रविवार, 1 जून 2025

2 जून


2 जून 

जून महीने की दूसरी तारीख आते ही दो जून की रोटी याद आती है जिसके लिए तमाम लोग मेहनत करते हैं और पसीना बहाते हैं। "दो जून की रोटी" एक हिंदी कहावत है जिसका अर्थ है दिन में दो बार खाना, यानी सुबह और शाम का भोजन. यह कहावत उन लोगों के लिए इस्तेमाल की जाती है जो दिन में दो बार खाना खाने के लिए पर्याप्त धन या अवसर नहीं पाते. यह कहावत अक्सर गरीबी और भुखमरी से जूझ रहे लोगों के लिए इस्तेमाल की जाती है. असल में यह कहावत जून महीने से नहीं जुड़ी है, बल्कि यह अवधी भाषा से आई है, जहां "जून" का मतलब "वक्त" या "समय" होता है. इसलिए, "दो जून की रोटी" का अर्थ है कि दिन में दो वक्त का खाना. 

तेलंगाना स्थापना दिवस

हर साल 2 जून को भारत में तेलंगाना स्थापना दिवस (तेलंगाना गठन दिवस) मनाया जाता है। बता दें कि 2 जून 2014 को तेलंगाना, भारत का 28वां राज्य बना था। इस दिन उन लोगों के योगदान से आंध्र प्रदेश की ऐतिहासिक लड़ाई में एक अलग नया राज्य बनाया गया था। इस लड़ाई का नतीजा आख़िरकार साल 2014 में मिला। इसलिए 2 जून को इस राज्य का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इसके बाद से ही यह दिन राज्य में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।राज्य पुनर्स्थापना अधिनियम (1956) के तहत, आंध्र प्रदेश को समग्र रूप से एक विस्तृत आंध्र प्रदेश राज्य बनाया गया था। इसके बाद आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम (2014) ने आंध्र प्रदेश को दो अलग-अलग राज्यों में विभाजित कर दिया, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना। 2 जून, 2014 को आधिकारिक तौर पर तेलंगाना राज्य का गठन हुआ, इसकी राजधानी राजधानी थी। उल्लेखित तेलंगाना उत्तर में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़, पश्चिम में कर्नाटक और दक्षिण और पूर्व दिशाओं में आंध्र प्रदेश से प्रभावित हुआ है। तेलंगाना में एक नए राज्य सिद्धांत की मांग को लेकर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक विचारधारा वाले कई आंदोलन शुरू हुए। सबसे प्रमुख आंदोलन का नेतृत्व तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पार्टी ने किया था, जिसकी स्थापना 2001 में के.चंद्रशेखर राव ने की थी।

अंतरराष्ट्रीय यौन कर्मी दिवस 

यह दिवस 2 जून को न केवल यूरोप में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर्स डे 2 जून को मनाया जाता है क्योंकि 2 जून, 1975 को फ्रांस के ल्योन में सेंट-निज़ियर (Sant-Nizier) चर्च में लगभग 100 यौनकर्मियों ने अपनी शोषणकारी जीवन स्थितियों और कार्य संस्कृति के बारे में गुस्सा व्यक्त किया. चर्च पर 10 जून को पुलिस बलों द्वारा रेड की गई थी. यह एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया और इसलिए अब इसे यूरोप और दुनिया भर में मनाया जाता है.

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