सोमवार, 14 अप्रैल 2025

15 अप्रैल


15 अप्रैल 
विश्व कला दिवस 
हर साल 15 अप्रैल को विश्व कला दिवस मनाने से कलात्मक कृतियों और समाज के बीच संबंधों को मजबूत करने, कलात्मक अभिव्यक्तियों की विविधता के बारे में अधिक जागरूकता को बढ़ावा देने और सतत विकास में कलाकारों के योगदान को उजागर करने में मदद मिलती है। यह स्कूलों में कला शिक्षा पर प्रकाश डालने का भी अवसर है, क्योंकि संस्कृति समावेशी और न्यायसंगत शिक्षा का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
विश्व कला दिवस, कला के विकास, प्रसार और आनंद को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाने वाला उत्सव, 2019 में यूनेस्को के आम सम्मेलन के 40 वें सत्र में घोषित किया गया था । कला दुनिया भर के सभी लोगों के लिए रचनात्मकता, नवाचार और सांस्कृतिक विविधता का पोषण करती है और ज्ञान साझा करने और जिज्ञासा और संवाद को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

गुरु नानक जयंती 
 15 अप्रैल 1469 को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म हुआ था। उन्होंने धार्मिक सौहार्द्र को सर्वोपरि बताया और सिख धर्म की नींव रखी। वह कई भाषाओं के ज्ञाता थे और उन्होंने दुनिया के विविध स्थानों की यात्राएं कीं। 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी राय भोइ की(अब पाकिस्तान में), जिसे अब ननकाना साहिब कहा जाता है, में बाबा मेहता कालू और माता तृप्ता के यहां जन्मे बालक को नानक का नाम दिया गया। उस समय कौन जानता था कि यह बालक विश्व भर में सिखों के प्रथम गुरु के रूप में पूजनीय होगा। उन्होंने धार्मिक सौहार्द्र को सर्वोपरि बताया और सिख धर्म की नींव रखी। 

हिमाचल दिवस 
15 अप्रैल को प्रतिवर्ष हिमाचल दिवस के रूप में मनाया जाता है.15 अप्रैल 1948 को पहाड़ी क्षेत्र की 30 रियासतें आजाद भारत में शामिल हुई और हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ. 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य बना और हिमाचल प्रदेश को “ग\” श्रेणी का राज्य बनाया गया. उसके बाद 1 नवम्बर, 1956 को हिमाचल प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया।1966 में पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को हिमाचल प्रदेश में शामिल किया गया। 18 दिसम्बर, 1970 को संसद ने हिमाचल प्रदेश अधिनियम पारित किया तथा 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल प्रदेश पूर्ण राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। हिमाचल प्रदेश भारत का 18वां राज्य था। तब से लेकर आज तक हिमाचल प्रदेश विकास की राह पर लगातार अग्रसर है.हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार को हिमाचल निर्माता भी कहा जाता है. डॉ. परमार का हिमाचल निर्माण में बहुत बड़ा योगदान रहा है. हिमाचल प्रदेश भारत के उत्तरी भाग में स्थित है। इसके उत्तर में जम्मू-कश्मीर, पश्चिम में पंजाब, दक्षिण-पश्चिम में हरियाणा, दक्षिण—पूर्व में उत्तराखंड तथा पूर्व में तिब्बत स्थित है। हिमाचल प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किलोमीटर है।


रविवार, 13 अप्रैल 2025

14 अप्रैल


14 अप्रैल 
अंबेडकर जयंती 
हर साल 14 अप्रैल के दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है. इस दिन को भीम जयंती के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन 'भारतीय संविधान के जनक' डॉ. भीम राव के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. साल 1891 में जन्मे अंबेडकर न केवल भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता थे, बल्कि स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री, न्यायविद, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक भी थे. ऐसे में हर साल उनकी जयंती को पूरे देश में पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है. अंबेडकर जयंती पहली बार 14 अप्रैल 1928 को पुणे में मनाई गई थी. इसकी पहल सामाजिक कार्यकर्ता जनार्दन सदाशिव रणपिसे ने की थी. तब से यह परंपरा हर साल चलती आ रही है और आज यह न केवल भारत में बल्कि विश्वभर के कई देशों में बसे भारतीय समुदायों द्वारा भी मनाई जाती है.अंबेडकर जयंती का मुख्य उद्देश्य समाज में समानता, भाईचारा और न्याय के विचारों को फैलाना है. डॉ. अंबेडकर ने संविधान निर्माण में जो योगदान दिया, वह भारत को एक आधुनिक, लोकतांत्रिक और समतावादी राष्ट्र बनाने की नींव था. उन्होंने महिलाओं, पिछड़े वर्गों और दलित समुदाय को अधिकार दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. उनका कहना था, 'शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो.' यह संदेश आज भी लोगों को प्रेरित करता है.

विश्व क्वांटम दिवस 
14 अप्रैल को विश्व क्वांटम दिवस (World Quantum Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूकता और समझ को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है. 14 अप्रैल को विश्व क्वांटम दिवस के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि प्लैंक स्थिरांक (Planck constant), जो क्वांटम यांत्रिकी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण संख्या है, का पहला अंक "4.14" है. क्वांटम यांत्रिकी परमाणुओं और कणों का विज्ञान है - जो दुनिया के निर्माण खंड हैं। क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग करके, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने क्रांतिकारी तकनीकें बनाई हैं जो हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, हमारे स्मार्टफ़ोन और कंप्यूटर में अर्धचालक चिप्स आंशिक रूप से क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग करके काम करते हैं। क्वांटम यांत्रिकी की हमारी समझ के आधार पर लेजर, एलईडी लाइट और एलईडी मॉनिटर विकसित किए गए थे। ग्लोबल पोजिशन सिस्टम (GPS) जो हमें दुनिया को नेविगेट करने में मदद करता है, अल्ट्रा-सटीक परमाणु घड़ियों के क्वांटम यांत्रिकी पर निर्भर करता है। अस्पतालों में चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) स्कैनर क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग करते हैं। क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम सेंसर और क्वांटम संचार उपकरण जैसी भविष्य की तकनीकें नए और विघटनकारी अनुप्रयोग भी पेश कर सकती हैं। इस दिन का उद्देश्य क्वांटम यांत्रिकी के प्रति रुचि जगाना और उत्साह उत्पन्न करना है।2025 में क्वांटम मैकेनिक्स के 100 साल पूरे हुए। 14 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व क्वांटम दिवस, 65 से अधिक देशों के क्वांटम वैज्ञानिकों की एक पहल है, जिसका उद्देश्य क्वांटम भौतिकी के बारे में लोगों की समझ को बढ़ावा देना है। अमेरिकी सीनेट ने 2 मई 2023 को विश्व क्वांटम दिवस मनाने और उसका समर्थन करने के लिए एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी ।



शनिवार, 12 अप्रैल 2025

13 अप्रैल


13 अप्रैल 
 जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस
जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत की आजादी के इतिहास की वो दुखद घटना है, जो 13 अप्रैल 1919 को  घटना घटी थी। इस दिन पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित जलियांवाला बाग में निहत्थे मासूमों का भयानक कत्लेआम हुआ था। अंग्रेजों ने निहत्थे और मासूम भारतीयों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं। यह घटना अमृतसर हत्याकांड के रूप में भी जाना जाती है। तब देश में  रोलेट एक्ट के विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे थे। बैसाखी के ही दिन, 13 अप्रैल 1919 को समूचे देश के साथ अमृतसर के जलियांवाला बाग में भी रौलेट एक्ट के विरोध में शांतिपूर्वक प्रदर्शन के लिए हजारों लोग इकट्ठा हुए थे। इस दौरान ही अचानक वहां दल-बल के साथ अंग्रेज ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर पहुंच गया, जिसने कोई भी चेतावनी दिए बिना ही निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोली चलाने का आदेश दे दिया। बाहर निकलने के रास्ते बंद कर दिए गए थे। करीब 10 मिनट तक गोलियां चलती रहीं। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रहे थे, कई कुएं में भी कूद गए लेकिन फिर भी जान बचाने में नाकाम रहे। जलियांवाला बाग में अंग्रेजों द्वारा किए गए नरसंहार का बदला बाद में ऊधम सिंह ने लिया।

सियाचिन दिवस 
हर साल 13 अप्रैल को भारतीय सेना द्वारा सियाचिन दिवस (Siachen Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें 1984 में ऑपरेशन मेघदूत की सफलता की याद दिलाता है। बता दें कि ऑपरेशन मेघदूत के तहत भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र , सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण हासिल किया था। इस दिन, भारतीय सेना द्वारा सियाचिन ग्लेशियर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। 1970 के दशक से भारत और पाकिस्तान के बीच इस पर विवाद चल रहा था। अंततः भारत की जीत हुई। यह दिन सियाचिन की बर्फीली चोटियों पर नियंत्रण करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। यह दिन हमें भारतीय जवानों द्वारा दिखाए गए साहस और धैर्य की याद दिलाता है।

अंतरराष्ट्रीय पगड़ी दिवस 
सिखों को उनके धर्म के अनिवार्य भागों के रूप में पगड़ी लगाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता के लिए 2004 से हर साल 13 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय पगड़ी दिवस (अंतर्राष्ट्रीय पगड़ी दिवस) मनाया जाता है। पगड़ी सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह सिख धर्म के सिद्धांतों का पालन करने और अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखने का प्रतीक है. 13 अप्रैल को बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है, जो सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह दिन सिख समुदाय के लिए एकता और भाईचारा का संदेश देता है. इस दिन 13 अप्रैल 1699 को, दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की। जिससे यह दुनिया भर के सिखों के लिए एक प्रमुख तारीख बन गई। और इसी के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 13 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय पगड़ी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
 

अंतरराष्ट्रीय जाट दिवस 
13 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय जाट दिवस मनाया जाता है।जलियांवाला बाग हत्याकांड में सबसे ज्यादा जाट समाज ने कुर्बानियां दी थी, इन कुर्बानियों की याद में 13 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय जाट दिवस (अंतरराष्ट्रीय जाट दिवस) मनाया जाता है।इसके अलावा इन दिनों खरीफ की फसल का लगभग काम पूरा हो चुका होता है और किसान रबी की फसल बोने की तैयारी करते हैं और जाट समाज के ज्यादातर लोग कृषि से जुड़े हुए हैं तो वह अपने पूर्वजों को याद करके अप्रैल महीने में फिर से रबी की फसल बोने की तैयारी करते हैं इसीलिए अप्रैल में इंटरनेशनल जाट दिवस मनाया जाता है। इस दिन जाट समुदाय के लोग जगह-जगह कार्यक्रम करते हैं और अपने समाज से जुड़े हुए नेताओं और महान हस्तियों को याद करते हुए पुष्प अर्पित करते हैं।

शुक्रवार, 11 अप्रैल 2025

12 अप्रैल


12 अप्रैल 
अंतरराष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष उड़ान दिवस 
International Day of Human Space Flight
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 अप्रैल 2011 के अपने संकल्प A/RES/65/271 में 12 अप्रैल को  अंतर्राष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष उड़ान दिवस के रूप में घोषित किया था  , "ताकि प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव जाति के लिए अंतरिक्ष युग की शुरुआत का जश्न मनाया जा सके, सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और राज्यों और लोगों की भलाई बढ़ाने में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण योगदान की पुष्टि की जा सके, साथ ही शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष को बनाए रखने की उनकी आकांक्षा की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके।" 12 अप्रैल 1961 को सोवियत नागरिक यूरी गगारिन ने पहली बार अंतरिक्ष में मानव उड़ान भरी थी। इस ऐतिहासिक घटना ने पूरी मानवता के लाभ के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण का रास्ता खोल दिया।4 अक्टूबर 1957 को पहला मानव निर्मित पृथ्वी उपग्रह स्पुतनिक I बाहरी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण का मार्ग खुल गया। 12 अप्रैल 1961 को, यूरी गगारिन पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले पहले मानव बने, जिसने बाहरी अंतरिक्ष में मानव प्रयास का एक नया अध्याय खोला।घोषणापत्र में आगे "बाह्य अंतरिक्ष में मानव उपस्थिति के अद्भुत इतिहास और प्रथम मानव अंतरिक्ष उड़ान के बाद की उल्लेखनीय उपलब्धियों, विशेष रूप से 16 जून 1963 को वैलेंटिना तेरेश्कोवा का पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली प्रथम महिला बनना, 20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रांग का चंद्रमा की सतह पर कदम रखने वाला प्रथम मानव बनना, तथा 17 जुलाई 1975 को अपोलो और सोयूज अंतरिक्षयानों का डॉकिंग होना, जो अंतरिक्ष में पहला अंतर्राष्ट्रीय मानव मिशन था, का स्मरण किया गया है और स्मरण कराया गया है कि पिछले एक दशक से मानवता ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बाह्य अंतरिक्ष में एक बहुराष्ट्रीय स्थायी मानव उपस्थिति बनाए रखी है।"

गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

11 अप्रैल


11 अप्रैल 
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस
National Safe Motherhood Day 
हर साल 11 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस’ मनाया जाता है. इसका मकसद है जागरूकता फैलाकर मां बनने की प्रक्रिया में होने वाली मौतों पर अंकुश लगाना. 11 अप्रैल को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का जन्म हुआ था. उन्होंने देश में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अनेक कदम उठाकर उसे जमीन पर उतारने का काम किया था. व्हाइट रिबन एलायंस ने भारत सरकार के साथ मिलकर यह निर्णय लिया था कि देश में एक दिन ऐसा होना चाहिए, जिस पर माताओं के स्वास्थ्य के बारे में खुलकर चर्चा हो सके, लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाए. अंततः 11 अप्रैल का चयन किया गया. इस दिन लोगों को माताओं के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जाता है.भारत ने ही इस दिन को मनाने की पहल की थी. इस दिन हम लोगों से मातृत्व सुरक्षा के बारे में चर्चा करते हैं और आम लोगों को इसे लेकर जागरूक करते हैं. उन्होंने कहा कि इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह भी है कि हम मातृत्व मृत्यु को कम करने की कोशिश करें, ताकि माताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. 

राष्ट्रीय पालतू पशु दिवस
जानवरों को प्यार और उनकी देखभाल करने के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 11 अप्रैल को 'नेशनल पेट्स डे' यानी 'राष्ट्रीय पालतू दिवस' मनाया जाता है. इसके साथ ही अपने पालतू जानवरों (Pets) के साथ अपने रिश्ते का जश्न मनाने के लिए भी इस दिन को मनाया जाता है. पशु कल्याण अधिवक्ता और विशेषज्ञ कोलीन पेज ने 11 अप्रैल 2006 को नेशनल पेट्स डे की स्थापना की थी. राष्ट्रीय पालतू दिवस’ मनाने की शुरुआत वर्ष 2006 में कोलीन पेज ने की थी. पशु कल्याण अधिवक्ता और विशेषज्ञ कोलीन ने अपने पालतू जानवरों के साथ अपने रिश्ते का जश्न मनाने के लिए 11 अप्रैल को नेशनल पेट डे की स्थापना की थी. तब से हर वर्ष 11 अप्रैल को अमेरिका में नेशनल पेट्स डे मनाया जाने लगा. वैसे तो मुख्य तौर पर इस दिन को अमेरिका में ही मनाया जाता है. लेकिन भारत सहित इस दिन की लोकप्रियता अन्य देशों में भी बढ़ती जा रही है और लोग इस दिन को मनाने के लिए प्रयासरत देखे जाते हैं. 11 अप्रैल को राष्ट्रीय पालतू दिवस उन पालतू जानवरों को समर्पित है जिन्हें हमेशा वह साथ और ध्यान नहीं मिल पाता जिसके वे हकदार हैं। जबकि हम अपने पालतू जानवरों से हर दिन प्यार करते हैं, यह दिन अनाथ पालतू साथियों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इससे उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा और उन्हें गोद लेने के अवसर बढ़ेंगे। सेलिब्रिटी पालतू जीवनशैली विशेषज्ञ और पशु कल्याण अधिवक्ता कोलीन पेज ने 2006 में इस दिवस की स्थापना की थी। पेगे ने अन्य पालतू-जानवर संबंधित छुट्टियां भी बनाई हैं जैसे राष्ट्रीय कुत्ता दिवस और राष्ट्रीय बिल्ली दिवस। यह सभी दिन हमें पालतू जानवरों के महत्व को याद दिलाता है और उनके ख्याल रखने और उनके साथ अच्छा व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है।

