। यह सार्वजनिक परिवहन के लाभों, जैसे यातायात की भीड़भाड़, वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिन है। विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस पहली बार 10 नवंबर, 2005 को अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक परिवहन संघ (यूआईटीपी) की पहल पर मनाया गया था। यूआईटीपी सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरणों, संचालकों, उद्योग आपूर्तिकर्ताओं और अनुसंधान संस्थानों का एक विश्वव्यापी संघ है। यूआईटीपी ने 10 नवंबर को विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस के रूप में इसलिए चुना क्योंकि यह 1968 में सड़क यातायात संकेतों और सिग्नलों के सामंजस्य पर अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन पर हस्ताक्षर की वर्षगांठ है। यह कन्वेंशन सार्वजनिक परिवहन के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना थी, क्योंकि इसने महाद्वीपों के चारों ओर यातायात संकेतों और सिग्नलों को मानकीकृत करने में मदद की, जिससे लोगों के लिए सीमाओं के पार सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना आसान हो गया। इस दिवस का उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसके उपयोग को बढ़ावा देना है। यूआईटीपी सार्वजनिक परिवहन संचालकों, अधिकारियों और अन्य हितधारकों को इस दिवस पर सार्वजनिक परिवहन के लाभों को उजागर करने और लोगों को इसका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

विश्व विज्ञान दिवस

यूनेस्को (UNESCO) की तरफ से आज के दिन पूरी दुनिया में ‘शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस’ मनाया जा रहा है. 10 नवंबर को मनाया जाने वाला विश्व शांति एवं विकास दिवस, समाज में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका और उभरते वैज्ञानिक मुद्दों पर व्यापक जनसमूह की बहस में भागीदारी की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। यह हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व और प्रासंगिकता को भी रेखांकित करता है। विज्ञान और समाज के प्रति प्रतिबद्धता से संबंधित एक केंद्रित कार्यक्रम का आयोजन, बुडापेस्ट में 1999 के विश्व विज्ञान सम्मेलन के सकारात्मक परिणामों में से एक था। इसे  विज्ञान और वैज्ञानिक ज्ञान के उपयोग पर घोषणापत्र में घोषित लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता की हर साल पुष्टि करने और विज्ञान एजेंडा: कार्ययोजना  की सिफारिशों का पालन करने  का एक अवसर माना गया । यूनेस्को द्वारा 2001 में घोषित किए जाने के बाद से, शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस ने दुनिया भर में विज्ञान के लिए कई ठोस परियोजनाएँ, कार्यक्रम और धन जुटाया है। इस दिवस ने संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले वैज्ञानिकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में भी मदद की है - इसका एक उदाहरण यूनेस्को द्वारा समर्थित इज़राइली-फिलिस्तीनी विज्ञान संगठन (आईपीएसओ) का गठन है। शांति और विकास के लिए पहला विश्व विज्ञान दिवस 10 नवंबर 2002 को यूनेस्को के तत्वावधान में दुनिया भर में मनाया गया था। इस आयोजन में सरकारी, अंतर-सरकारी और गैर-सरकारी संगठन, यूनेस्को राष्ट्रीय आयोग, वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थान, पेशेवर संघ, मीडिया, विज्ञान शिक्षक और स्कूल जैसे कई सहयोगी शामिल थे। विज्ञान को समाज के साथ और भी गहराई से जोड़कर, शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नागरिकों को विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास की जानकारी मिलती रहे। यह इस बात पर भी ज़ोर देता है कि वैज्ञानिक उस अद्भुत, नाज़ुक ग्रह, जिसे हम अपना घर कहते हैं, के बारे में हमारी समझ को व्यापक बनाने और हमारे समाजों को और भी टिकाऊ बनाने में क्या भूमिका निभाते हैं। यह दिवस शांति और विकास के लिए विज्ञान के विषय पर सभी हितधारकों को एकजुट करने का अवसर प्रदान करता है – सरकारी अधिकारियों से लेकर मीडिया और स्कूली छात्रों तक। यूनेस्को सभी को इस दिन अपना स्वयं का कार्यक्रम या गतिविधि आयोजित करके शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस मनाने में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है।

