रविवार, 27 सितंबर 2009

"सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना..."- पाश

"मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं
होती,
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं
होती,
गद्दारी, लोभ का मिलना सबसे
खतरनाक नहीं होता,
सोते हुये से पकडा जाना बुरा तो
है,
सहमी सी चुप्पी में जकड जाना
बुरा तो है,
पर सबसे खतरनाक नहीं होता,

सबसे खतरनाक होता है मुर्दा
शान्ति से भर जाना,
न होना तडप का सब कुछ सहन कर
जाना,
घर से निकलना काम पर और काम से
लौट कर घर आना,
सबसे खतरनाक होता है, हमारे
सपनों का मर जाना ।

सबसे खतरनाक होती है, कलाई पर
चलती घडी, जो वर्षों से स्थिर
है।
सबसे खतरनाक होती है वो आंखें
जो सब कुछ देख कर भी पथराई सी है,
वो आंखें जो संसार को प्यार से
निहारना भूल गयी है,
वो आंखें जो भौतिक संसार के
कोहरे के धुंध में खो गयी हो,
जो भूल गयी हो दिखने वाली
वस्तुओं के सामान्य
अर्थ और खो गयी हो व्यर्थ के खेल
के वापसी में ।

सबसे खतरनाक होता है वो चांद, जो
प्रत्येक हत्या के बाद उगता है
सूने हुए आंगन में,
जो चुभता भी नहीं आंखों में,
गर्म मिर्च के सामान
सबसे खतरनाक होता है वो गीत जो
मातमी विलाप के साथ कानों में
पडता है,
और दुहराता है बुरे आदमी की
दस्तक, डरे हुए लोगों के दरवाजे
पर ।"

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