विश्व पार्किंसंस दिवस
हर साल 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसंस दिवस इस प्रगतिशील तंत्रिका तंत्र विकार के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। यह आम जनता को इस बीमारी की वास्तविकता को समझने में मदद करने का दिन भी है।यूरोपीय पार्किंसंस रोग एसोसिएशन (EPDA) और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 11 अप्रैल, 1997 को विश्व पार्किंसंस दिवस की स्थापना की। 11 अप्रैल डॉ. जेम्स पार्किंसन का जन्मदिन है। वे पार्किंसंस को एक चिकित्सा स्थिति के रूप में मान्यता देने वाले पहले चिकित्सक हैं। उन्होंने 1817 में एक निबंध प्रकाशित किया था, जिसका नाम था, "एन एसे ऑन द शेकिंग पाल्सी।" 2005 में 9वें विश्व पार्किंसंस रोग दिवस सम्मेलन के दौरान, लाल ट्यूलिप को रोग के आधिकारिक प्रतीक के रूप में अपनाया गया था। पार्किंसंस फाउंडेशन के हालिया आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में 10 मिलियन से ज़्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। यह न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर तब होता है जब मस्तिष्क में न्यूरॉन्स टूट जाते हैं या मर जाते हैं। जब ये तंत्रिका कोशिकाएँ मर जाती हैं, तो यह मस्तिष्क में डोपामाइन के स्तर को कम कर देता है। डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो एक तंत्रिका कोशिका से दूसरे तंत्रिका कोशिका तक संदेश भेजता है। कम डोपामाइन का स्तर असामान्य मस्तिष्क गतिविधि का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप बिगड़ा हुआ आंदोलन होता है। यही कारण है कि कंपन आमतौर पर पार्किंसंस रोग का पहला लक्षण होता है।

10 अप्रैल


10 अप्रैल 

विश्व होम्योपैथी दिवस 
विश्व होम्योपैथी दिवस हर साल 10 अप्रैल को डॉ क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उपचार के रूप में होम्योपैथी का दो शताब्दियों से अधिक का समृद्ध इतिहास है। हमारे देश में पिछले कुछ वर्षों में इसका पोषण हो रहा है और यह हमारे स्वास्थ्य तंत्र और प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है। होम्योपैथी का शाब्दिक अर्थ है 'होमो' अर्थात समान, 'ईओ' अर्थात रोगी के लक्षण तथा 'पैथी' अर्थात पीड़ा; मूलतः यह एक जर्मन शब्द है, जिसे किसी और ने नहीं बल्कि होम्योपैथिक चिकित्सा के जनक डॉ. सैमुअल हैनीमैन ने गढ़ा था, जिनकी जयंती 10 अप्रैल को होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन होम्योपैथी को दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्वीकार करता है और यह 80 से अधिक देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। यह अत्यधिक तनुकृत पदार्थों के उपयोग पर आधारित एक उपचार है, जिसके बारे में चिकित्सकों का दावा है कि यह शरीर को स्वस्थ रख सकता है। होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973, होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली को भारत में एक मान्यता प्राप्त चिकित्सा प्रणाली बनाता है।

जल संसाधन दिवस
10 अप्रैल को जल संसाधन दिवस मनाया जाता है।
जल संसाधनों के संरक्षण और उनके सतत उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना इसका उद्देश्य है।यह दिन हमें जल संसाधनों पर विचार करने का अवसर देता है। संभव है कि आने वाला युद्ध जल के लिए ही हो वैश्विक स्थलीय जल संरक्षण में एक सेंटीमीटर प्रति वर्ष गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि भारत में जल संग्रहण की स्थिति में 3 से 4 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष गिरावट देखी जा रही है, जो चिंता जनक है। हमें जल संसाधन को बचाकर रखना होगा। इसके लिए जल बचत की आदत डालनी होगी। जल संसाधन दिवस मनाने की शुरुआत भारत में हुई, जो जल के महत्व और संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए है. 

चंपारण सत्याग्रह दिवस 
(Champaran Satyagraha ) 
चंपारण सत्याग्रह से भारत में मोहनदास करमचंद गांधी ने प्रयोगों की शुरुआत की। इसी के साथ चंपारण किसान आंदोलन (Champaran Peasant Movement ) शुरू हुआ। इसका लक्ष्य यूरोपीय बागान मालिकों के खिलाफ किसानों के बीच प्रतिरोध को जगाना था। इन बागान मालिकों ने नील की खेती के अवैध और कठोर तरीकों का इस्तेमाल एक कीमत पर किया जिसे न्याय के सिद्धांतों के अनुसार किसानों के श्रम के लिए पर्याप्त नही  माना जा सकता था, जिस अन्याय  पर  गाँधी जी ने आंदोलन करने का निश्चय किया। यह महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया भारत का पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन भी माना जाता है । महात्मा गांधी ने 10 अप्रैल 1917 को अपना चंपारण सत्याग्रह शुरू किया , और ब्रिटिश प्रशासन का बिहार के चंपारण इलाके में कई किसानों को ब्रिटिश प्रशासन के तहत अपनी संपत्ति पर नील का उत्पादन करने के लिए मजबूर किये किसानो , मजदूरों के साथ  एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के नेताओ के साथ आंदोलन कर दिया, इस अभूतपूर्व प्रकार के अहिंसक प्रतिरोध से चिंतित होने के बाद,  1 मई को भारत के गवर्नर जनरल द्वारा हस्ताक्षरित चंपारण कृषि अधिनियम 1918 (Champaran Agrarian Act 1918 in Hindi), किसानों के हितों की रक्षा करने वाले आंदोलन का एक महत्वपूर्ण परिणाम था। चम्पारण सत्याग्रह  गांधी जी के नेतृत्व में सन् 1917 में देश का किया पहला सत्याग्रह आंदोलन था। गांधी जी ने सत्याग्रह के ज़रिये लोगों को भय से लड़ना सिखाया।

बुधवार, 9 अप्रैल 2025

9 अप्रैल


9 अप्रैल 
सीआरपीएफ का शौर्य दिवस
 9 अप्रैल 1965 को गुजरात के रन फॉर कक्ष में सीआरपीएफ के जवानों ने 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। उक्त हमले में सीआरपीएफ के 6 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनकी याद में शौर्य दिवस मनाया जाता है। 9 अप्रैल 1965 को, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ जिसमें पाकिस्तानी सेना ने गुजरात के रण ऑफ कच्छ में स्थित सरदार पोस्ट पर हमला कर दिया। इस पोस्ट पर सीआरपीएफ जवानों की संख्या बहुत कम थी जबकि पाकिस्तानी सेना की संख्या अधिक थी। लेकिन सीआरपीएफ जवानों ने साहस और वीरता से पाकिस्तानी सेना का डटकर मुकाबला किया और उन्हें हमला करने से रोक दिया। हालाँकि इस युद्ध में सीआरपीएफ के 6 जवान शहीद हो गए और 34 घायल हो गए। यह एक ऐतिहासिक घटना थी जिसने इतिहास रच दिया। तब से लेकर हर साल 9 अप्रैल को बहादुर सैनिकों के सम्मान में सीआरपीएफ शौर्य दिवस मनाया जाता है।

नवकार महामंत्र दिवस
नवकार महामंत्र दिवस आध्यात्मिक सद्भाव और नैतिक चेतना का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो जैन धर्म में सबसे अधिक पूजनीय और सार्वभौमिक मंत्र- नवकार महामंत्र के सामूहिक जाप के माध्यम से लोगों को एकजुट करने का प्रयास करता है। अहिंसा, विनम्रता और आध्यात्मिक उत्थान के सिद्धांतों पर आधारित यह मंत्र प्रबुद्ध व्यक्तियों के गुणों के प्रति सम्मान व्यक्त करता है और आंतरिक परिवर्तन की प्रेरणा देता है। यह दिवस सभी व्यक्तियों को आत्म-शुद्धि, सहिष्णुता और सामूहिक कल्याण के मूल्यों पर चिंतन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। JITO (जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन) अहमदाबाद और जैन समाज द्वारा विश्व कल्याण के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाने के लिए 9 अप्रैल को 'विश्व नवकार महामंत्र दिवस' का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन जैन समुदाय की ओर से विश्व शांति और अहिंसा के संदेश को फैलाने के उद्देश्य से होता है। नवकार महामंत्र का मूल संदेश सभी जीवों के प्रति स्नेह और आदर है, जो अनेक धर्मों के मूल सिद्धांतों से मेल खाता है। यह मंत्र अहिंसा का एक प्रबल संदेश देता है, जिसे न केवल जैन धर्म बल्कि हिंदू, बौद्ध और कई अन्य धर्म भी मानते हैं। इस मंत्र के जाप से आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक विकास के माध्यम से विश्व का कल्याण संभव है।

एन एस यू आइ स्थापना दिवस 
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन का स्थापना दिवस 9, अप्रैल को मनाया जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री प्रियदर्शिनी स्व. इंदिरा गांधी जी द्वारा 9,अप्रेल 1970 को छात्रों को लोकतांत्रिक अधिकार दिये जाने हेतु छात्रों का पूर्ण और राजनैतिक संगठन भाराछासं. (National Student Union of India) का गठन किया गया था। जिसके अर्न्तगत एक पृथक संविधान तथा ध्वज को भी आकार दिया गया। NSUI के गठन के बाद से ही आज तक छात्र छात्राओं की ज्वलंत समस्याओं के लिये संघर्षशील एवं अपने निहित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये प्रयासरत रहा हैं।

अंतर्राष्ट्रीय गुलाबी दिवस
अंतर्राष्ट्रीय गुलाबी दिवस को दुनिया भर के शहरों और कस्बों में बदमाशी, भेदभाव, समलैंगिकता-विरोध, ट्रांसफोबिया और ट्रांसमिसोजिनी के खिलाफ़ एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में स्थापित किया गया है। इस दिन, सभी को गुलाबी शर्ट पहनकर और अपने कार्यस्थलों, स्कूलों और समुदायों में इस दिन के समर्थन में गतिविधियाँ आयोजित करके विविधता का जश्न मनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस दिवस की शुरुआत 2007 में हुई थी, जब कनाडा में दो लड़कों ने देखा कि एक अन्य लड़के को गुलाबी शर्ट पहनने के कारण परेशान किया जा रहा है, तो उन्होंने अगले दिन पूरे स्कूल में गुलाबी शर्ट पहनने के लिए एक अभियान चलाया।



मंगलवार, 8 अप्रैल 2025

8 अप्रैल


8 अप्रैल 
मंगल पांडे का बलिदान दिवस
मंगल पांडेय ने बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया था अत: उन्हें आजादी की लड़ाई का अगदूत भी कहा जाता है। भारतीय इतिहास में इस घटना को ‘1857 का गदर’ नाम दिया गया। इसके घटना के बाद मंगल पांडे को अंग्रेज सिपाहियों ने गिरफ्तार किया गया तथा उन पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाया और फांसी की सजा सुना दी गई। कोर्ट के फैसले के अनुसार उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जानी थी, लेकिन अंग्रेजों द्वारा 10 दिन पूर्व ही यानी 8 अप्रैल सन् 1857 को ही मंगल पांडे को फांसी दे दी गई।

अंतर्राष्ट्रीय रोमा दिवस
यह दिवस, जिसे अंतर्राष्ट्रीय रोमानी दिवस के रूप में भी जाना जाता है, 1990 में पहली बार घोषित होने के बाद हर साल 8 अप्रैल को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय रोमा दिवस वैश्विक स्तर पर रोमा समुदायों के प्रति भेदभाव की ओर ध्यान आकर्षित करता है और सभी के मानवाधिकारों का सम्मान करने और उनका पालन करने का आह्वान करता है। यूरोप के रोमा और सिंती लोगों (जिन्हें अक्सर ऐतिहासिक रूप से 'जिप्सी' कहा जाता है) को नाज़ियों ने पूरी तरह से नष्ट करने के लिए निशाना बनाया था। पोराजमोस, या पोराजमोस, जिसका अनुवाद 'भक्षण' होता है, यूरोप की रोमा और सिंती आबादी के नाजी नरसंहार को वर्णित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। नाजी शासन के तहत यूरोपीय रोमा और सिंती को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य बनाया गया था। इतिहासकारों का अनुमान है कि 200,000 से 500,000 रोमा और सिंती लोगों की हत्या कर दी गई या वे भूख या बीमारी के कारण मर गए, और कई लोगों को कैद कर लिया गया और नसबंदी और जबरन श्रम के लिए मजबूर किया गया। नाजियों के अधीन इस अवधि में जीवित बचे अनेक लोग द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भी उत्पीड़न के शिकार रहे, क्योंकि रोमा समुदाय को यूरोप भर में विभिन्न रूपों में भेदभाव और पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ा।

सोमवार, 7 अप्रैल 2025

7 अप्रैल


7 अप्रैल 
विश्व स्वास्थ्य दिवस 
World Health Day 2025
हर साल 7 अप्रैल को पूरी दुनिया में विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को सेहत से जुड़े जरूरी मुद्दों और अधिकारों के बारे में बताना है। हर साल इस दिन के लिए एक खास थीम को चुना जाता है जिसपर लोगों को जागरूक किया जाता है। 7 अप्रैल 1948 को WHO की स्थापना हुई और इसी यादगार दिन को हर साल वर्ल्ड हेल्थ डे के रूप में मनाने की परंपरा 1950 से शुरू हुई। इस दिन का मकसद था- लोगों को यह एहसास कराना कि सेहत सिर्फ डॉक्टर या हॉस्पिटल की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारी खुद की प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रत्येक वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस के लिए एक थीम का चयन किया जाता है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए चिंता के प्राथमिकता वाले क्षेत्र पर प्रकाश डालता है। विश्व स्वास्थ्य दिवस एक वैश्विक अभियान है, जो वैश्विक नेताओं से लेकर सभी देशों के लोगों तक सभी को वैश्विक प्रभाव वाली एक स्वास्थ्य चुनौती पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आमंत्रित करता है। नए और उभरते स्वास्थ्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, विश्व स्वास्थ्य दिवस लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा के लिए सामूहिक कार्रवाई शुरू करने का अवसर प्रदान करता है।

रविवार, 6 अप्रैल 2025

6 अप्रैल


6 अप्रैल 
विकास और शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस
International Day of Sport for Development and Peace
6 अप्रैल को विकास और शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है , जो कि विश्व में अंकित पारंपरिक खेलों और खेलों की श्रृंखला का पता लगाने का अवसर है। खेल निष्पक्षता, टीम निर्माण, समानता, समावेश और दृढ़ता को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, खेल और शारीरिक गतिविधि हमें चिंताओं को कम करके, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करके और सामाजिक संबंधों को मजबूत करके संकट के समय से बाहर निकलने में भी मदद कर सकती है।विकास और शांति हेतु अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस पहली बार 2014 में मनाया गया था। विकास और शांति हेतु अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस दुनिया भर में समुदायों और लोगों के जीवन में खेल और शारीरिक गतिविधि की सकारात्मक भूमिका को पहचानने का अवसर प्रदान करता है। 1896 में 6 अप्रैल के दिन प्रथम आधुनिक ओलंपिक का शुभारंभ किया गया था। 23 अगस्त 2013 को संयुक्त राष्ट्र ने घोषणा की कि विकास और शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस हर साल 6 अप्रैल को मनाया जाएगा। यह तारीख 1896 में एथेंस में पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों के उद्घाटन का भी प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से इस महत्वपूर्ण उपलक्ष्य व विश्व शांति व विकास हेतु खेल की जादुई व विस्मयकारी शक्ति को पूरे विश्व में मर्यादित करने के उद्देश्य से विश्व खेल-दिवस घोषित किया गया था।

भाजपा स्थापना दिवस 
BJP की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई, लेकिन इसका इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा है। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर कथित अत्याचार पर भारत के चुप रहने पर जवाहरलाल नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की। डॉ. मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ ने कश्मीर को विशेषाधिकार देने का विरोध किया। उन्हें जेल में डाल दिया गया, जहां उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। भले ही BJP की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई, लेकिन इसका इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा है। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर कथित अत्याचार पर भारत के चुप रहने पर जवाहरलाल नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की। डॉ. मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ ने कश्मीर को विशेषाधिकार देने का विरोध किया। उन्हें जेल में डाल दिया गया, जहां उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। 1967 में भारतीय जनसंघ एवं दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में कई राज्यों में कांग्रेस का एकाधिकार टूटा और कांग्रेस को राज्यों में हार मिलनी शुरू हुई। 1977 में जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर सभी कांग्रेस-विरोधी दल एकजुट हुए और ‘जनता पार्टी’ बनाई। भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय 1 मई 1977 को हुआ। जनता पार्टी का प्रयोग ज्यादा दिन नहीं चला। तब 6 अप्रैल 1980 को नए संगठन के तौर पर BJP बनी। अटल बिहारी वाजपेयी पहले अध्यक्ष बने। 1984 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर थी और भाजपा सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल कर सकी।
1989 में बोफोर्स और अन्य मुद्दों के चलते भाजपा आगे बढ़ी और तब उसके पास 85 सीटें थीं। मंदिर आंदोलन ने जोर पकड़ा तो 1991 में पार्टी की सीटें बढ़कर 120 हो गईं। 1993 में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल और मध्य प्रदेश में भी भाजपा के वोट बढ़े। 1995 में आंध्र, कर्नाटक, बिहार, ओडिशा, गोवा, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी कमल खिला।1996 में BJP ने 161 सीटें जीतीं और लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, पर बहुमत नहीं होने से 13 दिन में ही सरकार गिर गई। 1998 के मध्यावधि चुनावों में BJP ने सहयोगी दलों के साथ NDA बनाया और सत्ता में आई। 1999 में अन्नाद्रमुक ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। अक्टूबर-1999 में NDA ने 303 सीटें जीतीं और स्पष्ट बहुमत हासिल किया। BJP 183 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।2004 में वाजपेयी के नेतृत्व में इंडिया शाइनिंग का नारा दिया गया, पर चला नहीं और कांग्रेस के 222 की तुलना में उसे 186 सीटें ही मिलीं। 2009 में भाजपा की सीटें घटकर 116 रह गईं। 2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 282 सीटें जीतीं और 543 में से NDA ने 336 सीटों पर जीत हासिल की। मोदी 26 मई 2014 को देश के 15वें प्रधानमंत्री बने। 1984 के बाद पहली बार किसी पार्टी को लोकसभा में बहुमत मिला था। इसके बाद BJP ने 2019 में 303 सीटों पर जीत हासिल की और इतिहास रच दिया। 2024 के आम चुनाव में पार्टी को 242 सीटें मिलीं।