विश्व टीकाकरण दिवस

विश्व टीकाकरण दिवस, जो हर साल 10 नवंबर को मनाया जाता है , विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा टीकों और टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा 2012 में विश्व टीकाकरण दिवस की शुरुआत दुनिया भर में टीकाकरण दर बढ़ाने और सार्वभौमिक टीकाकरण कवरेज हासिल करने की एक व्यापक रणनीति के तहत की गई थी। यह सरकारों और व्यक्तियों को घातक बीमारियों की रोकथाम में टीकों की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। टीकाकरण संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए उपलब्ध सबसे शक्तिशाली साधनों में से एक है, जो हर साल लाखों लोगों की जान बचाता है। टीके न केवल उन्हें प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की रक्षा करते हैं, बल्कि समुदायों में बीमारियों के प्रसार को भी कम करते हैं, जिससे प्रकोप के खिलाफ एक अवरोध पैदा करने में मदद मिलती है। यह दिन वैश्विक स्तर पर कार्रवाई का आह्वान है, जो लोगों, स्वास्थ्य कर्मियों, सरकारों और संगठनों से घातक बीमारियों के प्रसार को रोकने और समुदायों की रक्षा के लिए टीकाकरण प्रयासों को प्राथमिकता देने का आग्रह करता है। टीकाकरण जन स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है, और विश्व टीकाकरण दिवस इस संदेश को दुनिया भर में प्रचारित करने का एक अवसर प्रदान करता है।

विश्व नेट कैंसर दिवस

10 नवंबर को विश्व एनईटी कैंसर दिवस न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (एनईटी) के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। यह दिन एनईटी समुदाय को निदान, उपचार और अनुसंधान में सुधार के लिए एक आवाज़ भी प्रदान करता है। 2010 में, विश्व NET समुदाय संचालन समिति ने पहले विश्वव्यापी NET कैंसर जागरूकता दिवस की घोषणा की। यह दिवस हर साल 10 नवंबर को मनाया जाएगा। अंततः इस आयोजन को विश्व NET कैंसर दिवस के रूप में जाना जाने लगा। वर्तमान में, अंतर्राष्ट्रीय न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर गठबंधन (INCA) इस आयोजन का समन्वय करता है। न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर ऐसे कैंसर होते हैं जो न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाओं में शुरू होते हैं। ये कोशिकाएँ तंत्रिका कोशिकाओं के समान होती हैं क्योंकि ये तंत्रिका तंत्र में संदेश भेजती या प्राप्त करती हैं। ये विशिष्ट कोशिकाएँ हार्मोन की तरह भी काम करती हैं। न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर शरीर के कुछ हिस्सों में होते हैं, जैसे फेफड़े, अपेंडिक्स, मलाशय, छोटी आंत और अग्न्याशय। कुछ ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कुछ तेज़ी से। सामान्य लक्षणों में दर्द, त्वचा के नीचे गांठें, थकान और वज़न कम होना शामिल हैं। जब ये ट्यूमर अतिरिक्त हार्मोन उत्पन्न करते हैं, तो लक्षणों में दस्त, बार-बार पेशाब आना, प्यास बढ़ना और चक्कर आना भी शामिल हो सकते हैं।

शनिवार, 8 नवंबर 2025

9 नवंबर


9 नवंबर 

विश्व उर्दू दिवस 

विश्व उर्दू दिवस हर साल 9 नवंबर को मनाया जाता है. उर्दू एक इंडो-आर्यन भाषा है. यह भाषा दक्षिण एशिया में व्यापक रूप से बोली जाती है. पाकिस्तान की आधिकारिक राष्ट्रीय भाषा और सामान्य भाषा उर्दू है. भारत में उर्दू आठवीं अनुसूची भाषा का स्थान लेती है. नेपाल में, उर्दू एक पंजीकृत क्षेत्रीय बोली जाती है. विश्व उर्दू दिवस सर मुहम्मद इकबाल की जयंती को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है, जिनका जन्म 9 नवंबर 1877 को हुआ था. वह एक दक्षिण एशियाई मुस्लिम लेखक, दार्शनिक और राजनीतिज्ञ थे. उर्दू भाषा में उनकी कविता 20वीं सदी की महानतम कविताओं में से एक थी. ब्रिटिश शासित भारत के मुसलमानों के लिए उनकी सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि पाकिस्तान के लिए आवेग को चेतन करना था. उन्हें सम्मानित अल्लामा द्वारा संदर्भित किया गया था. 


