18 मई
अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस
अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस प्रत्येक वर्ष 18 मई को मनाया जाता है। वर्ष 1983 में 18 मई को संयुक्त राष्ट्र ने संग्रहालय की विशेषता एवं महत्त्व को समझते हुए अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाने का निर्णय लिया इसका मूल उद्देश्य जनसामान्य में संग्रहालयों के प्रति जागरूकता तथा उनके कार्यकलापों के बारे में जन जागृति फैलाना था इसका यह भी एक उद्देश्य था कि लोग संग्रहालयों में जाने अपने इतिहास को अपनी प्राचीन समृद्ध परंपराओ को जाने और समझे।जानकारी के मुताबिक सबसे पहले इंटरनेशनल कौंसिल ऑफ म्यूजियम ने 1977 में इसकी शुरूआत की थी. इसका मूल उद्देश्य संस्कृति और इतिहास के प्रति जागरूकता बढ़ाना था. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1983 में इस विषय पर एक प्रस्ताव पारित किया था. जिसके बाद से ही हर साल 18 मई के दिन अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है. 1992 में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद के निर्णय के मुताबिक इस हर साल एक थीम के साथ मनाने की शुरूआत हुई थी. संग्रहालय हर देश की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करता है. संग्रहालय दिवस का उद्देश्य लोगों को इतिहास के बारे में शिक्षित करना और जागरूकता बढ़ाना है. संग्रहालय के संरक्षण के कारण ही आज दुनियाभर के म्यूजियम में सालों पुराने दस्तावेज और संस्कृति देखने को मिलती है. दुनियाभर में समृद्ध संस्कृति, परंपरा का प्रचार और संरक्षण करने में भी संग्रहालय का विशिष्ट योगदान है.
विश्व एड्स टीकाकरण दिवस
विश्व एड्स टीकाकरण दिवस (विश्व एड्स वैक्सीन दिवस), ( विश्व एड्स वैक्सीन जागरूकता दिवस के रूप में भी जाना जाता है), एचआईवी संक्रमण और एड्स पर रोक के लिए एक टीकाकरण की निरंतर आवश्यकता को बढ़ावा देने के लिए 18 मई को मनाया जाता है। प्रथम विश्व एड्स टीकाकरण दिवस 18 मई, 1998 को क्लिंटन के राष्ट्रव्यापी भाषण के रूप में मनाया गया था. इस दिवस की अवधारणा 18 मई 1997 को मॉर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भाषण में प्रस्तावित की गई थी। यह दिन एड्स (एकाधिक प्रतिरक्षा कमी सिंड्रोम) के खिलाफ लड़ाई में एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन विकसित करने के महत्व को उजागर करने के लिए समर्पित है। 1997 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने एक ऐतिहासिक भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने 2000 तक एड्स के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने का लक्ष्य रखा था. इस भाषण के एक साल बाद 18 मई 1998 को पहला विश्व एड्स वैक्सीन डे मनाया गया. इस दिवस को मनाने की शुरुआत 1998 में की गई थी. इस खास दिन का उद्धेश्य लोगों को एचआईवी की रोकथाम और एड्स के वैक्सीन के रिसर्च के बारे में जागरूक करना है.एचआईवी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने के प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने के लिए विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है. यह दिन एचआईवी से पीड़ित लोगों की मदद करने का मौका है. साथ ही इस दिन का उद्धेश्य लोगों तक यह संदेश पहुंचाना भी है कि मिलकर काम करके इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है.एड्स (अक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएन्सी सिंड्रोम) ह्यूमन इम्यूनोवायरस (एचआईवी) के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है. एचआईवी प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है, जिससे शरीर में संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने की कैपेबिलिटी नहीं होती है.
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