शनिवार, 5 अप्रैल 2025

5 अप्रैल


5 अप्रैल 
राष्ट्रीय समुद्री दिवस
National Maritime Day
राष्ट्रीय समुद्री दिवस हर साल 5 अप्रैल को मनाया जाता है. यह दिन भारत के समुद्री क्षेत्र में योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित करने और समुद्री व्यापार के महत्व को समझाने के लिए मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1964 में हुई थी. राष्ट्रीय समुद्री दिवस पहली बार 5 अप्रैल, 1964 को मनाया गया था। इस दिन “वरुण” नामक एक पुरस्कार उन लोगों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने भारतीय समुद्री क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है। राष्ट्रीय समुद्री दिवस के अवसर पर भारत सरकार समुद्री क्षेत्र के विकास और समुद्री सुरक्षा के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करती है। इस दिवस पर सरकार समुद्री क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले लोगों को पुरस्कार भी प्रदान करती है। भारत के व्यापार और वाणिज्य का बड़ा हिस्सा वैश्विक स्तर पर ले जाते हैं। राष्ट्रीय समुद्री दिवस देश के उन नौसैनिकों को “धन्यवाद” कहने का एक अवसर है जो आवश्यक वस्तुओं के निर्बाध परिवहन को सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम करते हैं। भारतीय राष्ट्रीय समुद्री दिवस 5 अप्रैल को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 1919 में इसी दिन एसएस लॉयल्टी, पहला भारतीय ध्वज व्यापारी जहाज, मुंबई से लंदन के लिए रवाना हुआ था। 1964 में 5 अप्रैल को ही नौसेना ने पहली बार राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया था। भारत में स्वदेशी शिपिंग वास्तव में 5 अप्रैल 1919 के ही शुरु हुई थी. जब सिंधिया स्टीम नेवीगेशन कंपनी लिमिटेड ने अपनी पहली नौका एसएस लॉयल्टी  समुद्र में उतरी थी. यह भारत की पहला जहाज भी माना जाता है. राष्ट्रीय समुद्री दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को भारतीय जहाजरानी उद्योग की गतिविधियों और देश की अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका से अवगत कराना है।वर्ल्ड मैरिटाइम डे और नेशनल मैरीटाइम डे दोनों अलग अलग दिन मनाए जाते हैं. वर्ल्ड मैरिटाइम डे जहां सितंबर माह के अंतिम गुरूवार को मनाया जाता है, वहीं भारत में राष्ट्रीय समुद्री दिवस हर साल 5 अप्रैल को मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय विवेक दिवस 
International Day of Conscience 
शांति को बढ़ावा देने के लिए हर साल 5 अप्रैल को 'अंतर्राष्ट्रीय विवेक दिवस' मनाया जाता है। फेडरेशन ऑफ वर्ल्ड पीस एंड लव (FOWPAL) द्वारा 5 फरवरी, 2019 को संयुक्त राष्ट्र, न्यूयॉर्क में अंतर्राष्ट्रीय विवेक दिवस की घोषणा के लिए एक वैश्विक अभियान शुरू किया गया था। बहरीन साम्राज्य ने "प्यार और विवेक के साथ शांति की संस्कृति को बढ़ावा देना" शीर्षक से एक ड्राफ्ट पेश किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने अपने 73वें सत्र में 25 जुलाई, 2019 को प्रस्तावित प्रस्ताव को खारिज कर दिया और 5 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय विवेक दिवस के रूप में घोषित किया था। विवेक एक व्यक्ति की गलत और सही की व्याख्या करने की क्षमता है। मरियम-वेबस्टर के शब्दकोशों के अनुसार, यह जागरूकता की स्थिति के रूप में जाना जाता है कि किसी का कार्य या इरादा या तो नैतिक रूप से सही या गलत है, साथ ही सही काम करने के दायित्व की भावना भी है। (विविध स्रोत)

गुरुवार, 3 अप्रैल 2025

4 अप्रैल


4 अप्रैल 
अंतर्राष्ट्रीय बारूदी सुरंग जागरूकता दिवस
 International Day for Mine Awareness
 4 अप्रैल को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय बारूदी सुरंग जागरूकता दिवस (International Day for Mine Awareness) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है विश्व में खतरनाक खदानों के बारे में जागरूकता फैलाना और खनन कार्रवाई में सहायता करना। इस दिवस को मनाये जाने का प्रस्ताव पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 8 दिसंबर 2005 में पारित किया गया था। वहीं 4 अप्रैल 2006 को पहली बार यह दिवस पूरी दुनियाभर में मनाया गया। तब से लेकर हर साल 4 अप्रैल को यह दिवस मनाया जा रहा है।8 दिसंबर 2005 को, महासभा ने घोषणा की कि प्रत्येक वर्ष 4 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय खदान जागरूकता और खदान कार्रवाई में सहायता दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
इसमें संयुक्त राष्ट्र और प्रासंगिक संगठनों की सहायता से राज्यों से उन देशों में राष्ट्रीय बारूदी सुरंग-कार्य क्षमताओं की स्थापना और विकास को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास करने का आह्वान किया गया, जहां बारूदी सुरंगें और युद्ध के विस्फोटक अवशेष नागरिक आबादी की सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं, या राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर सामाजिक और आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं। 20 से अधिक वर्षों से, संयुक्त राष्ट्र माइन एक्शन सर्विस ( यूएनएमएएस ) का कार्य प्रभावित लोगों की आवश्यकताओं से प्रेरित रहा है और नागरिकों, शांति सैनिकों और मानवतावादियों के सामने आने वाले विस्फोटक खतरों के अनुरूप रहा है। यूएनएमएएस जीवन बचाने, संयुक्त राष्ट्र मिशनों की तैनाती और मानवीय सहायता पहुंचाने, नागरिकों की सुरक्षा, आंतरिक रूप से विस्थापितों और शरणार्थियों की स्वैच्छिक वापसी का समर्थन करने, मानवीय और पुनर्प्राप्ति गतिविधियों को सक्षम करने और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार कानून की वकालत करने के लिए काम करता है। एंटी-पर्सनल माइंस के उपयोग, भंडारण, उत्पादन और हस्तांतरण के निषेध और उनके विनाश पर कन्वेंशन , जिसे आमतौर पर एंटी-पर्सनल माइन बैन कन्वेंशन के रूप में जाना जाता है, 1997 में हस्ताक्षर के लिए खोले जाने के बाद से , 164 देशों ने इसकी पुष्टि की है या इसे स्वीकार किया है। इस अभूतपूर्व गठबंधन द्वारा वकालत ने नागरिकों पर एंटी-पर्सनल लैंडमाइन के प्रभाव के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई और पूर्ण प्रतिबंध के लिए वैश्विक समर्थन जुटाया।संयुक्त राष्ट्र की माइन एक्शन रणनीति संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और भाग लेने वाली संस्थाओं के लिए जवाबदेही ढांचे के रूप में कार्य करती है, जो प्रभावित समुदायों का समर्थन करते हुए सशस्त्र संघर्षों के दौरान और बाद में विस्फोटक आयुध खतरों को रोकने और संबोधित करने के प्रयासों का मार्गदर्शन करती है। जैसा कि जून 2023 में IACG-MA प्रिंसिपलों द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी, यह रणनीति अब समयबद्ध नहीं होगी और माइन एक्शन में सहायता पर महासचिव की द्विवार्षिक रिपोर्ट के साथ मेल खाने के लिए हर दो साल में आवधिक समीक्षा के अधीन रहेगी। IACG-MA के प्रिंसिपलों ने 13 दिसंबर 2023 को संयुक्त राष्ट्र की रणनीति का समर्थन किया। यह रणनीति 1 जनवरी 2024 से प्रभावी हुई।


राष्ट्रीय विटामिन सी दिवस
प्रत्येक वर्ष 4 अप्रैल को अमेरिका में राष्ट्रीय विटामिन सी दिवस पर उन सभी तरीकों के बारे में बताया जाता है जिनसे विटामिन सी हमारे स्वास्थ्य को अंदर और बाहर से पोषण और लाभ पहुंचाता है! विटामिन सी को सर्दी-जुकाम से बचाव के लिए व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है, लेकिन चिकित्सकीय रूप से यह विटामिन स्वास्थ्य के अन्य क्षेत्रों में भी एक पावरहाउस साबित हुआ है। उदाहरण के लिए, विटामिन सी रक्तचाप को कम कर सकता है और संभावित रूप से हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है। गाउट के जोखिम वाले लोग विटामिन सी का सेवन बढ़ाकर इस जोखिम को कम कर सकते हैं। स्किनस्यूटिकल्स ने इस शोध और विटामिन सी के सिद्ध लाभों का जश्न मनाने के लिए 2019 में राष्ट्रीय विटामिन सी दिवस की स्थापना की। स्किनस्यूटिकल्स के संस्थापक वैज्ञानिक डॉ. शेल्डन पिनेल के अनुसंधान ने त्वचा में विटामिन सी एंटीऑक्सीडेंट के प्रभावी वितरण के लिए मापदंड स्थापित किए, जिससे स्किनस्यूटिकल्स को कॉस्मेटिक्स के उद्भव में अग्रणी बनने में सहायता मिली।

विश्व गाजर दिवस 
International Carrot Day 
 दुनियाभर में हर साल 4 अप्रैल को विश्व गाजर दिवस के रूप में मनाया जाता है। गाजर दिवस को मनाने के पीछे का उद्धेश्य लोगों को गाजर का सेवन करने से मिलने वाले फायदों के प्रति जागरूक करवाना है। सबसे पहले इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2003 में हुई थी। गाजर को उसके पोषण मूल्य और बहुमुखी प्रतिभा के लिए सम्मानित किया जाता है, और यह दिन हमें गाजर के बारे में जानकारी फैलाने और इसके स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाने का मौका देता है। गाजर का वानस्पतिक नाम डाकस कैरोटा है। जानकारों का मानना है कि एशिया के लोगों ने सबसे पहले गाजर की खेती की शुरुआत की और वहीं से ये विश्व के अन्य देशों में पहुंची। गाजर चार अलग-अलग रंगों लाल,पीली, संतरी और काली रंग की पाई जाती है। जानकारों का मानना है कि गाजर की मूल उत्पत्ति पंजाब और कश्मीर की पहाड़ियो में हुई. साल 2003 में अंतर्राष्ट्रीय गाजर दिवस की स्थापित की गई। जिसके बाद साल  2012 तक यह दुनिया भर में उन सभी जगहों पर फैल गया है, जहां गाजर के बारे में लोग जानते थे। बता दें, सबसे पहले गाजर दिवस को मनाने की शुरुआत फ्रांस और स्वीडन से हुई। इसके बाद भारत, जापान, रूस इटली समेत दुनिया के कई देशों में विश्व गाजर दिवस मनाया जाने लगा। गाजर दिवस को मनाने का मकसद देश के लोगों के बीच गाजर जैसे पौष्टिक आहारों के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ाने का था। 

विश्व चूहा दिवस 
विश्व चूहा दिवस 2002 से 4 अप्रैल को मनाया जाता रहा है, जब चूहा प्रेमियों द्वारा इसे मनाने के लिए एक आंदोलन की शुरुआत की गई थी।इस दिन को मनाने का उद्देश्य है कि इंसान चूहों के प्रति अपनी नफरत को खत्म करे और उनके बारे में अच्छा सोचे. दरअसल, ब्यूबोनिक प्लेग के बाद से पूरी दुनिया में चूहों को नफरत की निगाहों से देखा गया. उन्हें बीमारी फैलाने वाला, खाना चुराने वाला, अनाज बर्बाद करने वाला एक गंदा जीव माना गया. लेकिन चूहे इससे कहीं बेहतर हैं. उनके अंतर कमाल की क्षमताएं हैं...यहां तक की कुछ लोग चूहों को पालते भी हैं और उन लोगों का मानना है कि चूहे बेहद बुद्धिमान और मनोरंजक साथी होते हैं. इंसानों को उनके प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है और इसके साथ ही उन्हें देखभाल और ढेर सारे प्यार की जरूरत है.एशिया में चूहों को यूरोप की तुलना में ज्यादा अनुकूल माना जाता है. यूरोप में जहां उन्हें अपशकुन के रूप में देखा जाता है, वहीं एशिया के भारत जैसे देश में उन्हें कई जगह पूजा जाता है. चूहा हिंदू धर्म के भगवान श्री गणेश का वाहन भी है. अब मूल सवाल पर आते हैं कि आखिर वर्ल्ड रैट डे मनाने की शुरुआत कब से हुई है. दरअसल, 2002 में कुछ लोगों के एक समूह ने चूहों को समर्पित एक दिन शुरू किया और उसी के बाद से 4 अप्रैल को वर्ल्ड रैट डे मनाया जाने लगा. (विविध स्रोत)


बुधवार, 2 अप्रैल 2025

3 अप्रैल


3 अप्रैल 
हिंदी रंगमंच दिवस 
हिंदी रंगमंच दिवस प्रतिवर्ष ३ अप्रैल को मनाया जाता है। तीन अप्रैल 1868 की शाम बनारस में पहली बार शीतलाप्रसाद त्रिपाठी कृत हिन्दी नाटक 'जानकी मंगल' का मंचन हुआ। जून 1967 में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य का इतिहास में पहली बार इस नाटक के मंचन को प्रामाणिक तौर पर पुष्ट किया। इंग्लैंड के 'एलिन इंडियन मेल' के आठ मई 1868 के अंक में भी उस नाटक के मंचन की जानकारी भी प्रकाशित हुई थी। इसी आधार पर पहली बार शरद नागर ने ही हिन्दी रंगमंच दिवस की घोषणा तीन अप्रैल को की थी। कुछ लोग इस मामले पर हस्तक्षेप करते हुए यह भी कहते हैं कि सन १८५३ में नेपाल के भाटगाँव में “विद्याविलाप “ नामक हिन्दी नाटक खेला गया था। जबकि कुछ लोगों का यह भी कहना हे कि सन 1850 से 1860 के बीच लखनऊ में “इंद्रसभा” और नवाब वाजिद अलीशाह के “किस्सा राधा कन्हैया” का मंचन हुआ था। बताते हैं कि उन्हीं दिनों मुंबई में सांगलीकर नाटक मंडली ने “ गोपीचन्दोपाख्यान “ (ओपेरा) का मंचन किया था। 

झारखंड वॉलीबॉल दिवस 
झारखंड वॉलीबॉल दिवस 3 अप्रैल को झारखंड के सभी जिलों में धूमधाम से मनाया जाता है। झारखंड वॉलीबॉल संघ से संबद्ध सभी जिला संघ, यूनिट एवं क्लबों द्वारा इस विशेष अवसर पर वॉलीबॉल प्रतियोगिता, प्रशिक्षण शिविर, कार्यशाला और सम्मान समारोह का आयोजन करते हैं। यह आयोजन झारखंड वॉलीबॉल संघ के पितामह कहलाने वाले शेखर बोस के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। रांची से करीब 70 किलोमीटर दूर जंगलों-पहाड़ों के बीच बसे मैकलुस्कीगंज में 14 एकड़ में फैली गुलमोहर कोठी में पिछले 40 सालों से झारखंड में वॉलीबॉल के नर्सरी मैन कहे जाने वाले शेखर बोस वॉलीबॉल एकेडमी चलाते हैं। इस हॉस्टल के 10 से ज्यादा बच्चे सेना, पुलिस और दूसरी नौकरियों में पिछले दिनों सिलेक्ट हुए हैं। शेखर बोस ने 2000 में मैकलुस्कीगंज आकर कुछ पैसों से मैंने सेंटर शुरू किया। दो साल तक बच्चे इस सेंटर में रहते हैं। शुरूआत में काफी मुश्किलें आईं। लेकिन यहां की यह तस्वीर बदल गई। कभी यहां की कोठियों में यूरोपियन लोगों के क्लब हुआ करते थे। आज भी 20-22 एंग्लो इंडियन परिवार यहां रहते हैं। कभी वॉलीबॉल के मशहूर खिलाड़ी रहे शेखर दा की जिद थी कि यहां वॉलीबॉल एकेडमी खोलेंगे। शेखर ने अनंत कुमार चौधरी जैसे खिलाड़यों को लेकर गुलमोहर वॉलीबॉल एकेडमी शुरू की। एजी ऑफिस से नौकरी से रिटायर होने के बाद वे रांची यूनिवर्सिटी में वॉलीबॉल कोच बने। शेखर झारखंड वॉलीबॉल एसोसिएशन के महासचिव भी रहे।