वर्ल्ड फ्रीडम डे

विश्व स्वतंत्रता दिवस 9 नवंबर को मनाया जाने वाला एक संघीय अवकाश है । 1989 में इसी दिन इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना घटी थी जब बर्लिन की दीवार गिरा दी गई थी। इस दीवार ने लगभग तीन दशकों तक परिवारों और समुदायों को अलग-थलग रखा। आज, यह पूर्वी यूरोप में लोकतंत्र और स्वतंत्रता के उदय और साम्यवाद के पतन का प्रतीक है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बर्लिन की दीवार गिरने की याद में विश्व स्वतंत्रता दिवस की शुरुआत की गई थी। लेकिन आज यह दीवार के बारे में नहीं, बल्कि उसके गिरने के अर्थ के बारे में है। बर्लिन की दीवार को धीरे-धीरे तोड़ा गया और अंततः 9 नवंबर 1989 को गिरा दिया गया। एक साल बाद, जर्मनी फिर से एक अलग क्षेत्र बन गया। इसने पूर्वी और मध्य यूरोप में साम्यवाद के अंत का प्रतीक बनाया और सभी के लिए स्वतंत्रता सुनिश्चित की। इस अवकाश की स्थापना 2001 में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश द्वारा एक संघीय दिवस के रूप में की गई थी। 2001 में, राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 9 नवंबर को विश्व स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिन संयुक्त राज्य अमेरिका का एक संघीय दिवस है। 2001 से, जॉर्ज बुश के बाद से प्रत्येक राष्ट्रपति ने 9 नवंबर को विश्व स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित किया है।

उत्तराखंड स्थापना दिवस 

उत्तराखंड स्थापना दिवस, जिसे उत्तराखंड दिवस के नाम से भी जाना जाता है, 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड राज्य के गठन के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 9 नवंबर को मनाया जाता है। इसे उत्तर प्रदेश के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र से अलग करके बनाया गया था और इसका प्रारंभिक नाम उत्तरांचल था। हालाँकि, 2007 में इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया, जिसका अर्थ है "उत्तरी भूमि"।उत्तराखंड, जो हिमालय की गोद में बसा हुआ खूबसूरत पर्वतीय राज्य है, 9 नवंबर 2025 को अपनी रजत जयंती यानी 25 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। इस राज्य का गठन लंबी लड़ाई, आंदोलन और भारी बलिदानों के बाद 9 नवंबर 2000 को हुआ था। आरंभ में “उत्तरांचल” नाम से बने इस राज्य का 2007 में नाम बदलकर “उत्तराखंड” रखा गया क्योंकि यह नाम क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान से भली-भांति मेल खाता है। उत्तराखंड की 25 साल की यह यात्रा राजनीतिक बदलावों, आर्थिक विकास, सामाजिक संघर्ष, और पर्वतीय चुनौतियों से भरी रही है, जिसमें जनता की अपेक्षाएं और असलियत दोनों ही उजागर होती हैं। उत्तराखंड का गठन एक लंबे आंदोलन का परिणाम था, जिसमें मुख्य भूमिका 1990 के दशक की सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना, बेरोजगारी, शिक्षा-स्वास्थ्य के अभाव और क्षेत्रीय अलगाव ने निभाई। 1994 के मसूरी, खटीमा और रामपुर तिराहा जैसे गोलीकांड राज्य आंदोलन के काले अध्याय बनकर सामने आए। शहीदों के इन बलिदानों का ही परिणाम था कि 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड भारत का 27वाँ राज्य बना। राज्य बनने के बाद विभिन्न जन संगठनों और आम जनता के दबाव ने उत्तरांचल के नाम को बदलकर “उत्तराखंड” रखवाया, जो हर उत्तराखंडी के गौरव, पहचान और स्वाभिमान का प्रतीक बन गया। उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड राज्य के रूप में गठन का इतिहास 1930 के दशक से जुड़ा है, जब एक अलग पहाड़ी राज्य की मांग ने ज़ोर पकड़ा था। 1950 और 1960 के दशक में अलग पहाड़ी राज्य की माँग ज़ोर पकड़ने लगी, लेकिन 1990 के दशक तक इस आंदोलन ने गति नहीं पकड़ी। 1994 में, उत्तराखंड क्रांति दल (उत्तराखंड क्रांतिकारी पार्टी) का गठन हुआ, और यह जल्द ही राज्य आंदोलन की अग्रणी शक्ति बन गया।
1998 में, भारतीय संसद में उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक में उत्तर प्रदेश के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र को अलग करके एक नए राज्य उत्तरांचल के निर्माण का प्रस्ताव था। यह विधेयक अगस्त 1998 में लोकसभा (संसद के निचले सदन) द्वारा पारित किया गया था। लेकिन दिसंबर 1998 में राज्यसभा (संसद के उच्च सदन) में यह गिर गया। 2000 में, उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक संसद में पुनः प्रस्तुत किया गया और इस बार इसे दोनों सदनों ने पारित कर दिया। 9 नवंबर, 2000 को, उत्तरांचल को आधिकारिक रूप से एक अलग राज्य के रूप में स्थापित कर दिया गया।
क्षेत्र की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को प्रतिबिंबित करने के लिए 2007 में राज्य का नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।