राष्ट्रीय पैदल यात्रा दिवस 
हमारे पैरों को गतिशील रखने और स्वस्थ रहने में हमारी मदद करने के लिए, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) हर साल अप्रैल के पहले बुधवार को राष्ट्रीय पैदल चलने का दिन मनाता है ताकि सभी उम्र के लोगों को पैदल चलने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों के तहत 2007 में राष्ट्रीय वॉकिंग दिवस की शुरुआत की। यह आयोजन हमारे दैनिक जीवन में अधिक शारीरिक गतिविधि को शामिल करने के लिए एक शानदार अनुस्मारक है। AHA स्कूलों, कार्यस्थलों और समुदायों को भाग लेने के लिए सहायक संसाधन प्रदान करता है, जिसमें चलने की चुनौतियाँ, समूह में टहलना और चलने के लाभों पर शैक्षिक सामग्री शामिल है। राष्ट्रीय पैदल यात्रा दिवस हृदय को स्वस्थ रखने वाली जीवनशैली अपनाने के लिए एक आदर्श अवसर है - चाहे वह दोपहर के भोजन के दौरान तेज चलना हो, किसी स्थानीय पैदल चलने वाले समूह में शामिल होना हो, या व्यक्तिगत कदम लक्ष्य निर्धारित करना हो। प्रतिदिन 7,000 से 10,000 कदम चलने का लक्ष्य हृदय संबंधी फिटनेस बनाए रखने के लिए एक बेहतरीन लक्ष्य है, और दिन भर में थोड़ी-थोड़ी देर की सैर भी फर्क ला सकती है। (विविध स्रोत)

मंगलवार, 1 अप्रैल 2025

2 अप्रैल


2 अप्रैल 
विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 
(World Autism Awareness Day)
विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस (WAAD) हर साल 2 अप्रैल को मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) के बारे में जागरूकता, स्वीकृति और समझ को बढ़ाना है. WAAD प्रारंभिक निदान, सहायता और नीतियों को प्रोत्साहित करता है जो सुनिश्चित करते हैं कि ऑटिस्टिक व्यक्ति एक समावेशी समाज में पूर्ण जीवन जीते हैं. संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2007 में विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस की शुरुआत की थी। इसका मकसद लोगों को ऑटिज्म के बारे में जागरूक करना और इसे बेहतर तरीके से समझने में मदद करना था. पहले यह दिन सिर्फ जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता था लेकिन अब इसका मकसद ऑटिज्म से जुड़े लोगों को स्वीकार करना, उन्हें समाज में जगह देना और उनके योगदान को पहचानना भी है. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है जो सामाजिक संपर्क और व्यवहार को प्रभावित करती है. इसे स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण और गंभीरता व्यक्तियों में भिन्न होती है. ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं है बल्कि दुनिया को अनुभव करने का एक अलग तरीका है. हालाँकि इसके सटीक कारण अज्ञात हैं.18 दिसंबर 2007 को आयोजित 76वीं पूर्ण बैठक में संयुक्त राष्ट्र ने 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के रूप में नामित किया, जिसे 2008 से हर साल मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग और आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग, न्यूरोडाइवर्सिटी संस्थान (आईओएन) के सहयोग से, जो कि न्यूरोडाइवर्सिटी व्यक्तियों द्वारा न्यूरोडाइवर्सिटी व्यक्तियों और उनके सहयोगियों के लिए स्थापित और संचालित एक संगठन है, 2025 में विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस का आयोजन करेंगे।न्यूरोडाइवर्सिटी एक शब्द है जिसे मूल रूप से ऑस्ट्रेलियाई समाजशास्त्री जूडी सिंगर ने 1990 के दशक के अंत में गढ़ा था, जिसमें विभिन्न लोगों के बीच लगभग अनंत न्यूरोकॉग्निटिव अंतर शामिल हैं। यह हर व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र में अंतर की पहचान करता है और जिसके द्वारा वे कौशल और जरूरतों का एक अलग सेट लाते हैं। ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम डिस्प्रैक्सिया, डिस्लेक्सिया, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर आदि के बीच विभिन्न न्यूरोमाइनॉरिटीज में से एक है।

मुक्ति दिवस अमेरिका 
2025 में अपने दूसरे कार्यकाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 को ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में घोषित किया। इस दिन से उन्होंने विभिन्न देशों से आयातित वस्तुओं पर नए टैरिफ लागू करने का एलान किया। ट्रंप ने इसे अमेरिका के लिए एक ऐतिहासिक कदम करार दिया है, जिसका उद्देश्य देश को विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता से मुक्त करना और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। इस घोषणा ने भारत सहित वैश्विक व्यापार, बाजारों और उपभोक्ताओं के बीच व्यापक चर्चा और अनिश्चितता पैदा कर दी है। इससे अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच पहले से ही जारी व्यापार युद्ध और गहराने की आशंका जताई जा रही है। ट्रंप ने 2 अप्रैल को "लिबरेशन डे" यानी 'मुक्ति दिवस' करार देते हुए कहा है कि उनकी नई टैरिफ नीति अमेरिका को विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता से मुक्त करेगी। उनके अनुसार, ये शुल्क उन करों के बराबर होंगे जो अन्य देश अमेरिकी उत्पादों पर लगाते हैं। हालांकि, इस नीति का कार्यान्वयन कैसे होगा, इस पर अभी भी कई सवाल बने हुए हैं। ट्रंप का मानना है कि यह कदम अमेरिका के व्यापार असंतुलन को ठीक करेगा और उन देशों को जवाब देगा जो अमेरिकी वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाते हैं। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “दशकों से हम दुनिया के हर देश, दोस्त और दुश्मन दोनों, द्वारा लूटे गए हैं। अब समय आ गया है कि अमेरिका अपना पैसा और सम्मान वापस ले।”

राष्ट्रीय सुलह दिवस
अमेरिका में हर साल 2 अप्रैल को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय सुलह दिवस हमें उन रिश्तों को सुधारने के लिए प्रेरित करता है जिन्हें हमने शब्दों या कार्यों के माध्यम से खराब कर दिया है। जबकि दुनिया भर में कई अलग-अलग "सुलह दिवस" मनाए जाते हैं, यह विशेष रूप से 2 अप्रैल को मनाया जाता है। सुलह दिवस के कई संदर्भ हैं। हालांकि, कई लोग अखबार की स्तंभकार एन लैंडर्स को इसका श्रेय देते हैं, जिन्होंने 1989 में अपने पाठकों के एक पत्र के जवाब में, 2 अप्रैल को हर साल सुलह दिवस के रूप में प्रचारित करना शुरू किया। उन्होंने अपने पाठकों को अपने टूटे हुए रिश्तों को सुधारने के लिए प्रोत्साहित किया और 2 अप्रैल के प्रत्येक कॉलम को ऐसे ही रिश्तों से संबंधित पत्रों के लिए समर्पित किया। (विविध स्रोत)

सोमवार, 31 मार्च 2025

1 अप्रैल


1 अप्रैल 
हर साल अप्रैल का पहला दिन दुनिया भर में April Fools Day के रूप में मनाया जाता है। अप्रैल फूल डे मनाने के शुरुआत चॉसर के 'कैंटरबरी टेल्स' की एक कहानी 'नन्स प्रीस्ट्स टेल' में मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी शुरुआत 1381 में हुई थी। उस दौरान इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की घोषणा कर दी गई थी। राजा ने अपनी जनता को अपने और रानी की एनी की सगाई की डेट 32 मार्च बताई थी। वहां की जनता भी नहीं समझ पाई और राजा की बात पर विश्वास कर लिया। राजा के सगाई की खुशी में चारों तरफ उत्सव का माहौल बन गया था। बाजार सज चुके थे। लोग तैयारियों में जुटे हुए थे कि अचानक उन्हें एहसास हुआ कि 32 मार्च तो कैलेंडर में कोई तारीख ही नहीं होती है। इसके बाद सभी के समझ आया कि उन्हें बेवकूफ बनाया गया है। तब से अप्रैल फूल डे पूरे ब्रिटेन में फैल गया। इसी कहानी में, एक घमंडी मुर्गे को एक चालक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था। स्कॉटलैंड में अप्रैल फूल्स डे दो दिनों तक चलता है, जहां शरारत करने वालों को गौक्स (कोयल पक्षी) कहा जाता है। अप्रैल फूल डे को ऑल फूल्स डे के रूप में भी जाना जाता है। 1539 में फ्लेमिश कवि एडवर्ड डे डेने ने एक ऐसे ऑफिसर के बारे में लिखा जिसने अपने नौकरों को एक बेवकूफी की यात्रा पर 1 अप्रैलको भेजा था। 1968 में इस दिन को जॉन औब्रे ने मूर्खों का छुट्टी का दिन कहा क्योंकि, 1 अप्रैल को बहुत से लोगों को बेवकूफ बनाकर, लंदन के टॉवर पर एकत्रित किया गया था। 

नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत
भारत ही नहीं बल्कि कई देशों में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है. इसका कारण ब्रिटिश शासन से जुड़ा है, जब ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश सरकार ने राजस्व और बजट प्रबंधन के लिए यह समयसीमा तय की थी, तब से वित्तीय वर्ष की शुरुआत इसी दिन से होती आ रही है. इसके पीछे कई मुख्य आर्थिक कारण थे, जैसे कृषि चक्र और कर संग्रह की सुविधा.

ओडिशा स्थापना दिवस 
यह ओडिशा राज्य के गठन का दिन भी है, जिसे 1936 में बिहार से अलग कर बनाया गया था.
ओडिशा राज्य का स्थापना दिवस है जिसे वहां के लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं. 1 अप्रैल 1936 को ओडिशा को बिहार और संयुक्त प्रांत से अलग करके एक स्वतंत्र राज्य बनाया गया था. यह भारत का पहला राज्य था जिसे भाषा के आधार पर पुनर्गठित किया गया था. इस दिन को ‘उत्कल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है जो पूरे भारत में ओडिशा की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को दर्शाता है.ब्रिटिश शासन के दौरान, ओडिशा बंगाल प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आता था। बाद में इसे बिहार और उड़ीसा प्रांत के रूप में पुनर्गठित किया गया। लेकिन स्थानीय लोगों और समाज सुधारकों के लंबे संघर्ष के बाद, ओडिशा को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी गई। 1 अप्रैल 1936 को ओडिशा को एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में स्थापित किया गया, जो भाषा के आधार पर भारत में बनने वाला पहला राज्य था। यही कारण है कि 1 अप्रैल को “उत्कल दिवस” या “ओडिशा दिवस” के रूप में ओडिशा स्थापना दिवस मनाया जाता है।प्राचीन काल में, यह क्षेत्र मौर्य, गुप्त, शुंग, और गजपति राजवंशों के अधीन था। विशेष रूप से, कलिंग साम्राज्य अपनी शक्ति और समुद्री व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। ईसा पूर्व 261 में सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया, जिसे “कलिंग युद्ध” के नाम से जाना जाता है। इस भीषण युद्ध के बाद, अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और अहिंसा का मार्ग अपनाया।

सीबीआई स्थापना दिवस 
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), कार्मिक विभाग, कार्मिक, पेंशन और लोक शिकायत मंत्रालय के तहत एक प्रमुख जांच पुलिस एजेंसी है. यह भारत की आधिकारिक पुलिस एजेंसी है जो इंटरपोल के सदस्य देशों के लिए जांच का प्रबंधन करती है. सीबीआई की स्थापना 1 अप्रैल, 1963 को हुई थी. 1963 में भारत सरकार द्वारा CBI का गठन भारत की रक्षा से संबंधित गंभीर अपराधों, उच्च पदों पर भ्रष्टाचार, गंभीर धोखाधड़ी, ठगी व गबन और सामाजिक अपराधों (विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी, कालाबाज़ारी और मुनाफाखोरी) के अन्वेषण हेतु किया गया। कुछ समय बाद CBI को चर्चित हत्याओं, अपहरण, विमान अपहरण, चरमपंथियों द्वारा किये गए अपराध जैसे अन्य अपराधों की जाँच का उत्तरदायित्व भी सौंपा जाने लगा। सीबीआई की स्थापना की सिफारिश भ्रष्टाचार रोकथाम पर संथानम समिति (1962-1964) द्वारा की गई थी। CBI को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 द्वारा अन्वेषण करने की शक्ति प्राप्त है। दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (Delhi Special Police Establishment- DSPE Act), 1946 को लागू करके भारत सरकार के विभिन्न विभागों/संभागों में भ्रष्टाचार के आरोपों के अन्वेषण हेतु एक एजेंसी के रूप में इसकी औपचारिक शुरुआत की गई। इससे पहले, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1941 में ब्रिटिश भारत के युद्ध विभाग (Department of War) में एक विशेष पुलिस स्थापना (Special Police Establishment- SPE) का गठन किया गया था ताकि युद्ध से संबंधित खरीद मामलों में रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच की जा सके। सीबीआई के पहले निदेशक डी. पी. कोहली थे। डीपी कोहली ने 1963 में सीबीआई की स्थापना की थी. 1968 में अपनी सेवानिवृत्ति तक इसके पहले निदेशक के रूप में कार्य किया.उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए, सीबीआई आज देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी के रूप में विकसित हुई है, जो भ्रष्टाचार, वित्तीय अपराधों और साइबर अपराधों सहित विभिन्न प्रकार के मामलों की जांच करती है. यह इंटरपोल के लिए भारत का राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो भी है, जो अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. (विविध स्रोत)

रविवार, 30 मार्च 2025

31 मार्च


31 मार्च 
अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर दृश्यता दिवस
ट्रांस डे ऑफ़ विज़िबिलिटी 
2009 से हर साल 31 मार्च को अंतरराष्ट्रीय ट्रांसजेंडर दृश्यता दिवस मनाया जाता है। यह ट्रांसजेंडर लोगों का जश्न मनाने और दुनिया भर में ट्रांसजेंडर लोगों द्वारा सामना किए जाने वाले भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ समाज में उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए समर्पित है। पहला अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर दृश्यता दिवस 31 मार्च, 2009 को आयोजित किया गया था। तब से इसे अमेरिका स्थित युवा वकालत संगठन ट्रांस स्टूडेंट एजुकेशनल रिसोर्सेज द्वारा आगे बढ़ाया गया है । इस कार्यक्रम की शुरुआत 2009 में मिशिगन की ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता रेचल क्रैंडल क्रॉकर ने की थी ट्रांसजेंडर लोगों की LGBTQ+ मान्यता की कमी की प्रतिक्रिया के रूप में , इस निराशा का हवाला देते हुए कि एकमात्र प्रसिद्ध ट्रांसजेंडर-केंद्रित दिन ट्रांसजेंडर डे ऑफ रिमेंबरेंस था , जो ट्रांसजेंडर लोगों की हत्याओं का शोक मनाता था, लेकिन ट्रांसजेंडर समुदाय के जीवित सदस्यों को स्वीकार नहीं करता था और उनका जश्न नहीं मनाता था। राष्ट्रपति बराक ओबामा और उपराष्ट्रपति बिडेन ने पहली बार ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए इस दिन को स्वीकार किया; हालांकि, उस समय कोई घोषणा नहीं की गई थी। 2021 में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने 31 मार्च को ट्रांसजेंडर विजिबिलिटी डे के रूप में घोषित किया। लेकिन, 2024 में दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप ने अपने देश में तीसरा जेंडर खत्म करने का एलान कर दिया।

एफिल टॉवर दिवस 
हर साल 31 मार्च को एफिल टावर दिवस मनाया जाता है। यह दिन फ्रेंच इतिहास और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि 31 मार्च 1889 को ही एफिल टॉवर का आधिकारिक उद्घाटन हुआ था। यह दिन हमें इस अद्भुत मीनार के इतिहास और महत्व को याद करने का अवसर प्रदान करता है। इसके साथ ही यह दिन हमें पेरिस और फ्रांस की संस्कृति और विरासत का अभिनंदन का भी अवसर देता है। 31 मार्च 1889 का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज है क्योंकि इस दिन एफिल टावर का भव्य उद्घाटन हुआ था। इस टॉवर के उद्घाटन में लगभग 200,000 से अधिक लोग उपस्थित थे। इसके बाद यह पेरिस और फ्रांस का एक प्रतिष्ठित प्रतीक बन गया। (विविध स्रोत)

शनिवार, 29 मार्च 2025

30 मार्च


30 मार्च 
राजस्थान दिवस 
30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है। इस दिन 
राजस्थान दिवस मनाने के पीछे बड़ी वजह यह है कि 30 मार्च, 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना था। तब से 30 मार्च को राजस्थान के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस विलय में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मुख्य भूमिका रही थी। राजस्थान का शाब्दिक अर्थ है ‘राजाओं का स्थान’ क्योंकि आज़ादी से पूर्व यहां कई राजाओं और सम्राटों ने राज किया था। राजस्थान को पहले राजपूताना के नाम से जाना जाता था। सभी को मिलाकर कुल 19 रियासतों के गठन से राजस्थान बना था।