विधिक सेवा दिवस 

प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (National Legal Services Day) मनाया जाता है. यह दिवस सभी नागरिकों के लिए उचित निष्पक्ष और न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (NLSD) की शुरुआत पहली बार 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिये की गई थी. कमजोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority-NALSA) का गठन किया गया है. भारत का मुख्य न्यायाधीश इसका मुख्य संरक्षक होता है. संविधान के अनुच्छेद 39 A अवसर की समानता के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने के लिये समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रावधान करता है. अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 22 (1), विधि के समक्ष समानता सुनिश्चित करने के लिये राज्य को बाध्य करता है. विधिक नियमों को बताने और समझाने के लिए हर साल 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है और भारत में विधिक सेवाओं को सही ढ़ंग से प्रस्तुत करता है ताकि नागरिक किसी भी सेवा से पीछे ना रहें।विभिन्न देशों में 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है। इसका उद्वेश्य देश के सभी नागरिकों तक पहुंचना सुनिश्चित करना है। इस दिन समाज के सुभेद्य एवं संप्रदाय वर्ग के लोगों को नि:शुल्क न्याय प्राप्ति सहायता एवं समर्थन प्रौद्योगिकी होती है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 1995 से प्रति वर्ष इस दिन की शुरुआत की गई थी। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) का गठन कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत किया गया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश NALSA के अध्यक्ष होते हैं। उल्लेखनीय है कि नालसा के लोगों को निःशुल्क कानूनी सहायता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कानूनी राज्य सेवा प्राधिकारियों और जिला कानूनी सेवा प्राधिकारियों के मध्य समन्वय स्थापित किया गया है। संविधान का न्याय सिद्धांत 39 (ए) समाज के गरीब और पक्षपाती लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव है।

विश्व दत्तक ग्रहण दिवस

हर साल 9 नवंबर को विश्व दत्तक ग्रहण दिवस, गोद लिए गए बच्चों को अपनी कहानियाँ साझा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह दत्तक माता-पिता के लिए दूसरों से जुड़ने और अपनी दत्तक ग्रहण यात्रा पर विचार करने का भी दिन है। हैंक फोर्टनर ने 2014 में विश्व दत्तक ग्रहण दिवस की स्थापना की थी। उन्होंने गोद लेने के लिए क्राउडफंडिंग प्लेटफ़ॉर्म, एडॉप्टटुगेदर, की भी स्थापना की थी। इस दिन का उनका लक्ष्य दुनिया में अनाथ बच्चों की संख्या कम करने और हर बच्चे के लिए एक परिवार प्रदान करने के अपने मिशन के लिए समर्थन जुटाना है। गोद लेना एक खूबसूरत प्रक्रिया है, लेकिन यह जानकर दुख भी होता है कि कितने बच्चों को घर की ज़रूरत है। संयुक्त राष्ट्र बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) के अनुसार, दुनिया भर में 15 करोड़ से ज़्यादा बच्चों को घर की ज़रूरत है। इस संख्या में लगभग पाँच लाख बच्चे शामिल हैं जो अमेरिकी पालक प्रणाली में हैं। बांझपन की पीड़ा झेल रहे जोड़ों के लिए, गोद लेना माता-पिता बनने का एक शानदार तरीका हो सकता है। हालाँकि, कई अन्य प्रकार के लोग भी हैं जो हर साल बच्चों को गोद लेते हैं। हो सकता है कि वे किसी ज़रूरतमंद बच्चे को घर देना चाहते हों। या हो सकता है कि किसी महिला को कोई ऐसी स्वास्थ्य समस्या हो जिसके कारण उसे बच्चा पैदा करना खतरनाक हो। कुछ लोग इसलिए गोद लेते हैं क्योंकि वे अविवाहित हैं, लेकिन फिर भी बच्चे पैदा करना चाहते हैं।

शुक्रवार, 7 नवंबर 2025

8 नवंबर


8 नवंबर 

अंतर्राष्ट्रीय रेडियोलॉजी दिवस (आईडीओआर) / विश्व रेडियोग्राफी दिवस

विश्व रेडियोग्राफी दिवस प्रतिवर्ष 8 नवम्बर को विल्हेम कॉनराड रोएंटजन द्वारा 1895 में एक्स-रे की खोज के सम्मान में मनाया जाता है। रोएंटजेन की अभूतपूर्व खोज ने चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति ला दी और आधुनिक नैदानिक इमेजिंग तकनीकों का मार्ग प्रशस्त किया जिनका आज दुनिया भर में उपयोग किया जाता है। यह दिन रेडियोलॉजी में प्रगति और इस क्षेत्र में निरंतर शिक्षा एवं नवाचार के महत्व पर भी प्रकाश डालता है। विश्व रेडियोग्राफी दिवस मनाने से रेडियोलॉजिकल पेशेवरों के योगदान, रोगी देखभाल में रेडियोलॉजी के महत्व और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए इमेजिंग तकनीकों के निरंतर विकास के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलती है। यह दिन रेडियोलॉजिक टेक्नोलॉजिस्ट और रेडियोग्राफरों की स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने का एक अवसर है, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि मरीजों को एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड जैसी इमेजिंग तकनीकों के माध्यम से सटीक निदान और प्रभावी उपचार मिले। रेडियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (आरएसएनए), यूरोपियन सोसायटी ऑफ रेडियोलॉजी (ईएसआर) और अमेरिकन कॉलेज ऑफ रेडियोलॉजी (एसीआर) आपको 8 नवंबर को वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय रेडियोलॉजी दिवस (आईडीओआर) मनाने में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं। यही वह दिन है जब 1895 में विल्हेम कॉनराड रॉन्टजन ने एक्स-रे के अस्तित्व की खोज की थी। यह चिकित्सा इमेजिंग की आश्चर्यजनक चिकित्सा, वैज्ञानिक और कलात्मक संभावनाओं को साझा करके और अनगिनत चिकित्सा परिदृश्यों में रेडियोलॉजिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालकर रेडियोलॉजी का जश्न मनाने का सही समय है। आईडीओआर रेडियोलॉजी अनुसंधान में अनेक नवाचारों को मान्यता देता है, जिन्होंने आधुनिक चिकित्सा में क्रांति ला दी है, महान तकनीकी प्रगति की है, अधिक प्रभावी और कुशल देखभाल को संभव बनाया है तथा अनगिनत लोगों की जान बचाई है। मेडिकल इमेजिंग स्वास्थ्य सेवा के सबसे रोमांचक और प्रगतिशील क्षेत्रों में से एक है। हालाँकि एक्स-रे, एमआरआई स्कैन, अल्ट्रासाउंड और अन्य मेडिकल इमेजिंग तकनीकों के बारे में बहुत से लोग जानते हैं, लेकिन मरीज़ों की देखभाल पर उनके महत्व और प्रभाव को व्यापक रूप से नहीं समझा जाता है। इसीलिए 2012 में IDoR की शुरुआत की गई थी - रेडियोलॉजी और मरीज़ों की देखभाल में रेडियोलॉजिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए।

विश्व शहरीकरण दिवस

8 नवंबर को विश्व शहरीकरण दिवस, नियोजन और रहने योग्य समुदायों के निर्माण की भूमिका को मान्यता देता है और उसे बढ़ावा देता है। इस दिन को विश्व नगर नियोजन दिवस के रूप में भी जाना जाता है। ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय के दिवंगत प्रोफेसर कार्लोस मारिया डेला पाओलेरा ने 1949 में विश्व नगर नियोजन दिवस की स्थापना की थी। वे एक सिविल इंजीनियर और अर्जेंटीना की राष्ट्रीय भूगोल समिति के सदस्य भी थे। बाद के वर्षों में, इस दिन को विश्व नगरीकरण दिवस के रूप में भी जाना जाने लगा। आज चार महाद्वीपों के 30 से ज़्यादा देश इसमें भाग लेते हैं। शहरीकरण शब्द यह बताता है कि शहरी क्षेत्रों के निवासी निर्मित पर्यावरण के साथ किस प्रकार अंतःक्रिया करते हैं। शहरी क्षेत्र, कस्बे, शहर और अधिक जनसंख्या वाले अन्य स्थान होते हैं। शहरी नियोजन का प्राथमिक उद्देश्य समुदाय को स्वस्थ और अपने निवासियों के लिए रहने योग्य बनाना है। शहरी नियोजन व्यवस्थित विकास को भी सुनिश्चित करता है। हर साल 8 नवंबर को, इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ सिटी एंड रीजनल प्लानर्स (ISOCARP) द्वारा दुनिया भर में विश्व शहरीकरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन को "विश्व नगर नियोजन दिवस" के रूप में भी जाना जाता है। इसका मुख्य लक्ष्य रहने योग्य समुदायों के विकास में नियोजन के महत्व को पहचानना और बढ़ावा देना है। विश्व शहरीकरण दिवस, जिसे "विश्व नगर नियोजन दिवस" के रूप में भी जाना जाता है, 1949 में एक अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा स्थापित किया गया था।
हर 8 नवंबर को, यह चार महाद्वीपों के 30 से अधिक देशों में मनाया जाता है।

भारत में नोटबंदी दिवस 

8 नवंबर का दिन फिलहाल भारत के लिए बेहद खास है. 2016 में इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात आठ बजे नोटबंदी का ऐलान किया था. उनके इस ऐलान से देशभर में खलबली मच गई थी. राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्होंने 500 और 1000 रुपये के नोटों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का ऐलान कर दिया था.