राष्ट्रीय पेंसिल दिवस
अमेरिका में हर साल 30 मार्च को राष्ट्रीय पेंसिल दिवस मनाया जाता है। यह दिवस उस लेखन उपकरण के सम्मान में मनाया जाता है जिसने लाखों लोगों को सिर्फ़ वर्णमाला सिखाने और सीधी रेखाएँ खींचने में मदद से कहीं ज़्यादा काम किया है। हाइमन लिपमैन को 1858 में आज ही के दिन पेंसिल के सिरे पर रबड़ लगाने का पहला पेटेंट मिला था। उस समय से पहले पेंसिल और रबड़ अलग-अलग हुआ करते थे। लिपमैन ने दोनों को मिलाकर दो औजारों को इस्तेमाल करने में बहुत सुविधाजनक बनाया। सहज ज्ञान युक्त व्यवसायी ने अपनी स्टेशनरी की दुकान के लिए लिफाफे भी बनाए और लिफाफों के फ्लैप पर चिपकने वाला पदार्थ लगाने वाले वे पहले व्यक्ति थे। पेंसिल हमेशा से ही पढ़ने लिखने वाले और रचनात्मक लोगों के लिए एक ज़रूरी उपकरण रही है। कलाकार अक्सर किसी विचार की रूपरेखा बनाने के लिए पेंसिल उठाते हैं। पेंसिल का इस्तेमाल युद्ध क्षेत्र के नक्शे बनाने के लिए भी होता था। (विविध स्रोत)

शुक्रवार, 28 मार्च 2025

29 मार्च


29 मार्च 
सिपाही विद्रोह की शुरूआत 
भारतीय इतिहास में 29 मार्च का दिन बेहद खास माना जाता है क्योंकि इस 1857 में 34वीं रेजीमेंट के सिपाही मंगल पांडे, बंगाल नेटिव इन्फैंट्री ने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ विद्रोह किया और 1857 के दीर्घ भारतीय विद्रोह को प्रेरित किया, जिसे सिपाही विद्रोह के रूप में भी जाना जाता है। कलकत्ता के निकट बैरकपुर में मंगल पांडे ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था और अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया था। बंगाल की बैरकपुर छावनी में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के मंगल पांडे ने परेड ग्राउंड में दो अंग्रेज अफसरों पर हमला किया और फिर खुद को गोली मारकर घायल कर लिया। उन्हें 7 अप्रैल, 1857 को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दे दी। स्थानीय जल्लादों ने मंगल पांडेय को फांसी देने से मना कर दिया था, जिसकी वजह से कोलकाता से चार जल्लादों को बुलाकर देश के इस जांबाज सिपाही को फांसी दी गई । 29 मार्च को ही बहादुर शाह जफर द्वितीय को अंग्रेजों ने रंगून भेजा था।

अंतरराष्ट्रीय जलपरी दिवस
International Mermaid Day 
29 मार्च को अंतरराष्ट्रीय जलपरी दिवस हर साल 29 मनाया जाता है। यह दिन समुद्री लोककथाओं की प्रसिद्ध पात्र “जलपरी” यानी मर्मेड को समर्पित है। मर्मेड आधी स्त्री और आधा मछली के रूप में कल्पना की जाती है, जो समुद्रों में रहकर रहस्यमय जीवन जीती है। इस दिन का उद्देश्य न केवल इन काल्पनिक पात्रों की सुंदरता और आकर्षण को मनाना है, बल्कि जल संरक्षण, समुद्री जीवन के प्रति जागरूकता और रचनात्मकता को भी प्रोत्साहित करना है। बच्चों और बड़ों के लिए यह दिन कल्पनाओं की उड़ान भरने का मौका होता है। सदियों से जलपरियों में रुचि बढ़ी है, उनका चित्रण रहस्यमय प्राणियों से लेकर हेन्स क्रिश्चियन एंडरसन की " द लिटिल मरमेड " जैसी लोकप्रिय कथाओं के पात्रों तक विकसित हुआ है, जिसने जलपरी किंवदंतियों की आधुनिक व्याख्याओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। यह कहानी इतनी लोकप्रिय हुई कि इस पर न केवल प्रसिद्ध डिज्नी फिल्म सहित अनेक रूपांतरण हुए, बल्कि दुनिया भर के विभिन्न स्थानों पर जलपरी की मूर्तियों और विषयों का निर्माण भी हुआ, जैसे कि कोपेनहेगन में प्रतिष्ठित जलपरी की मूर्ति।

गुरुवार, 27 मार्च 2025

28 मार्च


28 मार्च 
विश्व पियानो दिवस
28 मार्च को विश्व पियानो दिवस पूरी दुनिया में बहुत खुशी और धूमधाम से मनाया जाता है। इस आयोजन का उद्देश्य पियानो से जुड़ी पहलों के लिए एक मंच प्रदान करना है, जो संगीत नवाचार को बढ़ावा देगा और पियानो बजाने के आनंद को फैलाएगा। पियानो दिवस हर साल वर्ष के 88वें दिन मनाया जाता है, जो सामान्यतः 29 मार्च को पड़ता है, लेकिन लीप वर्ष में 28 मार्च को। पियानो दिवस की शुरुआत 2015 में जर्मन संगीतकार, कलाकार और निर्माता निल्स फ्राहम ने की थी. पियानो में 88 कुंजियाँ होती हैं, इसलिए यह दिन वर्ष के 88वें दिन मनाया जाता है. इटली के बार्टोलोमो क्रिस्टोफ़ोरी ने 1700 में पियानो का आविष्कार किया था. वैसे तो पियानों का आविष्कार 10वीं सदी में बार्थोलोमेयो क्रिस्टोफर ने किया था लेकिन पियानो को आधुनिक रूप दिया 17वीं शताब्दी में इटली के बार्टोलोमो डी फ्रांसेस्को क्रिस्टोफोरी ने जो कि संगीत के महान् जानकार थे. उन्होंने अपने 20 अलग-अलग कंपोजिशंस बनाए और उनको लेकर पूरी दुनिया में घूमे ताकि उनका नया वाद्य यंत्र फेमस हो सके.संगीत के इस आधुनिक दौर में पियानो का प्रयोग लगातार बढ़ता ही जा रहा है.


बिल्ली सम्मान दिवस 
Cat Respect Day 
बिल्ली बेहद पालतू प्राणियों में से हैं। बिल्ली की म्याऊँ निश्चित रूप से साल के सभी 365 दिन प्यार और सम्मान की हकदार है, 28 मार्च बिल्लियों के लिए एक अतिरिक्त विशेष दिन है। कुछ स्रोतों का दावा है कि इस विशेष दिन का सदियों पुराना संबंध है - 28 मार्च, 1384 को , इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय ने एक आधिकारिक आदेश पारित किया था, जिसमें बिल्लियों के उपभोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बिल्लियों को पूजनीय मानने का इतिहास इससे भी पुराना है। प्राचीन मिस्र के लोग विशेष रूप से बिल्ली देवी, बस्टेट की पूजा करते थे, और बिल्लियों को पवित्र प्राणियों के रूप में मंदिरों और घरों में रखते थे। रोमन सैनिक भी कीटों को नियंत्रित करने के साधन के रूप में बिल्लियों को अपने साथ नए क्षेत्रों में ले जाते थे। 20वीं सदी में, बिल्लियों का इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कीटों को हटाने और जहरीली गैस का पता लगाने के लिए किया जाता था। 

बुधवार, 26 मार्च 2025

27 मार्च


27 मार्च 
विश्व रंगमंच दिवस 
World Theatre Day
हर साल 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस यानी वर्ल्ड थिएटर डे (World Theatre Day) मनाया जाता है. ये खास दिन रंगमंच कला के महत्व को दर्शाता है. यह एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है. इस दिन रंगमंच कला के कलाकरों को सम्मानित किया जाता है. 1961 में वर्ल्ड थिएटर डे को दुनिया भर में मनाने और उसके महत्व बताने के लिए इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट (International Theatre Institute) की शुरुआत की गई थी.  वहीं, 1962 से हर साल 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस के रूप में मनाया जाता है.  यह दिन थिएटर कला के सार, खूबसूरती, महत्व, मनोरंजन में रंगमंच कलाकारों की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है. देश में थिएटर की पुरानी और समृद्ध परंपरा है.विश्व रंगमंच दिवस थिएटर से जुड़े लोगों के कला के महत्व का सम्मान करता है. यह दिन सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है. साथ ही दुनिया भर में थिएटर को बढ़ावा देना का काम करता है. यह दिन उन लोगों के लिए एक उत्सव है जो "थिएटर" के मूल्य और महत्व को देख सकते हैं और सरकारों, राजनेताओं और संस्थानों को जगाने का कार्य कर सकते हैं. इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में रंगमंच को बढ़ावा देने और लोगों को रंगमंच के सभी रूपों के मूल्यों से अवगत कराना है. रंगमंच से संबंधित अनेक संस्थाओं और समूहों द्वारा इस दिन को विशेष दिवस के रूप में आयोजित किया जाता है. इस दिवस का एक महत्त्वपूर्ण आयोजन अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संदेश है, जो विश्व के किसी जाने माने रंगकर्मी द्वारा रंगमंच और शांति की संस्कृति विषय पर उसके विचारों को व्यक्त करता है. (विविध स्रोत)

मंगलवार, 25 मार्च 2025

26 मार्च


26 मार्च 
वर्ल्ड पर्पल डे
WorldPurpleDay
वर्ल्ड पर्पल डे हर साल 26 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन मिर्गी (एपिलेप्सी) के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इससे प्रभावित लोगों का समर्थन करने के लिए समर्पित है। इस दिन को मनाने की शुरुआत कैसिडी मेगन नाम की कनाडाई लड़की ने 2008 में की थी, जिसका उद्देश्य मिर्गी से जुड़े डर और भ्रांतियों को दूर करना था। इस दिन लोग बैंगनी रंग के कपड़े पहनकर, रिबन लगाकर या विभिन्न जागरूकता अभियानों में भाग लेकर मिर्गी से पीड़ित लोगों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हैं। स्कूलों, अस्पतालों और संगठनों में मिर्गी से जुड़ी जानकारी दी जाती है, ताकि इस बीमारी को लेकर समाज में सही समझ विकसित हो। वर्ल्ड पर्पल डे का संदेश है कि मिर्गी के मरीजों को समाज में समानता और समर्थन मिले, जिससे वे आत्मविश्वास के साथ जीवन जी सकें।

बांग्लादेश स्वतंत्रता दिवस 
26 मार्च 1971 को बांग्लादेश, जिसे पहले पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था, ने वर्षों के राजनीतिक और सांस्कृतिक तनाव के बाद पाकिस्तान से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। इस घोषणा के कारण बांग्लादेश मुक्ति युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप अंततः बांग्लादेश के स्वतंत्र राष्ट्र का गठन हुआ। पाकिस्तानी सेना द्वारा बांग्लादेश में हमले शुरू करने के कुछ दिनों बाद, पूर्वी पाकिस्तान के नेताओं ने 26 मार्च, 1971 को अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी। मुक्ति (स्वतंत्रता) के इस युद्ध में बांग्लादेश की 'मुक्ति वाहिनी फोर्स' ने भारतीय सेना की मदद से पाकिस्तान के खिलाफ जीत हासिल की। बांग्लादेशी लोग इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं। इस युद्ध में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान ने तत्कालीन पाकिस्तानी शासकों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध शुरू किया था। मुक्ति युद्ध बाद में पूर्ण पैमाने पर भारत-पाकिस्तान युद्ध में बदल गया, जिसके कारण 16 दिसंबर, 1971 को ढाका में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। भारत बांग्लादेश को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश था। (विविध स्रोत)


सोमवार, 24 मार्च 2025

25 मार्च


25 मार्च 
गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान दिवस
प्रख्यात पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी ने मानवता को बचाने के लिए 25 मार्च 1931 को अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। उनका जन्म 26 अक्टूबर 1890 को अतरसुइया में हुआ था। उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में ही अपनी पहली किताब 'हमारी आत्मोसर्गता' लिख डाली थी। गणेश शंकर विद्यार्थी अपनी पूरी जिंदगी में 5 बार जेल गए। हम तो अपना काम करें। गणेश शंकर विद्यार्थी ने किसानों एवं मजदूरों को हक दिलाने के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया तथा  आजादी के आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे। जब अंग्रेजों द्वारा भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिए जाने की देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई। इससे घबराकर अंग्रेजों ने देश में सांप्रदायिक दंगे भड़का दिए। सन् 1931 में पूरे कानपुर में दंगे हो रहे थे। तब लोकप्रिय अखबार 'प्रताप' के संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी पूरे दिन दंगाग्रस्त क्षेत्रों में घूमकर निर्दोषों की जान बचाते रहे। दंगे रोकते-रोकते ही उनकी मौत हुई थी। उन्होंने सैकड़ों लोगों की जान बचाई और 25 मार्च 1931 को कानपुर में लाशों के ढेर में उनकी लाश मिली।29 मार्च को उनको अंतिम विदाई दी गई। 

नॉर्मन बोरलॉग का जन्म दिवस 
यह दिन कृषि वैज्ञानिक नार्मन बोरलॉग के जन्म के लिए जाना जाता है। हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले बोरलॉग को उनके काम के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था।हरित क्रांति के जनक के रूप में जाने जाने वाले नॉर्मन बोरलॉग का जन्म 25 मार्च, 1914 को क्रेस्को, आयोवा के पास एक खेत में हुआ था। अपने गृहनगर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने मिनेसोटा विश्वविद्यालय में वानिकी और पादप रोग विज्ञान का अध्ययन किया, जहाँ उन्होंने स्नातक और परास्नातक की डिग्री हासिल की और 1942 में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। ड्यूपॉन्ट डी नेमोर्स फाउंडेशन के साथ एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट के रूप में दो साल बिताने के बाद, उन्होंने मैक्सिकन सरकार और रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा प्रायोजित सहकारी मैक्सिकन कृषि कार्यक्रम के गेहूं सुधार प्रयासों का नेतृत्व करने की चुनौती ली।मेक्सिको में, नॉर्मन बोरलॉग के वैज्ञानिक ज्ञान को एक मानवीय मिशन में अभिव्यक्ति मिली: दुनिया के भूखे लोगों को खिलाने के लिए बेहतर अनाज की किस्मों का विकास करना। एक व्यावहारिक, ऊर्जावान, व्यावहारिक शोधकर्ता, बोरलॉग ने खेत मजदूरों, छात्रों और प्रशिक्षुओं के साथ खेतों में काम किया, अपने ज्ञान के साथ-साथ खाद्य फसलों के उत्पादन के श्रम को भी साझा किया। मेक्सिको में अपने 20 वर्षों के दौरान, बोरलॉग और उनके सहयोगियों ने एक अर्ध-बौनी, उच्च उपज वाली गेहूं की किस्म को परिपूर्ण किया जो रोग के प्रति प्रतिरोधी थी और लॉजिंग (अक्सर उच्च उपज वाले अनाज में होने वाली डंठल का झुकना और टूटना) का प्रतिरोध करती थी। दक्षिण एशिया में अपने काम के लिए और मेक्सिको में अपने पहले के काम के लिए, बोरलॉग को 1970 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। वर्षों से, उन्हें दुनिया भर के विश्वविद्यालयों, सरकारों और संगठनों से मानद उपाधियाँ और मान्यताएँ मिलीं। इन सबके बावजूद, वे एक बेहद विनम्र और व्यावहारिक व्यक्ति बने रहे जो शांति पुरस्कार जीतने के बाद भी उतने ही उत्पादक थे जितने वे पहले थे। उनकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता दुनिया के किसानों के लिए थी और यह कि कोई भी बच्चा भूखा न सोए।

दास प्रथा के अंत का दिवस 
25 मार्च को गुलामी और ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार के पीड़ितों की याद का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने 2007 में घोषित किया था. इस दिन, दुनिया भर में लोग दास व्यापार की त्रासदी को याद करते हैं और गुलामी के पीड़ितों को याद करते हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 दिसंबर, 2007 को 25 मार्च को गुलामी और ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार के पीड़ितों की याद का अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया. इस दिन का उद्देश्य ट्रांसअटलांटिक दास व्यापार के कारणों, परिणामों और सबक पर चर्चा करना और नस्लवाद और पूर्वाग्रह के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. 25 मार्च 1807 को ब्रिटेन की संसद ने दास व्यापार को समाप्त किया. 1834 में, ब्रिटिश साम्राज्य में दास प्रथा समाप्त कर दी गई. ब्रिटिश काल के दौरान, 1833 के चार्टर अधिनियम ने ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा शासित भारत के कुछ हिस्सों में दासता को समाप्त करने का प्रावधान किया. ब्रिटिश संसद ने 1843 में भारतीय दासता अधिनियम पारित किया, जिसने भारत में दासता को अवैध घोषित कर दिया. 
(विविध स्रोत)

रविवार, 23 मार्च 2025

24 मार्च


24 मार्च 
विश्व टीबी दिवस 
World Tuberculosis Day
विश्व टीबी दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है. इस दिन का मुख्य उद्देश्य टीबी के रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इसके इलाज के लिए सजग करने होता है. विश्व टीबी दिवस (World Tuberculosis Day) के अवसर पर डब्ल्यूएचओ (WHO) अलग-अलग क्षेत्रों और देशों में जरूरतमंद लोगों की मदद करता और बीमारी को लेकर लोगों को जागरुक करने का भी काम करता है. इस दिन खासतौर पर टीबी के नियंत्रण की दिशा में की गई उपलब्धियों को याद किया जाता है और लोगों को बताया जाता है. वैसे तो टी.बी को फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, जैसे हड्डियां, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि।टी.बी यानि क्षय रोग यह एक ऐसा संक्रामक रोग है, जिसे प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका गया तो जानलेवा साबित होता है। यह व्यक्ति को धीरे-धीरे मारता है। टी.बी. रोग को अन्य कई नाम से जाना जाता है, जैसे तपेदिक तथा यक्ष्मा।वर्ल्ड टीबी डे की कहानी करीब 140 साल पुरानी है। 24 मार्च 1882 को डॉ. रॉबर्ट कोच ने ऐलान किया कि उन्होंने टीबी फैलाने वाले बैक्टीरिया का पता लगा लिया है। उस दौर में टीबी एक जानलेवा महामारी थी, जिसने लाखों लोगों की जान ले ली थी। डॉ. कोच की इस खोज ने टीबी के इलाज और रोकथाम में एक नई उम्मीद जगाई।1982 में, इस ऐतिहासिक खोज के 100 साल पूरे होने पर पहली बार वर्ल्ड टीबी डे मनाया गया।वर्ल्ड टीबी डे का मकसद है लोगों को इसके लक्षण, इलाज और बचाव के बारे में जानकारी देना। इस दिन कई जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं ताकि लोग इस बीमारी के प्रति सजग रहें और समय पर इलाज करवा सकें।