स्टेम/स्टीम दिवस

8 नवंबर को राष्ट्रीय STEM/STEAM दिवस, आगे बढ़ते हुए STEAM के लिए आह्वान करता है! यह दिन बच्चों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला और गणित में अपनी रुचियों को तलाशने और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। MGA एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित प्रोजेक्ट Mc² ब्रांड से प्रेरित, STEAM-आधारित फ्रैंचाइज़ी में चार बेहद स्मार्ट लड़कियाँ हैं जो NOV8 (अर्थात "इनोवेट") नामक एक अति-गुप्त जासूसी संगठन का हिस्सा हैं। 2015 में, एमजीए एंटरटेनमेंट ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला और गणित की दुनिया में छात्रों को प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय STEM/STEAM दिवस की स्थापना की। 8 नवंबर की तारीख उस अति-गुप्त संगठन, NOV8 के लिए शब्दों का एक खेल है, जो इसे नवाचार को प्रेरित करने के लिए एकदम सही तारीख बनाता है !

राष्ट्रीय कैपुचीनो दिवस 

8 नवंबर को राष्ट्रीय कैपुचीनो दिवस के अवसर पर झागदार स्वादिष्टता के एक कप का आनंद लें! डबल एस्प्रेसो, उबला हुआ दूध और झाग। यह आश्चर्यजनक है कि ये साधारण सामग्रियाँ हमें इतनी खुशी दे सकती हैं! दिन की शुरुआत झागदार कैपुचीनो के एक कप से करें, या रात के खाने के बाद एक गरमागरम, आरामदायक कप के साथ एक स्वादिष्ट मिठाई के साथ आराम करें। अपुष्ट किंवदंती है कि 17वीं सदी के एक भिक्षु मार्को डी'एवियानो ने 1683 में वियना की लड़ाई के बाद पहली बार कैपुचीनो का आविष्कार किया था। कई इतिहासकार इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि कैपुचीनो की उत्पत्ति कैथोलिक चर्च के भिक्षुओं, यानी कैपुचिन भिक्षुओं के एक उपसमूह से हुई थी। लेकिन कॉफ़ी एक वैश्विक पेय होने के नाते, वियना में हमेशा से ही अपनी जगह बनाए हुए है। 1805 तक, कैपुचीनो का एक प्रारंभिक संस्करण, जिसे "कपुज़िनर" के नाम से भी जाना जाता है, विनीज़ कॉफ़ी हाउसों में दिखाई देने लगा। ये पेय "क्रीम और चीनी वाली कॉफ़ी" थे। लेकिन कैपुचीनो नाम वर्णनात्मक है। यह 17वीं सदी के इटली के कैपुचिन भिक्षुओं द्वारा पहने जाने वाले हुड वाले फ़्रॉक या "कैपुचिनी" के गहरे, भूरे रंग को दर्शाता है। 1901 में, इतालवी आविष्कारक लुइगी बेज़ेरा ने एस्प्रेसो मशीन के लिए पहला पेटेंट दायर किया। इससे इस स्वादिष्ट पेय की व्यापक माँग पैदा हुई।

गुरुवार, 6 नवंबर 2025

7 नवंबर


7 नवंबर 

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 2014 से हर साल 7 नवंबर को भारत में मनाया जाता है ताकि कैंसर का शीघ्र पता लगाने, रोकथाम और उपचार के बारे में जन जागरूकता पैदा की जा सके। सितंबर 2014 में, राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस की शुरुआत भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा की गई थी। सितंबर 2014 में, एक समिति का गठन किया गया और निर्णय लिया गया कि विभिन्न कैंसर की गंभीरता, उनके लक्षणों और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से भारत में हर साल 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाएगा। भारत दुनिया का पहला देश है जिसने आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस को मान्यता दी है। यह तिथि न केवल नोबेल पुरस्कार विजेता मैडम मैरी क्यूरी के जन्मदिन के सम्मान में चुनी गई थी, जिन्होंने रेडियोधर्मिता की खोज की थी और जिनके कार्यों का कैंसर के उपचार पर गहरा प्रभाव पड़ा है, बल्कि यह कैंसर को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में संबोधित करने की भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इस दिन, विभिन्न स्वास्थ्य सेवा संगठन, सरकारी एजेंसियां और गैर-लाभकारी समूह राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस को चिह्नित करने के लिए जागरूकता अभियान, सेमिनार और स्क्रीनिंग आयोजित करने के लिए सहयोग करते हैं और देश भर में कैंसर के बोझ को कम करने की दिशा में काम करते हैं। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस, प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता मैडम क्यूरी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उनका जन्म 1867 में हुआ था और उन्हें उनकी कई अभूतपूर्व खोजों के लिए याद किया जाता है, जिन्होंने कैंसर के खिलाफ चल रही लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके उत्कृष्ट शोध ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में विकास और कैंसर के इलाज के लिए रेडियोथेरेपी के उपयोग में मदद की है। इस प्रकार, राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस न केवल मैडम क्यूरी को श्रद्धांजलि है, बल्कि कैंसर से लड़ने की हमारी क्षमता पर उनके वैज्ञानिक प्रयासों के व्यापक प्रभाव की याद भी दिलाता है। यह ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र को आगे बढ़ाने और इस बीमारी से प्रभावित अनगिनत लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के सम्मान का दिन है।

अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा भौतिकी दिवस

हर साल 7 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा भौतिकी दिवस, रोगी देखभाल में भौतिकी की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। यह इतिहास के महत्वपूर्ण चिकित्सा भौतिकविदों को याद करने का भी दिन है। अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा भौतिकी संगठन (IOMP) 2012 से इस वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन करता आ रहा है। उन्होंने 7 नवंबर की तारीख इसलिए चुनी क्योंकि 1867 में इसी दिन भौतिक विज्ञानी मैरी स्क्लोडोवस्का-क्यूरी का पोलैंड में जन्म हुआ था। मैडम क्यूरी के नाम से भी जानी जाने वाली, वह रेडियोधर्मिता पर अपने अग्रणी शोध के लिए जानी जाती हैं। रेडियोलॉजी और न्यूक्लियर मेडिसिन, चिकित्सा के लिए भौतिकी के अत्यधिक लाभकारी क्षेत्रों में से एक हैं। चिकित्सा के ये दोनों क्षेत्र एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जैसे महत्वपूर्ण नैदानिक परीक्षणों की अनुमति देते हैं। इन परीक्षणों से शरीर के अंदरूनी हिस्से को देखना संभव हो जाता है, जो सही निदान के लिए अमूल्य है। विकिरण चिकित्सा भी अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि यह कैंसर के उपचार में सहायक है। चिकित्सा भौतिकी ने चिकित्सा के अन्य क्षेत्रों में भी अनुसंधान, परीक्षण और उपचार को आगे बढ़ाने में मदद की है। इन क्षेत्रों में कार्डियोलॉजी, न्यूरोफिज़ियोलॉजी, ऑडियोलॉजी और फिजियोलॉजिकल मॉनिटरिंग शामिल हैं।

शिशु संरक्षण दिवस 

शिशुओं की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 7 नवंबर को बाल संरक्षण दिवस मनाया जाता है। यह दिन शिशुओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। यह दिन नवजात शिशुओं और शिशुओं के सामने आने वाली कमजोरियों और उनके भविष्य की सुरक्षा में समाज की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है। बाल संरक्षण दिवस की शुरुआत सबसे पहले 1990 में यूरोपीय देशों द्वारा की गई थी। मां और बच्चे का संबंध बेहद खास होता है इसकी मिसाल तो समस्त सृष्टि जानती है। शिशु की सुरक्षा और देखभाल माता की जिम्मेदारी होती है इसे ही बताने के लिए हर साल इन्फेंट प्रोटेक्शन डे यानी शिशु सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य शिशु की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है यहां पर नवजात शिशु के लिए सुरक्षा का कवच माता का दूध होता है। इस दूध में फैट, शुगर, पानी और प्रोटीन की सही मात्रा होती है जो शिशु को सेहतमंद मनाती है। नवजात शिशु बीमारियों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, इसलिए इन देशों और अमेरिका ने 7 नवंबर को शिशु सुरक्षा दिवस के रूप में घोषित किया। इस दिन को खास तौर पर बाल संरक्षण और कल्याण के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय पहलों द्वारा चिह्नित किया गया था। इसके अलावा विभिन्न राष्ट्रीय और वैश्विक संगठन जागरूकता अभियान चलाने के लिए मिलकर काम करते हैं जो बाल शोषण जैसे मुद्दों को संबोधित करते हैं और शिशुओं के लिए रहने की स्थिति को बेहतर बनाते हैं। वे बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक समान पहुँच सुनिश्चित करते हैं।

विद्यार्थी दिवस (महाराष्ट्र)