सत्य का अधिकार दिवस 
Day for The Right to The Truth Concerning Gross Human Rights Violations and for the Dignity of Victims
प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को घोर मानव अधिकार उल्लंघन के संबंध में सत्य के अधिकार और पीड़ितों की गरिमा के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। यह वार्षिक समारोह मोनसिग्नोर ऑस्कर अर्नुल्फो रोमेरो की स्मृति को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, जिनकी 24 मार्च 1980 को हत्या कर दी गई थी। मोनसिग्नोर रोमेरो अल साल्वाडोर में सबसे कमजोर व्यक्तियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करने में सक्रिय रूप से लगे हुए थे। 21 दिसम्बर 2010 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 24 मार्च को घोर मानव अधिकार उल्लंघन के संबंध में सत्य के अधिकार और पीड़ितों की गरिमा के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया । यह तिथि इसलिए चुनी गई क्योंकि 24 मार्च 1980 को मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करने पर अल साल्वाडोर के आर्कबिशप ऑस्कर अर्नुल्फो रोमेरो की हत्या कर दी गई थी। 2006 में किए गए एक अध्ययन में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने निष्कर्ष निकाला कि मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन और मानवाधिकार कानून के गंभीर उल्लंघन के बारे में सच्चाई जानने का अधिकार एक अविभाज्य और स्वायत्त अधिकार है, जो मानवाधिकारों की रक्षा और गारंटी देने, प्रभावी जांच करने और प्रभावी उपचार और क्षतिपूर्ति की गारंटी देने के राज्य के कर्तव्य और दायित्व से जुड़ा हुआ है।अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है कि सत्य के अधिकार का तात्पर्य उन घटनाओं, उनकी विशिष्ट परिस्थितियों और उनमें भाग लेने वालों के बारे में पूर्ण और संपूर्ण सत्य जानना है, जिसमें उन परिस्थितियों को जानना भी शामिल है जिनमें उल्लंघन हुए, साथ ही उनके कारण भी।
सत्य के अधिकार पर 2009 की रिपोर्ट में , संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने इस अधिकार के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं की पहचान की, विशेष रूप से मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से संबंधित अभिलेखों और अभिलेखों से संबंधित प्रथाओं, तथा ऐसे उल्लंघनों से जुड़े मुकदमों में शामिल गवाहों और अन्य व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए कार्यक्रम। एल साल्वाडोर के लिए सत्य पर आयोग की स्थापना 27 अप्रैल 1991 के मेक्सिको समझौते के अनुसार की गई थी, जिसका उद्देश्य 1980 से हुई हिंसा की गंभीर घटनाओं की जांच करना था, और जिनके समाज पर पड़ने वाले प्रभाव के लिए सच्चाई का तत्काल सार्वजनिक ज्ञान आवश्यक माना गया था। 15 मार्च 1993 की अपनी रिपोर्ट में , आयोग ने सरकार समर्थक बलों, तथाकथित "मृत्यु दस्तों" द्वारा आर्कबिशप ऑस्कर अर्नुल्फो रोमेरो की हत्या के तथ्यों को दर्ज किया। 24 मार्च 1980 को जब वे सामूहिक प्रार्थना कर रहे थे, तब एक हत्यारे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। (विविध स्रोत)

शनिवार, 22 मार्च 2025

23 मार्च


23 मार्च 
शहीद दिवस 
23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। 1931 में इसी दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी। देश के लिए इन तीनों वीर सपूतों ने हंसते हुए अपना जान कुर्बान कर दी थी। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेंबली में एक खाली स्थान पर बम फेंका था। इसके बाद उन्होंने स्वयं गिरफ्तारी देकर अपना संदेश दुनिया के सामने रखा। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी सांडर्स की हत्या में भी शामिल होने के कारण देशद्रोह और हत्या का मुकदमा चला। यह मुकदमा भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में लाहौर षड्यंत्र के नाम से जाना जाता है।भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था और 23 मार्च 1931 को शाम 7.23 पर भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फांसी दे दी गई। शहीद सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को पंजाब को लायलपुर पाकिस्तान में हुआ। भगत सिंह और सुखदेव के परिवार लायलपुर में पास-पास ही रहने से इन दोनों वीरों में गहरी दोस्ती थी, साथ ही दोनों लाहौर नेशनल कॉलेज के छात्र थे। सांडर्स हत्याकांड में इन्होंने भगत सिंह तथा राजगुरु का साथ दिया था । शहीद राजगुरु का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे जिले के खेड़ा में हुआ । पुलिस की बर्बर पिटाई से लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए राजगुरु ने 19 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेज सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स को गोली मार दी थी और खुद ही गिरफ्तार हो गए थे। 23 मार्च को पूरे भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उन वीर सेनानियों को श्रद्धांजलि देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। (विविध स्रोत)

शुक्रवार, 21 मार्च 2025

22 मार्च


22 मार्च 
विश्व जल दिवस 
पानी के महत्व को समझाने और स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1993 में हुई थी। 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र ने एक सम्मेलन का आयोजन किया। उसी दिन विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई। बाद में 1993 में पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया। तब से हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाने लगा। वहीं वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र मे सुरक्षित, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता के अधिकार को मानवाधिकार के रूप में मान्यता दी। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, ऐसे में यह कथन सटीक है कि 'जल ही जीवन है'। विश्व में कई जगहों पर पानी की कमी बनी रहती है। विकास के लिए तेजी से बढ़ रही फैक्ट्रियां और जनसंख्या के कारण जो पानी के सीमित संसाधन है, उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और पानी का जरूरत से ज्यादा उपयोग हो रहा है। जाने अनजाने पानी की बर्बादी और जल प्रदूषण के कारण लोग पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। इसी समस्या से विश्व को अवगत कराने, पानी की बर्बादी को रोकने, जल को प्रदूषित होने से बचाने के लिए विश्व जल दिवस मनाया जाता है।विश्व जल दिवस हर साल 22 मार्च को मीठे पानी के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने और मीठे पानी के संसाधनों के सतत प्रबंधन की वकालत करने के लिए मनाया जाता है। यह सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 6: 2030 तक सभी के लिए पानी और स्वच्छता के समर्थन में वैश्विक जल संकट से निपटने के लिए कार्रवाई करने के बारे में है।

बिहार दिवस 
बिहार दिवस, जिसे बिहार स्थापना दिवस भी कहा जाता है, हर वर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन 1912 में बिहार को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में स्थापित किए जाने की स्मृति में मनाया जाता है। बिहार का इतिहास, संस्कृति और परंपराएं अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण हैं, जो इसे भारत के प्रमुख राज्यों में से एक बनाती हैं।बिहार दिवस न केवल राज्य के गठन का उत्सव है, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक पहचान, इतिहास, और विकास की यात्रा का भी प्रतीक है। यह दिन बिहारवासियों के लिए गर्व का अवसर होता है, जब वे अपने राज्य की उपलब्धियों को याद करते हैं और भविष्य के लिए नए संकल्प लेते हैं।बिहार का इतिहास प्राचीन काल से ही गौरवशाली रहा है। यह क्षेत्र वैदिक काल में ‘विहार’ या ‘विहारक’ के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है ‘मठों की भूमि’। इस भूमि ने अनेक महान साम्राज्यों को जन्म दिया, जिनमें मौर्य, गुप्त, और पाल वंश प्रमुख हैं। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य और उनके प्रधानमंत्री आचार्य चाणक्य ने मगध क्षेत्र से ही अपने साम्राज्य का विस्तार किया। सम्राट अशोक, जिन्हें विश्व में शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, ने भी यहीं से शासन किया। उनके शासनकाल में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रसार हुआ और बिहार बौद्ध शिक्षा का केंद्र बना।बिहार का नाम आते ही सबसे पहले इसकी ऐतिहासिक विरासत का स्मरण होता है. यह वही भूमि है, जहां महात्मा बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और जहां भगवान महावीर ने पावापुरी में निर्वाण प्राप्त किया था. यह वही प्रदेश है, जिसने महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट को जन्म दिया, जिनकी खोजों ने गणित और खगोलशास्त्र को नई दिशा दी. आर्यभट्ट, जिनका जन्म कुसुमपुर (आधुनिक पटना) या अस्मक में माना जाता है, ने दशमलव प्रणाली में शून्य का प्रयोग कर गणित जगत में क्रांतिकारी योगदान दिया. बिहार का इतिहास अपनी समृद्ध विरासत के कारण आज भी विश्वभर में प्रसिद्ध है, और नालंदा विश्वविद्यालय इसकी गौरवशाली विरासत का एक प्रमुख उदाहरण है.बिहार को राज्य का दर्जा 22 मार्च 1912 में मिला जब यह बंगाल से अलग होकर एक स्वतंत्र प्रांत बना. जब बिहार राज्य बना, तब इसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित थी और शिक्षा और औद्योगिक विकास की ओर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जाता था और आज भी इसमें बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। हालांकि, सरकार अब अपनी कई योजनाओं से इसे बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है. आज हम पुनः 22 मार्च को बिहार दिवस मनाने जा रहे हैं जो 1912 में बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग होकर एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में बिहार की स्थापना की याद दिलाता है. 2000 में झारखंड के अलग होने के बाद बिहार के सामने नई चुनौतियां उत्पन्न हुईं, जिनमें कानून-व्यवस्था की गिरती स्थिति प्रमुख थी. हालांकि, सरकार में बदलाव के बाद कानून-व्यवस्था में सुधार, सड़क निर्माण और शिक्षा के विस्तार की दिशा में ठोस कदम उठाए गए. (विविध स्रोत)

गुरुवार, 20 मार्च 2025

21 मार्च


21 मार्च 
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस और विश्व वानिकी दिवस
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस और विश्व वानिकी दिवस हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है ताकि वर्तमान और भावी पीढ़ियों को वनों और पेड़ों की सराहना और महत्व समझने में मदद मिल सके और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में वनों द्वारा किए जाने वाले योगदान के बारे में लोगों की समझ और ज्ञान बढ़े। यह धन उगाही हर तरह के वनों और गैर-वनीय वृक्षों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाती है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनके लाभों का आनंद उठा सकें। संयुक्त राष्ट्र 21 मार्च को विश्व भर में हरित आवरण के महत्व को स्वीकार करते हुए इसे अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के रूप में मनाता है। जंगलों के बचाए रखने के लिए वर्ष 1971 में यूरोपीय कृषि संगठन की 23वीं आम बैठक में 21 मार्च को प्रतिवर्ष 'विश्व वानिकी दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया गया। बाद में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने भी पेड़ों के महत्व के विषय में जन-जागरूकता फैलाने के लिए 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'विश्व वानिकी दिवस' मनाने पर अपनी सहमति दी, तभी से 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'विश्व वानिकी दिवस' मनाने की शुरुआत हुई।संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 मार्च 2012 को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के रूप में घोषित किया ताकि लोगों को वन पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व के बारे में जानने और सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जंगलों और पेड़ों से जुड़ी गतिविधियों को आयोजित करने के लिए देशों के लिए एक आवश्यकता पेड़ लगाने को प्रोत्साहित करती है।

विश्व कविता दिवस -वर्ल्ड पोएट्री डे
1999 में 21 मार्च के दिन संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और संस्कृत संगठन यानी यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के तौर पर मनाना शुरू किया था. पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र के तीसवें सम्मेलन में इसकी घोषणा हुई थी. इसका उद्देश्य था कविता के द्वारा लोगों की अभिव्यक्ति को बढ़ावा देना. दुनिया की अलग-अलग भाषाओं को उनकी संस्कृतियों को बढ़ावा देना. यूनेस्को के रिकॉर्ड्स के अनुसार मोरक्को राष्ट्रीय आयोग ने इस दिन को कविता दिवस के तौर पर मनाने के लिए अनुरोध किया था. तब से 21 मार्च को ही पूरी दुनिया में विश्व कविता दिवस मनाया जा रहा है. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य कविता और कवियों को बढ़ावा देना है. खास तौर पर क्षेत्रीय भाषाओं में लिखने वाले कवियों को प्रोत्साहन देना और उनकी संस्कृति को बचाए रखना है. दुनिया का शायद ही ऐसा कोई विषय हो जिसको लेकर किसी कवि ने कविता ना कही हो. वर्ल्ड पोएट्री डे कला के साथ कविता का संबंध बताता है. रंगमंच में कविता का योगदान, पेंटिंग में कविता का योगदान, और नृत्य में कविता का योगदान. किसी के चलते तमाम गैर सरकारी संगठन, राष्ट्रीय आयोग, निजी संस्थान जैसे स्कूल, पब्लिकेशन हाउस, म्यूजियम आदि सब में विश्व कविता दिवस सामूहिक तौर पर मनाया जाता है. यूनेस्को के अनुसार विश्व कविता दिवस मानवता के सांस्कृतिक और भाषाई अभिव्यक्तियों के सबसे बहुमूल्य रूपों में से एक का जश्न मनाता है। कविता महाद्वीपों के पार लोगों को एक साथ लाती है और दुनिया भर में असंख्य रूपों में पाई जाती है। इस कलात्मक अभिव्यक्ति की सार्वभौमिक प्रकृति 2003 सम्मेलन की सूचियों में कविता से जुड़े तत्वों की संख्या से पता चलती है, सबसे हाल ही में अंकितपासिल्लो, एक इक्वाडोरियन संगीतमय कविता, लेबनानी कोअल-ज़जल, 2014 में अंकित, और यूक्रेनीद्निप्रोपेट्रोव्स्क क्षेत्र के कोसाक गीत2016 में इसे तत्काल सुरक्षा सूची में शामिल किया गया। इनमें से एक होने के नाते 2003 कन्वेंशन के पांच डोमेन,मौखिक परंपराएं और अभिव्यक्तियाँकहावतें, पहेलियाँ, कहानियाँ, नर्सरी कविताएँ, किंवदंतियाँ, मिथक, महाकाव्य गीत और कविताएँ, आकर्षण, प्रार्थनाएँ, मंत्र, गीत, नाटकीय प्रदर्शन और बहुत कुछ सहित बोली जाने वाली कई तरह की विधाएँ शामिल हैं। मौखिक परंपराओं और अभिव्यक्तियों का उपयोग ज्ञान, सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों और सामूहिक स्मृति को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है। वे संस्कृतियों को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।सर्वेकोविड-19 महामारी के आलोक में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि कविता सहित मौखिक परंपराओं ने लोगों को अस्थायी रूप से अपने डर से बाहर निकलने और अपने प्रियजनों के साथ घर पर आराम पाने का मौका दिया।(विविध स्रोत)

बुधवार, 19 मार्च 2025

20 मार्च


20 मार्च 
अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस 
20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें प्रसन्नता को अधिक प्राथमिकता दिए जाने का आह्वान किया गया है।2011 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया , जिसमें खुशी को एक “मौलिक मानवीय लक्ष्य” के रूप में मान्यता दी गई और “आर्थिक विकास के लिए एक अधिक समावेशी, न्यायसंगत और संतुलित दृष्टिकोण का आह्वान किया गया, जो सभी लोगों की खुशी और कल्याण को बढ़ावा दे।” 2012 में खुशी पर पहला संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हुआ और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें यह तय किया गया कि हर साल 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस मनाया जाएगा। इसे पहली बार 2013 में मनाया गया था।

विश्व गौरैया दिवस
हर साल 20 मार्च के दिन 'विश्व गौरैया दिवस' मनाया जाता है। पहली बार विश्व गौरैया दिवस 2010 में मनाया गया था। पिछले कुछ सालों से प्रतिवर्ष 20 मार्च विश्व गौरैया दिवस को लोगों में गौरैया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। गौरैया को शहर के मुकाबले गांव में रहना अधिक पसंद आता है। सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद मोहम्मद ई. दिलावर के प्रयासों से तथा अन्य लोगों यानी जो पर्यावरण और वन्य जीव के प्रति जागरूक हैं, उन्हीं के कारण दुनिया भर में 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है, ताकि लोग इस पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें।गौरैया संरक्षण के लिए पर्यावरणविद दिलावर द्वारा नेचर फॉर सोसाइटी नामक एक संस्था बनाई गई और उन्हीं के द्वारा शुरू की गई इस पहल पर आज बहुत से लोग गौरैया बचाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।तेजी से बढ़ते प्रदूषण, बाज-चील, पतंगों से समेत अन्य कई कारणों से गौरेया की संख्या में बहुत कमी आई है। जिसकी वजह से अब नन्ही चिड़ियां का अस्तित्व खत्म होने की कगार है, जिसे हम सबको मिलकर बचाना है। गौरैया की लगातार घटती संख्या को लेकर एक रिपोर्ट में बताया गया कि इस पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने के लिए इंसान ही जिम्मेदार है।विश्व गौरैया दिवस मनाने का एक उद्देशय यह भी है कि हमारे युवा और प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों को गौरैया से प्रेम करने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। ब्रिटेन की ‘रॉयल सोसाइटी आफ प्रोटेक्शन आफ बर्डस‘ ने इस चुलबुली और चंचल पक्षी को ‘रेड लिस्ट‘ में डाल दिया है. दुनिया भर में ग्रामीण और शहरी इलाकों में गौरैया की आबादी घटी है।

विश्व कथावाचन दिवस
1991 में स्वीडन में एक कहानी दिवस मनाया गया था। इस आयोजन के पीछे की भावना दुनिया भर में फैल गई, और अब हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व कहानी दिवस मनाते हैं। कहानी सुनाना लगभग उतना ही पुराना है जितना कि मानव जाति का इतिहास। वास्तव में, हम बिना कथा के अपने आस-पास की दुनिया को समझ नहीं सकते, कहानी सुनाने की शक्ति के बिना हम सब कुछ समझ नहीं सकते। हमारा दिमाग कहानियों को समझने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए बना है!जिस तरह से कहानियाँ साझा की जाती हैं और अपना जीवन जी लेती हैं, उसी तरह विश्व कहानी दिवस धीरे-धीरे समय के साथ बढ़ता गया और पूरी दुनिया में फैल गया। इसकी शुरुआत 1991 में स्वीडन में हुई, जब मार्च विषुव के समय अल्ला बेरेटारेस डे (सभी कहानीकार दिवस) मनाया गया। और जल्द ही दुनिया के बाकी हिस्सों ने भी इसे अपना लिया। 1997 तक यह उत्सव ऑस्ट्रेलिया और लैटिन अमेरिका तक पहुंच गया था और 2002 तक यह स्कैंडिनेविया के बाकी हिस्सों में फैल गया था। 2009 में पहली बार यह सभी छह महाद्वीपों (अंटार्कटिका को छोड़कर) में मनाया गया। अब विश्व कहानी दिवस हर वर्ष मनाया जाता है और हर बार एक अलग विषय पर केंद्रित होता है, उदाहरण के लिए सपने, पेड़ और यात्राएं।विश्व कहानी दिवस का उद्देश्य मौखिक कहानी कहने की कला का जश्न मनाना है, जिसमें दुनिया भर के ज़्यादा से ज़्यादा लोग एक ही दिन अपनी भाषा में कहानियाँ सुनाएँ और सुनें। इसमें भाग लेने वाले लोग दुनिया भर के उन लोगों से जुड़ सकते हैं जो इसमें योगदान दे रहे हैं, जिससे यह एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय उत्सव बन जाता है जो नई दोस्ती बनाता है और दुनिया भर की संस्कृतियों की सकारात्मक समझ को बढ़ावा देता है।


विश्व मुख स्वास्थ्य दिवस 
World Oral Health Day

विश्व मुख स्वास्थ्य दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम है जो मौखिक स्वच्छता, इसके महत्व और मौखिक रोगों में योगदान देने वाले कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। मौखिक स्वास्थ्य मुंह, दांतों और ऑरोफेशियल संरचनाओं की स्थिति है जो व्यक्तियों को बोलने, सांस लेने और खाने जैसे आवश्यक कार्य करने में सक्षम बनाती है। विभिन्न परिवर्तनीय जोखिम कारक, जैसे कि चीनी से भरपूर भोजन का सेवन, खराब मौखिक स्वच्छता, तंबाकू और शराब का सेवन, मौखिक विकारों को जन्म देते हैं। हार्मोनल बदलावों के कारण गर्भवती महिलाओं के मसूड़ों में प्लाक होने का खतरा अधिक होता है। 12 सितम्बर 2007 को विश्व मौखिक स्वास्थ्य दिवस की स्थापना फ्रांसीसी संगठन फेडरेशन डेंटेयर इंटरनेशनेल (एफडीआई) विश्व दंत चिकित्सा महासंघ द्वारा एफडीआई के संस्थापक डॉ. चार्ल्स गोडोन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में की गई थी। हालांकि, सितंबर में होने वाले एफडीआई वर्ल्ड डेंटल कांग्रेस के साथ संभावित टकराव से बचने के लिए, तारीख को 20 मार्च 2013 तक बढ़ा दिया गया, और तब से यह जारी है।


वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे
वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य सिर और दिमाग में लगने वाली चोटों (Traumatic Brain Injury) के जोखिम के बारे में लोगों को जानकारी देना है। सिर में चोट लगने के मुद्दे को पहले समाज में गंभीरता से नहीं उठाया जाता था, लेकिन जैसे-जैसे रोड एसिडेंट्स, खेलने के दौरान चोट लगने और घरों में होने वाले हदसे के कारण सिर में चोट लगने की समस्या बढ़ने लगी, वैसे-वैसे लोगों को सिर में चोट लगने की गंभीरता को लेकर जागरुक किया जाने लगा। ऐसे में हर साल 20 मार्च को इस दिन को मनाने का फैसला किया गया, ताकि सिर की चोटों के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं और मृत्यु दर को कम किया जा सके। वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे का आयोजन अलग-अलग स्वास्थ्य संगठनों, एनजीओ और सरकार द्वारा किया जाता है, जो सिर की चोटों के इलाज, बचाव और सुरक्षा से जुड़े उपायों के बारे में लोगों तक जानकारी फैलाते हैं।
(विविध स्रोत)

मंगलवार, 18 मार्च 2025

19 मार्च

19 मार्च 
सीआरपीएफ दिवस 
CRPF Day

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) 19 मार्च को हर साल सीआरपीएफ दिवस के रूप में मनाता है।
इस अवसर को चिह्नित करने के लिए आयोजित परेड को 'वर्षगांठ दिवस परेड' के बजाय 'सीआरपीएफ दिवस परेड' के रूप में नामित किया गया है। जिस तरह सेना दिवस पर भव्य परेड होती है, उसी तरह अब हर साल 19 मार्च को 'सीआरपीएफ दिवस परेड' का आयोजन किया जाएगा। सरदार पटेल ने 19 मार्च 1950 में सीआरपीएफ को प्रेसिडेंट कलर्स भेंट किया था। सीआरपीएफ देश का एकमात्र अर्धसैनिक बल है जिसे आजादी से पहले स्थापित किया गया था। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, 27 जुलाई 1939 को क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में अस्तित्व में आया था। उसके बाद 28 दिसंबर 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने पर इसे 'केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल' का दर्जा प्रदान किया गया। आजादी के बाद 28 दिसंबर, 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का नाम 'केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल' रखा गया था। सरदार पटेल ने 1950 में 19 मार्च के दिन ही सीआरपीएफ को झंडा यानी 'प्रेजीडेंट कलर्स' प्रदान किया था। सीआरपीएफ, देश का इकलौता ऐसा अर्धसैनिक बल है, जिसकी स्थापना आजादी से पहले हो गई थी। इस बल के जांबाजों ने युद्ध के मोर्चे पर चीन और पाकिस्तान की सेना को कड़ी टक्कर दी थी। जिस तरह से 'आर्मी डे' पर भव्य परेड होती है, उसी तरह हर साल 19 मार्च को 'सीआरपीएफ डे परेड' आयोजित की जाती है।

अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक दिवस 
International Client's Day 
दुनिया भर के ग्राहकों और बहुराष्ट्रीय निगमों से लेकर सुविधा स्टोर तक विभिन्न व्यवसायों में उनके योगदान का जश्न मनाने की अवधारणा 2010 में क्लेपेडा, लिथुआनिया में शुरू हुई थी। आखिरकार, ग्राहक हर व्यवसाय की नींव होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप 19 मार्च, 2010 को पहला अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक दिवस मनाया गया। और फिर इसे लिथुआनियाई कैलेंडर में स्थायी रूप से जोड़ दिया गया। तब से, अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक दिवस की लोकप्रियता में वृद्धि ही हुई है। 2012 में, यह पूरी तरह से वायरल हो गया क्योंकि दुनिया भर की कंपनियों ने अपने ग्राहकों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाया।2013 में, ग्राहक दिवस को कई लिथुआनियाई निगमों द्वारा लागू किया गया और स्वयं लिथुआनिया के राष्ट्रपति ने इसकी सराहना की, और तब से यह रूस में भी फैल गया है।अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक दिवस आपके सभी ग्राहकों को यह बताने के उद्देश्य से बनाया गया था कि आप कितने खुश हैं कि उन्होंने आपकी कंपनी को चुना है। (विविध स्रोत)

सोमवार, 17 मार्च 2025

18 मार्च

18 मार्च 
आयुध निर्माणी दिवस 
हर साल 18 मार्च को आयुध निर्माणी दिवस (Ordnance Factories’ Day) मनाया जाता है। यह दिवस भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस है। वर्ष 1801 में इसी दिन कोलकाता के कोसीपोर में भारत की पहली आयुध फैक्ट्री की स्थापना हुई थी। यह दिन भारत में बड़े ही देशभक्तिपूर्ण उत्साह के साथ मनाया जाता है, क्योंकि भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में आयुध निर्माणियों का अमूल्य योगदान है। देश में पहली आयुध फैक्ट्री की स्थापना को चिह्नित करने के लिए हर साल 18 मार्च को भारत में आयुध निर्माण दिवस मनाया जाता है। आपको बता दें कि ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) की स्थापना 1979 में हुई थी। लेकिन बाद में इस फैक्ट्री को ब्रिटिश सरकार द्वारा डायरेक्ट कण्ट्रोल में, 1801 में कोलकाता के कोसीपोर में पहली आयुध फैक्ट्री में बदल दिया गया। इसके बाद पहली बार 18 मार्च 1801 में आयुध निर्माणी दिवस में मनाया गया। पहला आयुध कारखाना वर्ष 1801 में इसी दिन कोलकाता के कोसीपोर में स्‍थापित किया गया था, जिसे अब ‘गन एंड शेल फैक्टरी’ के रूप में जाना जाता है। आयुध कारखाने दरअसल 41 आयुध कारखानों का एक समूह है, जिनका कॉरपोरेट मुख्‍यालय कोलकाता स्थित आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) है। ओएफबी नए अवतार में 02 अप्रैल,1979 को अस्तित्‍व में आया था। 
यह आयुध कारखानों और संबंधित संस्थानों के लिए एक पूर्ण निकाय है तथा वर्तमान में रक्षा मंत्रालय (MoD) का एक अधीनस्थ कार्यालय है। न केवल सशस्त्र बलों के लिए बल्कि अर्द्धसैनिक और पुलिस बलों हेतु हथियार, गोला-बारूद और आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा OFB द्वारा संचालित कारखानों से आता है। नागरिक और सैन्य-ग्रेड हथियार और गोला-बारूद, विस्फोटक, मिसाइल सिस्टम के लिए प्रणोदक और रसायन, सैन्य वाहन, बख्तरबंद वाहन, ऑप्टिकल उपकरण, पैराशूट, रक्षा उपकरण, सेना के कपड़े और सामान्य भंडार आदि इसके उत्पादन में शामिल हैं।

ग्लोबल रीसाइक्लिंग डे
हर साल 18 मार्च को ग्लोबल रिसाइकिलिंग डे मनाया जाता है। यह दिन सभी को अपने कचरे को अलग नज़रिए से देखने के लिए आमंत्रित करता है। यह पहल हमें याद दिलाती है कि हमारा ज़्यादातर कचरा दोबारा इस्तेमाल करने लायक, रिसाइकिल करने लायक या फिर कचरा ही नहीं है।अंतर्राष्ट्रीय पुनर्चक्रण ब्यूरो ने 2018 में वैश्विक पुनर्चक्रण दिवस की शुरुआत की। उसी वर्ष, संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन ने इस आयोजन को मान्यता दी। तब से, दुनिया भर के संगठन जागरूकता बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रमों का समर्थन करके इस आयोजन में शामिल हुए हैं, जिससे हमारे द्वारा उत्पादित कचरे की मात्रा को कम करने में मदद मिलेगी। वहीं हर साल 15 नवंबर को, संयुक्त राज्य अमेरिका में लाखों लोग अमेरिका रीसाइकिल्स दिवस में भाग लेते हैं। यह दिन रीसाइक्लिंग और रीसाइकिल उत्पादों की खरीद के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। नेशनल रिसाइक्लिंग कोएलिशन द्वारा अमेरिका रिसाइकिल्स डे 1997 में शुरू किया गया था । हर साल, राष्ट्रपति इस दिन की घोषणा करते हैं , अमेरिकियों को रिसाइकिलिंग के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। 2009 से, यह दिन अमेरिका को सुंदर बनाए रखने का एक कार्यक्रम रहा है। संगठन पूरे अमेरिका में हजारों कार्यक्रमों की मेजबानी करते हैं ताकि रिसाइकिलिंग के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और व्यक्तिगत प्रतिज्ञाएँ दी जा सकें जिन पर आप हस्ताक्षर कर सकते हैं, रिसाइकिलिंग के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं और रिसाइकिल की गई सामग्रियों से बने उत्पादों को खरीद सकते हैं। (विविध स्रोत)



रविवार, 16 मार्च 2025

17 मार्च

17 मार्च 
सेंट पैट्रिक दिवस 
17 मार्च को सेंट पैट्रिक दिवस मनाया जाता है। यह आयरिश और आयरिश-अमेरिकी अवकाश है जो 17 मार्च, 492 को आयरलैंड के संरक्षक संत पैट्रिक की मृत्यु की याद में मनाया जाता है। यह कई अमेरिकी शहरों में आयरिश विरासत को परेड के साथ मनाने का अवसर भी है। इन त्यौहारों की परंपराओं में सबसे प्रसिद्ध न्यूयॉर्क सिटी परेड है, जो आधिकारिक तौर पर 17 मार्च, 1766 (1762 में एक अनौपचारिक मार्च आयोजित किया गया था) से जुड़ी है; बोस्टन परेड, जो संभवतः 17 मार्च, 1775 तक पुरानी है; और सवाना, जॉर्जिया परेड, जो 17 मार्च, 1824 से जुड़ी है।1879 में न्यूयॉर्क शहर में सेंट पैट्रिक कैथेड्रल का निर्माण पूरा हुआ, तो परेड को फिफ्थ एवेन्यू तक बढ़ा दिया गया ताकि आर्कबिशप और पादरी चर्च के सामने खड़े होकर उत्सव की समीक्षा कर सकें। 17 मार्च को आयरिश लोगों के सम्मान में हरे रंग के कपड़े पहनने और शेमरॉक से सजावट की परंपरा है। किंवदंतियों के अनुसार, हरे रंग के कपड़े पहनने की परंपरा 1726 में सेंट पैट्रिक के बारे में लिखी गई एक कहानी से शुरू होती है। सेंट पैट्रिक (लगभग 385-461 ई.) ने पवित्र त्रिमूर्ति को दर्शाने के लिए शेमरॉक का इस्तेमाल किया और हरे रंग के कपड़े पहने। सेंट पैट्रिक का पर्व 17वीं सदी की शुरुआत में शुरू हुआ था। यह दिन सेंट पैट्रिक की मृत्यु का प्रतीक है और इसे आधिकारिक ईसाई पर्व के रूप में चुना गया था और कैथोलिक चर्च द्वारा मनाया जाता है। यह दिन आयरलैंड गणराज्य, उत्तरी आयरलैंड, कनाडा के न्यूफ़ाउंडलैंड और लैब्राडोर प्रांत और ब्रिटिश ओवरसीज़ टेरिटरी ऑफ़ मोंटसेराट में सार्वजनिक अवकाश भी है। यह दुनिया भर में आयरिश प्रवासियों द्वारा भी व्यापक रूप से मनाया जाता है, विशेष रूप से ग्रेट ब्रिटेन, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में।

रंगभेद समाप्ति दिवस 
17 मार्च 1992 को दक्षिण अफ्रीका ने रंगों के आधार पर इंसानों में भेदभाव के नियम को खत्म कर नए युग की शुरुआत की थी. 1948 से चले आ रहे इस कानून पर हुए जनमत संग्रह में 33 में से 28 लाख से ज्यादा श्वेत लोगों ने वोट देकर इस नियम को जड़ से उखाड़ फेंका. इसी के साथ ही अश्वेतों के बड़े नेता नेल्सन मंडेला के 27 साल तक जेल में रहने की तपस्या भी समाप्त हुई.1990 में अश्वेतों के महान नेता नेल्सन मंडेला को जेल से रिहाई मिली थी. राष्ट्रपति एफडब्ल्यू डी क्लार्क ने देश का काया बदलने का मन बना लिया था और वह चाहते थे कि इस मुद्दे पर लोगों से राय ली जाए कि क्या वे रंगभेद की नीति को जारी रखना चाहते हैं या नहीं. 1948 से दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद था और इसकी वजह से दुनिया भर ने उस पर पाबंदी लगा रखी थी. हालांकि संसद में कुछ पार्टियां इस प्रस्ताव के खिलाफ थीं.देश के करीब 33 लाख श्वेत वोटरों से 17 मार्च, 1992 को पूछा गया कि क्या वे रंगभेद के नियम को खत्म करना चाहते हैं. करीब 28 लाख लोगों ने वोटिंग में हिस्सा लिया और 68.73 फीसदी लोगों ने ऐसा करने का फैसला सुनाया. हालांकि "नहीं" कहने वालों की तादाद भी 31.2 फीसदी रही।नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले राष्ट्रपति डी क्लार्क ने अगले दिन एलान किया, "हमने रंगभेद वाली किताब बंद कर दी है." (विविध स्रोत)