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के विद्यालय प्रवेश दिवस 7 नवंबर को विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जाता है। 'विद्यार्थी दिवस' मनाने का निर्णय महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा 27 अक्तुबर 2017 को लिया गया गया है।इस दिन महाराष्ट्र के सभी विद्यालयों एवं कनिष्ठ महाविद्यालयों में भीमराव आंबेडकर के जीवन पर आधारित व्याख्यान, निबंध, प्रतियोगितायें, क्विज कॉम्पिटिशन, कविता पाठ सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। आंबेडकर ने सतारा शहर में राजवाड़ा चौक पर स्थित गव्हर्नमेंट हाईस्कूल अब 'प्रतापसिंह हाईस्कूल') में 7 नवंबर 1900 के दिन प्रथम बार स्कूल की अंग्रेजी पहली कक्षा में प्रवेश लिया था। इसी दिन से उनके शैक्षिक जीवन की शुरुआत हुई थी, उस समय उन्हें 'भीमा' कहकर बुलाया जाता था। स्कूल में उस समय 'भिवा रामजी आंबेडकर' यह उनका नाम रजिस्टर में क्रमांक - 1914 पर अंकित था। जिसके सामने आज भी बालक भीमराव के हस्ताक्षर मौजूद हैं। इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ को स्कूल प्रशासन ने सम्मान और गर्व के साथ सहेज रखा है। इस घटना के स्मरण के रूप में और विद्यार्थीओं को ‘केवल शिक्षा ही उन्नती का एकमात्र साधन है, और इसके कठीन परिश्रम की जानकारी मिलने हेतू’ महाराष्ट्र सरकार ने इस दिवस को विद्यार्थी दिवस ठहराया।

राष्ट्रीय श्वान जागरूकता लिम्फोमा दिवस 

टेरी सिमंस ने कैनाइन लिंफोमा के बारे में जानकारी फैलाने के लिए 2015 में राष्ट्रीय कैनाइन लिंफोमा दिवस की स्थापना की। उनके प्यारे कुत्ते, रेवेली ने उन्हें CLEAR बनाने के लिए प्रेरित किया। क्लियर - कैनाइन लिंफोमा शिक्षा जागरूकता और अनुसंधान, कैनाइन लिंफोमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। शिक्षा के माध्यम से, हम कुत्ते के मालिकों को सशक्त बनाते हैं। अनुसंधान के माध्यम से, हम इस विनाशकारी बीमारी का इलाज ढूंढते हैं। 2011 में, जाने-माने और सम्मानित डॉग एजिलिटी ट्रेनर और प्रतियोगी, टेरी सिमंस को एक बेहद दुखद खबर मिली। पशुचिकित्सक ने साइमन के "दिल और आत्मा" कुत्ते, रेवेली को लिम्फोमा होने का निदान किया। एक शिक्षित कुत्ते के मालिक के रूप में, टेरी ने रेवेली के लिए हर संभव प्रयास किया। हालाँकि, उन्हें जल्द ही पता चला कि विकल्पों और उपचार के बारे में सटीक जानकारी कितनी दुर्लभ हो सकती है। जल्द ही, टेरी ने पेशेवरों से संपर्क किया। उन्होंने उसे अपने प्यारे साथी के लिए सबसे अच्छा रास्ता चुनने में मदद की। 

राष्ट्रीय कैश बैक दिवस

नवंबर के पहले गुरुवार को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय कैश बैक दिवस हम सभी के अंदर छिपे समझदार खरीदार की याद दिलाता है। यह खास ऑफर्स का एक बड़ा दिन है जो आपको कैश बैक का तोहफा देता है। रिटेलमीनॉट ने 2019 में राष्ट्रीय कैश बैक दिवस की शुरुआत की ताकि खरीदारों को कैश बैक का उपहार देकर उनका सम्मान किया जा सके। सैकड़ों खुदरा विक्रेता कैश बैक दिवस में भाग ले रहे हैं ताकि खरीदारों को अपनी छुट्टियों की सूची में पहले से ही शामिल होने में मदद मिल सके। कैश बैक दिवस के साथ, खरीदार सीज़न की शुरुआत में पैसे बचा सकते हैं और फिर छुट्टियों से ठीक पहले किसी भी आखिरी मिनट की ज़रूरी चीज़ों के लिए या छुट्टियों के बाद की सेल के दौरान खुद पर खर्च करने के लिए भुगतान प्राप्त कर सकते हैं। रिटेलमीनॉट, इंक . एक अग्रणी बचत केंद्र है, जो खुदरा विक्रेताओं, ब्रांडों, रेस्टोरेंट और फ़ार्मेसीज़ के साथ बचत के ज़रिए लोगों और उनकी पसंदीदा चीज़ों को एक साथ लाता है। रिटेलमीनॉट ऑनलाइन और इन-स्टोर कूपन कोड, कैश बैक ऑफ़र, गिफ्ट कार्ड डील्स और रिटेलमीनॉट जिनी ब्राउज़र एक्सटेंशन के ज़रिए रोज़मर्रा की ज़िंदगी को और भी किफ़ायती बनाता है।