शनिवार, 15 मार्च 2025

16 मार्च

16 मार्च 
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 
National Vaccination Day
मानव शरीर में टीकों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 16 मार्च को भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाया जाता है. भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस की शुरुआत साल 1995 से हुई. इस साल 16 मार्च को पहली बार ओरल पोलियो वैक्सीन यानी कि मुंह के माध्यम से पोलियो वैक्सीन दी गई. यह वह दौर था जब देश में पोलियो के मामले तेजी से बढ़़ रहे थे, जिसपर नियंत्रण पाने के लिए सरकार ने पोलियो टीकाकरण की शुरुआत की थी.भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस ख़त्म हो चुकी बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने के लिए मनाया जाता है कि समुदाय उनसे सुरक्षित है. मौखिक पोलियो वैक्सीन की पहली खुराक भारत में WHO की वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल के हिस्से के रूप में दी गई थी, जो 1988 में शुरू हुई थी. पोलियो उन्मूलन के भारत के प्रयासों के बाद से, देश खसरा और रूबेला उन्मूलन के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर है. टीकाकरण अभियान, “दो बूंद जिंदगी की” में 0 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को लक्षित किया गया है, और सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टीके की दो बूंदें मौखिक रूप से दी जाती हैं.टीकाकरण दशकों से भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति का केंद्र-बिंदु रहा है, जिससे बीमारी के प्रसार और बाल मृत्यु दर को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। सबका टीकाकरण यानी यूआईपी यानी यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम भारत की सबसे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में से एक है, जिसका लक्ष्य हर साल लाखों नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को जीवन रक्षक टीके उपलब्ध कराना है। 

शुक्रवार, 14 मार्च 2025

15 मार्च

15 मार्च 
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 
हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आम जनता के उपभोक्ता अधिकारों को पहचानने और उन पर कार्रवाई करने का दिन है. इसके अलावा, एक उपभोक्ता के रूप में यह प्रत्येक व्यक्ति की एक आवश्यक अभिव्यक्ति है.यह दिन जॉन एफ कैनेडी (पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति) द्वारा 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में उपभोक्ता अधिकारों पर दिए गए भाषण से प्रेरित था. कंज्यूमर्स इंटरनेशनल के कार्यकर्ता अनवर फज़ल ने बाद में इस दिन को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में प्रस्तावित किया. पहली बार अमेरिका में रल्प नाडेर द्वारा उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत की गई, जिसके फलस्वरूप 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए गए विधेयक पर अनुमोदन दिया। अमेरिका के बाद भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत 1966 में मुंबई से हुई थी। 1974 में पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद अनेक राज्यों में उपभोक्ता कल्याण हेतु संस्थाओं का गठन किया गया असौर यह आंदोलन बढ़ता गया। 9 दिसंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बार देशभर में लागू हुआ। इसके बाद 24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। अत: जिस तरह 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाते हैं, वहीं हर साल उपभोक्ता के विभि‍न्न हितों को ध्यान में रखते हुए 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस भी मनाया जाता है। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस उपभोक्ता अधिकारों और जरूरतों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने का एक अवसर है. जो सभी उपभोक्ताओं के अधिकारों का सम्मान किए जाने और उनकी रक्षा की वकालत करता है. इसके आलावा यह दिन बाजार के दुरुपयोग और उन अधिकारों को कमजोर करने वाले सामाजिक अन्याय तथा बाज़ार में होने वाली ठगी, मिलावट, MRP से ज्यादा दाम, बिना तोले समान बेचना या नापतोल में गड़बड़ी, गारंटी के बाद भी सर्विस न देना तथा एक्सपायरी डेट या सील टूटी हुई वस्तुएं बेचने अथवा बिल ना देने व धोखाधड़ी जैसे अपराधों का विरोध करता है. (विविध स्रोत)

गुरुवार, 13 मार्च 2025

14 मार्च

14 मार्च 
पाई दिवस 
पाई दिवस 14 मार्च (3/14) को दुनिया भर में मनाया जाता है। पाई (ग्रीक अक्षर " π ") गणित में एक स्थिरांक को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला प्रतीक है - एक वृत्त की परिधि और उसके व्यास का अनुपात - जो लगभग 3.14159 है। पाई दिवस गणित के प्रति उत्साही लोगों के लिए पाई के अनंत अंकों को सुनाने, अपने दोस्तों से गणित पर बात करने और पाई खाने का एक वार्षिक अवसर है। आपको बता दें कि पाई (ग्रीक अक्षर π) गणित में एक सिंबल को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पाई चिन्ह या टर्म 1706 में एक मैथमेटिशियन विलियम जोन्स द्वारा पेश किया गया था। वहीं इस दिवस को मनाने की शुरुआत 30 साल पहले 1988 में हुई थी, जब भौतिक विज्ञानी लैरी शॉ द्वारा पहली बार सैन फ्रांसिस्को के एक्सप्लोरेटोरियम में बड़े पैमाने पर पाई दिवस मनाया गया था।पाई एक वृत्त की परिधि और उसके व्यास के बीच का अनुपात है। जबकि पाई का विचार लगभग 4000 वर्षों से जाना जाता है, इसकी सटीक गणना करना हाल ही में गणितीय विकास की बात है। 2000 ईसा पूर्व तक, मिस्र और बेबीलोन के लोगों ने निर्माण के लिए स्थिरांक का सटीक उपयोग किया। आर्किमिडीज, फिबोनाची, फ्रांकोइस विएते, एड्रियन वैन रूमेन और गॉटफ्रीड विल्हेम लीबनिज जैसे गणितज्ञों ने पाई की गणना विभिन्न तरीकों से की। हालाँकि, 1706 में, वेल्श गणितज्ञ विलियम जोन्स ने एक वृत्त की परिधि के अनुपात को दर्शाने के लिए ग्रीक अक्षर π पेश किया; पाई। 1988 में लैरी शॉ ने सैन फ्रांसिस्को एक्सप्लोरेटोरियम में पाई दिवस का सबसे पहला आधिकारिक या बड़े पैमाने पर उत्सव आयोजित किया था। एक्सप्लोरेटोरियम में पाई दिवस समारोह का आयोजन आज भी जारी है। 12 मार्च 2009 को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव (HRES 224) पारित कर 14 मार्च 2009 को राष्ट्रीय पाई दिवस के रूप में मान्यता दी। पाई दिवस को इंटरनेशनल मैथमेटिक्स डे या अंतरराष्ट्रीय गणित दिवस के नाम से भी जाना जाता है।

नदियों के लिये अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस International Day of Action for Rivers
14 मार्च को नदियों के लिये अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस (International Day of Action for Rivers) भी मनाया जाता है। आपको बता दें कि नदियों के लिये अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस एक ऐसा दिन है जिसका उद्देश्य नदियों के महत्व के बारे में जश्न मनाना और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना है।इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर नदी प्रबंधन, नदी प्रदूषण, संरक्षण आदि से संबंधित दस्तावेजों पर चर्चा करने के लिए देश विदेश से लोगों को एक साथ लाना है। इस दिन को मनाने की शुरुआत
साल 1997 में ब्राज़ील के कूर्टिबा में आयोजित बाँध प्रभावित लोगों की पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक में हुई थी.
इस बैठक में 20 से ज़्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने 14 मार्च को बांधों के ख़िलाफ़ और नदियों, जल, और जीवन के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई दिवस के रूप में घोषित किया था. इस दिन को मनाने का मकसद नदियों के महत्व को समझना, नदियों के सामने आने वाले खतरों को उजागर करना, नदियों की सुरक्षा की मांग करना,
स्वच्छ और बहते पानी तक न्यायसंगत पहुंच को बढ़ावा देना, मानव जीवन को बनाए रखने के लिए नदियों के महत्व को दिखाना और नदियों के प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करना है। (विविध स्रोत)

13 मार्च

13 मार्च 
वर्ल्ड किडनी डे
इस दिवस का उद्देश्य लोगों को किडनी से जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरूक करना और इसके रोकथाम के उपायों पर जोर देना है। विशेषज्ञों का कहना है कि किडनी फेल्योर के लक्षण तब तक सामने नहीं आते जब तक बीमारी गंभीर स्तर पर नहीं पहुंच जाती, जिससे इलाज के सीमित विकल्प ही बचते हैं। ऐसे में केवल डायलिसिस और ट्रांसप्लांट जैसे महंगे इलाज ही विकल्प रह जाते हैं।विश्व किडनी दिवस (डब्ल्यूकेडी), इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (आईएसएन) और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ किडनी फाउंडेशन - वर्ल्ड किडनी अलायंस (आईएफकेएफ-डब्ल्यूकेए) की एक संयुक्त पहल है, यह एक वैश्विक अभियान है जिसका उद्देश्य समग्र स्वास्थ्य के लिए हमारे गुर्दे के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और गुर्दे की बीमारी और इससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की आवृत्ति और प्रभाव को कम करना है। प्रत्येक वर्ष, सैकड़ों संगठन और व्यक्ति गुर्दे की बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए WKD पर पहल और कार्यक्रम शुरू करते हैं। प्रत्येक वर्ष मार्च माह के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य किडनी की देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।2006 में, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ किडनी फाउंडेशन ने किडनी रोगों और रोकथाम के संबंध में जागरूकता बढ़ाने तथा शैक्षिक अवसरों को बढ़ाने के लिए विश्व किडनी दिवस की शुरुआत की थी।

मंगलवार, 11 मार्च 2025

12 मार्च

12 मार्च 

दांडी मार्च दिवस 
12 मार्च 1930 को शुरू हुआ 'दांडी मार्च' भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम पड़ाव माना जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस दिन अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से नमक सत्याग्रह के लिये दांडी यात्रा शुरू की थी। इस मार्च के जरिए बापू ने अंग्रेजों के बनाए नमक कानून को तोड़कर उस सत्ता को चुनौती दी थी जिसके बारे में कहा जाता था कि उसके साम्राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता है।

साहित्य अकादमी स्थापना दिवस 

12 मार्च 1954 को भारत सरकार ने साहित्य अकादमी की स्थापना की थी। इसका मकसद भारतीय साहित्य को बढ़ावा देना और उच्च साहित्यिक मानदंड तय करना है. साहित्य अकादमी, भारत की राष्ट्रीय साहित्य अकादमी , देश में साहित्यिक संवाद, प्रकाशन और संवर्धन के लिए केंद्रीय संस्था है और एकमात्र संस्था है जो अंग्रेजी सहित 24 भारतीय भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियां चलाती है। भारत सरकार ने दिसंबर 1952 के अपने संकल्प संख्या F-6-4/51G2(A) द्वारा साहित्य अकादमी के नाम से एक राष्ट्रीय साहित्य अकादमी की स्थापना करने का निर्णय लिया। साहित्य अकादमी का औपचारिक उद्घाटन भारत सरकार द्वारा 12 मार्च 1954 को किया गया था । भारत सरकार के प्रस्ताव में, जिसने अकादमी के संविधान को निर्धारित किया था, इसे भारतीय साहित्य के विकास के लिए सक्रिय रूप से काम करने और उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करने, सभी भारतीय भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और समन्वय करने तथा उनके माध्यम से देश की सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय संगठन के रूप में वर्णित किया गया था। यद्यपि सरकार द्वारा स्थापित, अकादमी एक स्वायत्त संगठन के रूप में कार्य करती है। इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत 7 जनवरी 1956 को एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।

मॉरिशस दिवस 
हर साल 12 मार्च को मॉरिशस दिवस मनाया जाता है, जिसे लोग वहां के स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस के रूप में भी जानते हैं। इस दिन देश के इतिहास में दो प्रमुख कहानियाँ सामने आती हैं, जो दोनों 12 मार्च को यादगार बनीं, जिनमें पहली 1968 में ब्रिटेन की आज़ादी और दूसरी 1992 में गणतंत्र घोषित किया जाना शामिल है। 
1968 में मॉरीशस को ब्रिटेन से आज़ादी मिली और 1992 में यह एक गणतंत्र बन गया। यहां पर भी नियमित रूप से चुनाव होता है। इसलिए हर साल 12 मार्च को मॉरीशस राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।


राष्ट्रीय बालिका स्काउट दिवस
12 मार्च को राष्ट्रीय गर्ल स्काउट दिवस प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। अमेरिका में गर्ल स्काउटिंग की शुरुआत 12 मार्च, 1912 को हुई थी, जब जूलियट गॉर्डन लो ने पहली गर्ल स्काउट टुकड़ी बैठक आयोजित की थी। जॉर्जिया के सवाना में इस पहली टुकड़ी बैठक में 18 लड़कियां मौजूद थीं। इन लड़कियों के लिए, जूलियट गॉर्डन लो ने संवर्धन कार्यक्रम, सेवा परियोजनाएं और बाहरी गतिविधियाँ और रोमांच आयोजित किए। पहली बैठक के समय से, गर्ल स्काउट्स की सदस्य संख्या 3.7 मिलियन से अधिक हो गई है। यह दिवस अमेरिका में गर्ल स्काउटिंग के इतिहास और विरासत का सम्मान के लिए मनाया जाता है।

विश्व ग्लूकोमा दिवस 
12 मार्च को विश्व ग्लूकोमा दिवस मनाया जाता है, यह एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य रोकथाम योग्य अंधेपन के इस प्रमुख कारण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। ग्लूकोमा अक्सर बाद के चरणों तक ध्यान देने योग्य लक्षणों के बिना बढ़ता है, जिससे शुरुआती पहचान और प्रबंधन महत्वपूर्ण हो जाता है। ग्लूकोमा दुनिया भर में अंधेपन का एक प्रमुख कारण है, खासकर वृद्ध वयस्कों में। ग्लूकोमा आंखो के तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है, जो अच्छी दृष्टि के लिए महत्वपूर्ण है। यह क्षति अक्सर आंख में असामान्य रूप से उच्च दबाव के कारण होती है, जिसे इंट्राओकुलर प्रेशर (IOP) के रूप में जाना जाता है। ग्लूकोमा के लक्षण रोग के प्रकार और अवस्था के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। कई मामलों में, ग्लूकोमा धीरे-धीरे बढ़ता है और तब तक ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं दिखा सकता जब तक कि महत्वपूर्ण दृष्टि हानि न हो जाए। हालाँकि, कुछ ऐसे संकेत हैं जिनके बारे में व्यक्तियों को पता होना चाहिए, जो ग्लूकोमा की उपस्थिति का संकेत दे सकते हैं। दृष्टि हानि को रोकने और दृष्टि को संरक्षित करने के लिए ग्लूकोमा का प्रारंभिक पता लगाना महत्वपूर्ण है। चूंकि ग्लूकोमा अक्सर धीरे-धीरे और बिना किसी स्पष्ट लक्षण के विकसित होता है, इसलिए शुरुआती पहचान के लिए नियमित व्यापक नेत्र परीक्षण आवश्यक हैं। नेत्र परीक्षण के दौरान, एक नेत्र देखभाल पेशेवर आंखों के स्वास्थ्य का आकलन करने और ग्लूकोमा के किसी भी लक्षण का पता लगाने के लिए विभिन्न परीक्षण करता है।विश्व ग्लूकोमा दिवस आंखों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और नियमित रूप से आंखों की जांच करवाने के लिए एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है। ग्लूकोमा, इसके लक्षणों और उपलब्ध उपचार विकल्पों को समझकर, आप अपने और अपने प्रियजनों को दृष्टि के अनमोल उपहार को संरक्षित करने के लिए सशक्त बना सकते हैं। आइए जागरूकता बढ़ाने, शोध की वकालत करने और यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें कि दुनिया भर के लोगों के पास ग्लूकोमा से संबंधित दृष्टि हानि को रोकने के लिए आवश्यक संसाधनों तक पहुँच हो।

साइबर सेंसरशिप के खिलाफ विश्व दिवस 
साइबर सेंसरशिप के खिलाफ विश्व दिवस हर साल 12 मार्च को एक ऑनलाइन कार्यक्रम होता है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर की सरकारों द्वारा ऑनलाइन मुक्त भाषण को रोकने और सेंसर करने के तरीकों की ओर ध्यान आकर्षित करना है। यह दिन पहली बार 12 मार्च 2008 को रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुरोध पर मनाया गया था । रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के महासचिव जीन-फ्रांस्वा जूलियार्ड और एमनेस्टी इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक लैरी कॉक्स द्वारा लिखा गया एक पत्र Google , Yahoo!, Inc. और Microsoft Corporation के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को इस दिन के अवलोकन का अनुरोध करने के लिए भेजा गया था। वार्षिक कार्यक्रम का प्रतीक रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा बनाया गया लोगो है जिसमें एक कंप्यूटर माउस एक चेन से मुक्त हो रहा है। (विविध स्रोत)